केसर दुनिया की सबसे कीमती पौधों में से एक है. इसके फूलों की खुशबू इतनी तेज होती है कि जहां इसकी खेती होती है, वहां के आसपास का पूरा इलाका महक उठता है.
भारत में केसर की खेती मुख्य रूप से पंपोर, बडगाम, श्रीनगर और किश्तवाड़ में होती है. अब कुछ हद तक यांगयांग और सिक्किम में भी होने लगी है.
केसर की खेती जून-जुलाई के महीनों के दौरान और कुछ स्थानों पर अगस्त-सितंबर में की जाती है. केसर की खेती के लिए समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई अनुकूल होती है.
दुनिया के बाजारों में कश्मीरी केसर की कीमत 3 लाख से 5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक है. कश्मीरी केसर को GI टैग मिला हुआ है.
केसर इतना महंगा इसलिए होता है, क्योंकि एक तो यह सब जगह नहीं होता, दूसरा-केसर की खेती के लिए मशीनरी का इस्तेमाल बहुत कम किया जाता है.
केसर फूल का वर्तिकाग्र (Stigma) होता है. केसर के फूल में 3 नाजुक धागे होते हैं. फूलों से धागे निकालने के लिए मशीनों की जगह हाथों का ही इस्तेमाल करना पड़ता है.
करीब 450 ग्राम सूखे केसर के लिए लगभग 75,000 फूलों की जरूरत पड़ती है. 150000 फूलों से करीब 1 किलो सूखा केसर प्राप्त होता है.
भारत में केसर का इस्तेमाल आयुर्वेद में, पूजा में, खाद्य पदार्थों में और सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है. केसर में बहुत अच्छे और फायदेमंद गुण पाए जाते हैं.
केसर में औषधीय गुण होते हैं. आयुर्वेद में केसर को कफ नाशक, मन को प्रसन्न करने वाला, मस्तिष्क को बल देने वाला, हृदय और रक्त के लिए हितकारी बताया गया है.