पृथ्वी के लगभग 71 प्रतिशत भाग पर पानी ही पानी है. पृथ्वी पर जल की ये जितनी भी मात्रा है, उसका करीब 97 प्रतिशत भाग महासागरों के रूप में है.
पृथ्वी के लगभग 2.7 प्रतिशत भाग पर ही हिमनद, नदी, तालाब, झील और भूमिगत जल आदि हैं और यही पानी हमारे पीने लायक है.
पृथ्वी पर जितना भी स्वच्छ जल या मीठा पानी या पीने लायक पानी मौजूद है, उसका लगभग तीन-चौथाई भाग हिमनदों या ग्लेशियरों के रूप में है.
ग्लेशियर पृथ्वी पर स्वच्छ जल या फ्रेश वाटर के सबसे बड़े स्टॉक हैं. हमारे भारत में गंगा जैसी हिमालयी नदियों के स्रोत ये ग्लेशियर ही हैं.
पृथ्वी पर सबसे ज्यादा ग्लेशियर ध्रुवीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जैसे अंटार्कटिका, ग्रीनलैंड और आर्कटिक. पृथ्वी के 91% ग्लेशियर अंटार्कटिका और 8% ग्लेशियर ग्रीनलैंड में हैं.
पूर्वी अंटार्कटिका में स्थित लैम्बर्ट ग्लेशियर को दुनिया का सबसे बड़ा ग्लेशियर माना जाता है. यह लगभग 80 किमी चौड़ा, 400 किमी लंबा, और लगभग 2,500 मीटर गहरा है.
एक अनुमान के मुताबिक, ध्रुवीय क्षेत्रों के बाद सबसे ज्यादा बर्फ हिमालय पर पाई जाती है. भारत में 10 हजार से ज्यादा ग्लेशियर हैं.
हिमालय पर्वत के सबसे बड़े ग्लेशियरों में से एक गंगोत्री हिमनद गंगा नदी का स्रोत है. गंगा नदी भारत और बांग्लादेश में स्वच्छ जल और इलेक्ट्रिसिटी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है.
सियाचिन भारत का सबसे बड़ा ग्लेशियर है. यह 78 किमी लंबा है. यह हिमालय की पूर्वी काराकोरम पर्वतश्रेणी में भारत-पाक नियंत्रण रेखा (LoC) के पास स्थित है.
ग्लेशियर उन जगहों पर बनते हैं जहां Snowfall ज्यादा होता है, या बर्फ ज्यादा मात्रा में गिरती है, लेकिन बर्फ के पिघलने की स्पीड बहुत कम होती है.