गायत्री जयंती: जानिए वेद माता गायत्री और गायत्री मंत्र की क्या है महिमा ”

शक्तिशाली "गायत्री मंत्र" की रचना भगवान श्रीराम जी के गुरु ब्रह्मर्षि विश्वामित्र ने की थी.

महर्षि विश्वामित्र ने "गायत्री माता" की रचना नहीं की थी, उन्होंने गायत्री मंत्र की रचना और उसका लगातार जप करके गायत्री माता का आवाहन किया था, जिससे गायत्री माता प्रकट हुईं.

गायत्री माता को सभी शक्तियों का समावेश या सभी अपार शक्तियों का सम्मिलित रूप कहा जाता है.

महर्षि विश्वामित्र का नाम पहले 'विश्वरथ' था. गायत्री मंत्र की रचना करने के कारण गायत्री माता ने विश्वरथ को 'विश्वामित्र' (विश्व के मित्र) का नाम दिया था.

गायत्री मंत्र वेदों की एक ऋचा है. इसे ऋग्वेद से लिया गया है. इस ऋचा को जिस छंद में लिखा गया है, उस छंद का नाम भी 'गायत्री' है.

गायत्री मंत्र की महिमा 'ॐ' के लगभग बराबर मानी गई है. यह एक ऐसा अद्भुत मंत्र है, जिस पर आज बड़े-बड़े वैज्ञानिक रिसर्च करने में जुटे हुए हैं.

कई वैज्ञानिक इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि रोजाना गायत्री मंत्र का विधिवत जप करके कई तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है.

बहुत सारे लोगों ने यह अनुभव किया है कि गायत्री मंत्र का रोज विधिवत उच्चारण करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है.

गायत्री माता गंगा दशहरा के अगले दिन अर्थात ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को प्रकट हुई थी.  इस दिन को 'गायत्री दिवस' या 'गायत्री जयंती' के रूप में मनाया जाता है. इस तिथि को निर्जला एकादशी व्रत भी रखा जाता है.

गायत्री माता चारों वेदों की जननी हैं. गायत्री मंत्र को चारों वेदों का सार माना जाता है. गायत्री मंत्र का रोज विधिवत जप करके आयु, शक्ति, प्राण, कीर्ति, धन आदि प्राप्त किया जा सकता है.