Shri Ram: संसार का सबसे शक्तिशाली मंत्र, जिसका जप करने से सिद्ध हो जाते हैं सभी कार्य

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भगवान श्रीराम

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श्रीराम जी (Shri Ram) की कथा तो सभी जानते हैं, लेकिन श्रीराम जी को कोई नहीं जानता… और कोई जान भी नहीं सकता. स्वयं भगवान शिव (Bhagwan Shiv), जो सदा राम नाम में ही रमे रहते हैं, वे भी यही कहते हैं कि श्रीराम जी की महिमा बताना मेरे वश की बात नहीं. “हरि अनंत हरि कथा अनंता…”

भगवान श्रीराम जी के सबसे बड़े भक्त और पुत्र हनुमान जी (Hanumanji) श्रीराम जी के दर्शन तो करा सकते हैं, लेकिन उनकी महिमा नहीं बता सकते. श्रीराम की महिमा को कोई शब्दों में नहीं बता सकता. श्रीराम और उनके नाम की महिमा को वही जान सकता है, जिसने इसे महसूस किया है… और इसे केवल वही महसूस कर सकता है, जिसके अंदर श्रीराम जी के प्रति अटूट विश्वास, प्रेम और भक्ति होती है.

कौन हैं श्रीराम : इस सवाल का जवाब कोई नहीं दे सकता, केवल अपनी-अपनी बुद्धि से कुछ प्रयास ही कर सकता है. उनकी महिमा का वर्णन कौन कर सकता है, जिनके चरणों का जल पीने के लालच से केवट जैसे भक्त इतना नाटक रचाते हैं, जिनकी सेवा करने की इच्छा से स्वयं महादेव भी हनुमान जी के रूप में अवतार ले लेते हैं.

फिर भी विश्वनियंता भगवान श्रीराम जी के बारे में बताने का प्रयास करते हुए मंदोदरी रावण से कहती हैं कि-

‘जिनके विराट स्वरूप में अखिल ब्रह्मांड समाया हुआ है, ब्रह्मलोक जिनका शीश और पाताल जिनके चरण हैं, सूर्य-चंद्र जिनके नेत्र और मेघमंडल जिनके काले केश हैं, भयंकर काल जिनके भृकुटी संचालन मात्र से गतिमान होता है, वेद जिनकी वाणी, शिव जिनका अहंकार और ब्रह्मा जिनकी बुद्धि हैं… उत्पत्ति, पालन और प्रलय जिनकी चेष्टा हैं, वही चराचरपति भगवान श्री नारायण हैं श्रीराम’.

वाल्मीकि जी रामायण में लिखते हैं-

“श्रीराम साक्षात् सनातन विष्णु थे, और परम प्रचंड रावण के वध की अभिलाषा रखने वाले देवताओं की प्रार्थना पर मनुष्यलोक में अवतीर्ण हुए थे” (राजा दशरथ ने उन्हें अपने पुत्र रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था).
(वाल्मीकि रामायण अयोध्याकाण्ड सर्ग १ श्लोक ७)

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श्री वाल्मीकि जी श्रीराम से कहते हैं-

“हे श्रीराम! आप वेद की मर्यादा के रक्षक जगदीश्वर हैं और जानकीजी माया हैं, जो आपका रुख पाकर जगत का सृजन, पालन और संहार करती हैं. हे रघुनंदन! आपको वही जानता है, जिसे आप जना देते हैं (जिसके लिए आप चाहते हैं कि वह आपको जान सके) और जानते ही वह आपका ही स्वरूप बन जाता है. हे भक्तों के हृदय को शीतल करने वाले चंदन! आपकी ही कृपा से भक्त आपको जान पाते हैं.”

भगवान श्रीराम जी के अवतार का उद्देश्य

♦ भगवान श्रीराम जी ने केवल रावण और राक्षसों का नाश करने के लिए धरती पर जन्म नहीं लिया, उन्होंने समस्त मानवजाति को एक आदर्श जीवन जीने की कला सिखाने के लिए भी अवतार लिया. भगवान विष्णु जी ने अपने श्रीराम जी के रूप में कभी यह नहीं कहा कि “मैं भगवान हूं”. उन्होंने हमेशा यही कहा कि “मैं एक साधारण मनुष्य हूं और जो भी व्यक्ति मेरे बताए रास्ते पर चलेगा, वह भी मेरे समान ही शक्तिशाली होगा”.

