भगवान श्रीराम और माता सीता की कुछ रोचक बातें

भगवान विष्णु जी के मुख्य रूप से 10 अवतार माने गए हैं. भगवान श्रीराम उन्हीं में से एक अवतार हैं, जिन्होंने त्रेतायुग में इक्ष्वाकु वंश में अयोध्या के रघुवंशी (सूर्यवंशी) राजा दशरथ जी के पुत्र के रूप में जन्म लिया.

भगवान विष्णु जी के मुख्य 10 अवतार- मत्स्य अवतार, वराह अवतार, नरसिंह अवतार, कूर्म अवतार, मोहिनी अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, श्रीराम अवतार, श्रीकृष्ण अवतार, कल्कि अवतार

श्रीराम के अन्य तीन भाई भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न हैं.  भरत जी भगवान विष्णु के हाथ में धारण होने वाले शंख के, लक्ष्मण जी शेषनाग के और शत्रुघ्न जी सुदर्शन चक्र का अवतार हैं.

माता सीता मिथिला (जनकपुरी) के नरेश राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री हैं. सीता जी भगवान विष्णु की पत्नी महालक्ष्मी जी का अवतार हैं. सीता जी की एक बहन हैं उर्मिला. वहीं, मांडवी और श्रुतकीर्ति राजा जनक के छोटे भाई कुशध्वज की बेटियां थीं.

सीता जी ने बचपन में ही भगवान शिव का भारी धनुष एक हाथ से ही उठा लिया था. इसीलिए जब सीता जी विवाह योग्य हुईं, तब राजा जनक ने यह प्रतिज्ञा की थी कि जो शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, उसी से राजकुमारी सीता का विवाह होगा.

Ram Sita Marriage Age विवाह के समय श्रीराम की आयु 25 या 26 वर्ष और सीता जी की आयु 21 वर्ष थी. श्रीराम और सीता जी की जोड़ी इस संसार की सबसे आदर्श जोड़ियों में से एक है.

उस समय हर एक पुरुष के लिए 25 वर्ष की आयु तक विद्या ग्रहण और ब्रह्मचर्य के पालन का नियम था. स्त्रियों को भी हर प्रकार की शिक्षा दी जाती थी. बाल-विवाह, सती-प्रथा आदि नहीं थी. समाज में अपराध शून्य के बराबर था (राक्षस अलग होते थे).

Ram Sita Vivah मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीराम और सीताजी का विवाह हुआ था, इसलिए विवाह पंचमी को राम-सीता विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है.

14 वर्ष का वनवास श्रीराम के लिए था, लेकिन उनकी पत्नी सीता जी और भाई लक्ष्मण उनके साथ गए थे. भगवान श्रीराम के वनवास का मुख्य उद्देश्य सभी भक्तों और ऋषि-मुनियों को दर्शन देना और राक्षसों का संहार करना था.

भगवान सीताराम जी के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार हैं. कुश और लव श्रीराम और सीता जी के पुत्र हैं.

माता कौशल्या और राजा दशरथ देवमाता अदिति और कश्यप के अवतार माने जाते हैं.  मान्यतानुसार, यही दोनों अगले जन्म में माता देवकी और वसुदेव बनें.