परशुराम थीम पार्क, उडुपी:  भगवान परशुराम से सम्बन्ध और ऐतिहासिक महत्व

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने उडुपी जिले के बैलुर में उमिकल पहाड़ी के ऊपर भगवान श्री परशुराम जी की 33 फुट की भव्य और मनमोहक कांस्य प्रतिमा के अनावरण के साथ ही परशुराम ‘थीम पार्क’ का उद्घाटन भी किया।

आइये जानते हैं कि इस जगह का भगवान परशुराम से क्या सम्बन्ध है और इसका क्या ऐतिहासिक महत्व है?

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कहते हैं कि कण्व महर्षि ने परशुराम मंदिर की मूर्ति को कर्नाटक के करकला गाँव में (जो उडुपी से लगभग 11 किमी दूर है) स्थापित किया। यह कुंजरुगिरी परशुराम मंदिर परशुराम गिरि (विमना गिरी हिल) के ऊपर स्थित है।

कुंजरुगिरी भारतीय राज्य कर्नाटक में उदुपी जिले का एक गाँव है। यह शंकरापुरा के पास उडुपी शहर से लगभग 11 किलोमीटर (6.8 मील) दूर स्थित है।

मंदिर में परशुराम की मूर्ति को काले पत्थर से बनाया गया है, और उनके दाहिने हाथ में कुल्हाड़ी और बाएं हाथ में एक धनुष है।  माना जाता है कि मंदिर और अन्य संरचना का निर्माण विजयनगर युग के दौरान किया गया है।

कुंजरुगिरी गाँव का मुख्य आकर्षण दुर्गा बेट्टा (Durga Betta) नामक एक पहाड़ी है, जिस पर माँ दुर्गा का मंदिर है, जिसे स्थानीय लोग तुलु भाषा में कुंजर अम्मा के नाम से जानते हैं।

दिव्य मां, आदि शक्ति (Adi Shakti) के सम्मान में इस मंदिर का निर्माण करने का श्रेय परशुराम को दिया जाता है।  परशुराम ने कुंजरुगिरी में प्रसिद्ध दुर्गा परमेश्वरी मंदिर में दुर्गा मूर्ति को स्थापित किया था।

यहाँ के चार तालाबों "Parashu Teertha, Gadha Teertha, Bana Teertha and Dhanusu Teertha" को परशुराम ने अपने कुल्हाड़ी का उपयोग करके बनाया था।

जब उन्होंने केरल का निर्माण किया, तो उन्हें समुद्र की गहराई में एक मोती मिला, जिसे उन्होंने एक नथ में डाला और कुंजर अम्मा की मूर्ति को सजाया।

किंवदंती के अनुसार, हालांकि, समुद्र से हमेशा जो कुछ भी लिया जाता है वह उसे वापस ले जाता है।  लंबे समय तक मूर्ति की रक्षा करने के लिए, परशुराम ने मूर्ति को कुंजारू पहाड़ी में स्थापित किया; पर आज तक समुद्र पहाड़ी के निकट आता जाता है।

पहाड़ी में लगभग 250-300 सीढ़ियाँ शामिल हैं, जो कुंजरुगिरी मंदिर के लिए एक मार्ग के रूप में है।

जब भी भूमि के संबंध में कोई विवाद होता है तो लोग समाधान खोजने के लिए मंदिर में आते हैं। मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खुला रहता है।

भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम को समर्पित मंदिर बहुत दुर्लभ हैं। भगवान्  परशुराम को समर्पित अधिकांश मंदिर केरल और तटीय कर्नाटक में पाए जाते हैं।

कर्नाटक में परशुराम क्षेत्र -  परशुराम द्वारा स्थापित 7 मंदिर

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महर्षि परशुराम ने दक्षिण कर्नाटक में 7 मंदिरों की स्थापना की थी और इन मंदिरों को एक साथ परशुराम क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।  ये सात मंदिर या पवित्र स्थान निम्नलिखित हैं ---

1. Kukke Sri Subrahmanya Temple (famous naga temple) कुक्के श्री सुब्रह्मण्य मंदिर (प्रसिद्ध नाग मंदिर) 2. Sri Krishna Temple, Udupi प्रसिद्ध श्री कृष्ण मंदिर, उडुपी

3. Kumbhashi Temple (Sri Vinayaka Temple, Anegudde) कुंभाशी (श्री विनायक मंदिर, अनेगुड्डे) 4. Sri Kotilingeshwara Temple, Koteshwara (dedicated to Shiva) श्री कोटिलिंगेश्वर मंदिर, कोटेश्वर (शिव को समर्पित मंदिर)

5. Sri Shankaranarayana Temple, Kundapura (dedicated to Shiva and Vishnu) श्री शंकरनारायण मंदिर, कुंडपुरा (शिव और विष्णु को समर्पित मंदिर)

6. Sri Mookambika Temple, Kollur श्री मूकाम्बिका मंदिर, कोल्लूर 7. Sri Mahabaleshwar Swamy Temple, Gokarna (Shiva Temple) श्री महाबलेश्वर स्वामी मंदिर, गोकर्ण (शिव मंदिर)

इन पवित्र स्थानों की तुलना राम क्षेत्र के सात पवित्र स्थानों, अर्थात् अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, कांची, अवंतिका और पुरी से की जाती है।  मान्यता है कि इन स्थानों पर जाने से आत्म साक्षात्कार में मदद मिलती है ।

परशुराम ‘थीम पार्क’ का उद्घाटन ऐतिहासिक है, क्योंकि भगवान परशुराम को तुलुनाडु का निर्माणकर्ता कहा जाता है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त था और  वह निडर, मजबूत और शक्तिशाली थे।

परशुराम थीम पार्क में एक भजन मंदिर, संग्रहालय, ओपन एयर एम्फीथिएटर, भगवान परशुराम के जीवन का चित्रण, ऑडियो-विजुअल गैलरी और एक रेस्तरां है।