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♦ श्रीराम ने अपने जीवन में कभी प्रत्यक्ष रूप से अपनी माया का प्रयोग नहीं किया, जबकि श्रीकृष्ण जी के अवतार में उन्होंने बहुत बार प्रत्यक्ष रूप से अपनी माया का प्रयोग किया है. श्रीराम जी के रूप में उन्होंने हर परिस्थिति में उन्हीं शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उन्होंने उस जन्म में अपनी तपस्या और योग साधना के बल पर पाई थीं, या जो शक्तियां उन्हें उनके गुरुओं और ऋषि-मुनियों ने दी थीं.

♦ एक आदर्श पुत्र, आदर्श शिष्य, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श पिता, आदर्श राजा और एक आदर्श नागरिक के रूप में जीवन जी कर श्रीराम जी मर्यादा पुरषोत्तम कहलाए. उन्होंने सम्पूर्ण जीवन का प्रबंध इतनी कुशलता से किया है, जिससे ये प्रेरणा मिलती है कि एक आदर्श जीवन कैसे जिया जाता है, कैसे सत्य के मार्ग पर चलकर भी जीता जा सकता है, कैसे विनम्र रहते हुए भी सभी सिद्धियों, शक्तियों और उपलब्धियों को पाया जा सकता है.

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श्रीराम जी की शरण में रहने वाले व्यक्ति के सभी भय समाप्त हो जाते हैं. जो भी भक्त श्रीराम जी की शरण में जाता है, वह राजा का पद प्राप्त करता है, जैसे- सुग्रीव जी, विभीषण जी आदि. श्रीराम जी की भक्ति करने के क्या लाभ होते हैं, ये भक्त शिरोमणि हनुमान जी से आसानी से पता चलता है, जिनकी शक्ति के आगे कोई नहीं टिक सकता. राम जी की सच्चे मन से भक्ति करने करने वाले को संसार की कोई भी शक्ति हरा नहीं सकती. उसका यश चारों तरफ फैलता रहता है.

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♦ Ram Naam ki Mahima Shakti – ‘राम’ नाम इस संसार का सबसे शक्तिशाली मंत्र है. रोज सुबह-शाम, भोजन करने के दौरान, पढ़ाई या कोई भी कार्य करने से पहले सच्चे मन से केवल ‘श्रीराम’ नाम का जप करने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं. हर कार्य में सफलता मिलती है. किसी तरह के रोग और नकारात्मक शक्तियां आसपास भी नहीं फटक पातीं. हर समय ‘राम’ नाम का जप करते रहने से कठिन से कठिन बीमारी को मिटाया जा सकता है. ऐसा आज के बहुत से पंडितों और अनुभवी लोगों ने कहा है कि रोज सुबह-शाम सच्चे मन से राम नाम का जप करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है, आयु लंबी होती है और चारों ओर यश फैलता है.

हनुमान जी को प्रसन्न करने का मार्ग भी ‘सीताराम’ ही हैं. ‘श्रीराम’ नाम का जप करने वाले पर हनुमान जी सदा प्रसन्न रहते हैं. ऐसा बहुत से लोगों का अनुभव है कि जिस स्थान पर भगवान श्रीराम की स्तुति होती रहती है, उनके नाम का जप होता रहता है, उस स्थान पर हनुमान जी किसी न किसी रूप में आते ही रहते हैं.

श्रीराम जी के नाम का जप करने के लाभ (Ram naam ki mahima or jap)

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(आप चाहें “जय श्रीराम” बोलें, या “जय सियाराम” कहें या “जय सीताराम”… बात एक ही है, क्योंकि राम-सीता अलग-अलग नहीं, एक ही हैं. यह बात स्वयं श्रीराम कई बार कह चुके हैं. रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने कई स्थानों पर सीता जी को ‘श्री जी’ लिखा है. इसी प्रकार, ‘श्री जी’ राधा जी को भी कहते हैं. यदि आप ‘राधे-राधे’ जपते हैं, तो इस जप में श्रीकृष्ण का नाम अपने-आप सम्मिलित रहता है. वेदों के अनुसार राधा, सीता, रुक्मिणी, भूदेवी आदि महालक्ष्मी जी के ही अलग-अलग रूप हैं).

