जानिए गंगा दशहरा और मां गंगा जी के धरती आगमन की कथा”

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ब्रह्माजी ने जब भगवान विष्णु जी के चरणों को आदर सहित धोया, तो उस जल को अपने कमंडल में इकठ्ठा कर लिया, जिससे मां गंगा का जन्म हुआ. इसीलिए गंगा जी को 'विष्णुपदी' भी कहा जाता है.

भगवान श्रीराम के पूर्वज और इक्ष्वाकु वंश के राजा भागीरथ ने गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर उतारा था, जिसके लिए उन्हें बहुत कठिन तपस्या करना पड़ी थी.

भागीरथ से पहले उन्हीं के वंश के राजा सगर, राजा अंशुमान और राजा दिलीप ने गंगा जी को धरती पर लाने के लिए हजारों सालों तक घोर तपस्या की थी.

गंगा जी पृथ्वी पर आना नहीं चाहती थीं. जब तीन-तीन पीढ़ियों ने अपना पूरा जीवन कठिन तपस्या में लगा दिया, तब कहीं जाकर मां गंगा का स्वर्ग से धरती पर आगमन हुआ.

धरती पर तेजी से उतरती हुईं गंगा के वेग और उनके भार को सहन करने की शक्ति केवल भगवान शिव में थी. इसलिए भागीरथ ने तपस्या कर भगवान शिव को भी प्रसन्न कर लिया।

भागीरथ के कठिन प्रयासों से गंगा इस धरती पर आ सकीं, इसीलिए गंगा को 'भागीरथी' भी कहा जाता है.  भागीरथ ने ये साबित कर दिया कि कठिन तपस्या के बल पर कुछ भी पाया जा सकता है.

गंगा दशहरा का महत्व -  गंगा के धरती पर आने के दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है. इंसान से जो पाप जाने-अनजाने में हो जाते हैं, उन सब पापों से मुक्ति पाने का सबसे अच्छा अवसर 'गंगा दशहरा' का दिन माना जाता है.