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Ram Naam ki Mahima Shakti in Hindi – सच्चे मन से रोज ‘राम’ नाम का सवा लाख बार जप करने से सभी सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं. तुलसीदास जी ने तुलसी के एक पत्र पर ‘राम’ नाम लिखकर जल के जिस पात्र में डाल दिया था, उस पात्र का जल पीने से 500 कोढ़ी ठीक हो गए थे. और केवल राम नाम ही नहीं, श्रीराम जी के जितने भी नाम हैं, वे सभी नाम सिद्ध मंत्र ही हैं. हर एक नाम का अलग-अलग प्रभाव है. अलग-अलग मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए श्रीराम के अलग-अलग नामों का जप किया जाता है. जैसे-

अगर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है तो– रोज सुबह-शाम ‘राम’ नाम का 108 बार जप करने से आराम होता है.
विवाह संबंधी समस्याएं दूर करने के लिए ‘रमापति’ शब्द का जप किया जाता है.
नौकरी या रोजगार संबंधी समस्याएं दूर करने के लिए ‘अवधेश’ शब्द का जप किया जाता है.
संतान प्राप्ति या संतान की उन्नति के लिए ‘कौशलनंदन’ शब्द का जप और भगवान श्रीराम के बाल रूप का ध्यान किया जाता है.
शिक्षा संबंधी समस्याओं या शिक्षा में सफलता के लिए ‘रघुनाथ’ शब्द का जप किया जाता है.
♦ कहते हैं कि अगर छोटे-छोटे बच्चे जो बोलना भी नहीं जानते, उनके सामने रोजाना ‘रघुनाथ’ शब्द का जप किया जाए, तो उन बच्चों की याददाश्त तेज होती है और वे बुद्धिमान बनते हैं.

जिनके नाम की ही इतनी महिमा है, उनकी महिमा तो कितनी होगी. इसीलिए तो बड़े-बड़े तपस्वी, महायोगी, ऋषि-मुनि आदि सभी श्रीराम जी के नाम का जप करते रहते हैं. कई अनुभवी लोगों का ये कहना है कि अगर आपके मन में श्रीराम जी सदा निवास करते हैं, आप कोई भी कार्य करने से पहले श्रीराम जी का ही ध्यान करते हैं, तो श्रीराम जी हर संकट में आपके साथ बने रहते हैं, साथ ही किसी न किसी रूप में आकर आपको एक बार दर्शन जरूर देते हैं. “न जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते हैं…”

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“सुमिरन करले मनवा, श्री राम का, सुखधाम का!
दो अक्षर के राम नाम में, बसा सकल संसार है!
जो रटता श्रीराम नाम को, उसका बेड़ा पार है!
जीव-जंतु, ब्रह्मांड, भूमि सब, सूर्य, चन्द्र, आकाश, पवन, जल!
सबका स्वामी एक राम है, छोटा सा है नाम सरल!
सुमिरन करले मनवा, श्रीराम का, सुखधाम का..”

श्रीरामरक्षास्तोत्र (Shri Ram raksha stotra)

श्रीरामरक्षास्तोत्र (Shri Ram raksha stotra) की रचना भगवान शिव के आदेश पर श्री बुधकौशिक ऋषि ने की थी. इसमें भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र और उनकी महिमा का अनुपम वर्णन है. इस स्त्रोत में भक्त द्वारा अपनी रक्षा की प्रार्थना की गई है. श्रीरामरक्षास्तोत्र का रोज पाठ करने से सभी कार्य सिद्व हो जाते हैं और हर परिस्थिति में रक्षा का वरदान मिलता है, इसमें कोई संदेह भी नहीं है. बस श्रीराम जी के प्रति आपका विश्वास और आस्था अटल होनी चाहिए. श्रीरामरक्षास्तोत्र के एक अंश में कहा गया है कि-

देखें- श्रीरामरक्षास्तोत्र

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श्री राम रक्षा स्तोत्र का एक अंश

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LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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