सूरज की शॉक वेव के कारण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में आई दरार,  ट्रिगर हो सकता है भू-चुंबकीय तूफान  (Crack in Earth's magnetic field caused by Sun's shock wave, Geomagnetic storm can be triggered)

18 दिसंबर की देर रात को सूरज की एक शक्तिशाली शॉक वेव ने पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराकर उसमें एक दरार पैदा कर दी है.

अर्थात इस शक्तिशाली शॉकवेव से पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर को नुकसान पहुंचा है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह शॉकवेव एक भू-चुंबकीय तूफान को ट्रिगर कर सकता है.

सूर्य की सतह पर यह शॉकवेव किस क्षेत्र से उत्पन्न हुआ, इसकी सटीक जानकारी नहीं दी जा सकी है, लेकिन पिछले हफ्ते वैज्ञानिकों ने सूर्य की सतह पर एक सनस्पॉट को उभरते हुए देखा, जिसे AR3165 के रूप में जाना जाता है.

यह शॉकवेव इसी सनस्पॉट द्वारा लॉन्च किए गए कोरोनल मास इजेक्शन (CME) से आया हो सकता है.

नासा के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी अंतरिक्ष यान ने 14 दिसंबर, 2022 को सनस्पॉट AR3165 से निकलने वाली सौर चमक के इस शॉट को कैप्चर किया.

इसने 14 दिसंबर को कम से कम आठ सौर फ्लेयर्स की झड़ी लगा दी, जिससे अटलांटिक महासागर के ऊपर एक छोटा सा रेडियो ब्लैकआउट हुआ.

सौर ज्वालाएं इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन के विस्फोट हैं जो प्रकाश की गति से यात्रा करते हैं.  हमारी पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र या मैग्नेटोस्फीयर पृथ्वी के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह है, जो पृथ्वी को ऐसी हानिकारक रेडिएशन से बचाता है.

सबसे बड़े सौर तूफान सौर कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) से जुड़े होते हैं, जिसके तहत सूर्य से एक अरब टन या उससे अधिक प्लाज्मा इसके एम्बेडेड चुंबकीय क्षेत्र के साथ पृथ्वी पर आता है.

CMEs का अर्थ प्लाज्मा और मैग्नेटिक फील्ड के बड़े इजेक्शन से है, जो सूर्य के कोरोना (सबसे बाहरी परत) से उत्पन्न होते हैं.  CMEs लाखों मील प्रति घंटे की गति से यात्रा कर सकते हैं.

अपनी हाई स्पीड के साथ, ये सौर हवा से आवेशित कणों को एक वेवफ्रंट बनाने के लिए ले जाते हैं जो भू-चुंबकीय तूफानों (geomagnetic storms) को ट्रिगर कर सकता है.

बड़े भू-चुंबकीय तूफान बड़े गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं।  वे न केवल हमारी पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा सकते हैं, बल्कि कई आर्टिफिशियल सैटेलाइट्स को भी क्षतिग्रस्त कर सकते हैं. इलेक्ट्रिकल सिस्टम और इंटरनेट कम्युनिकेशन में रुकावट पैदा कर सकते हैं.

जैसे चंद्रमा में कई तरह के धब्बे दिखाई देते हैं, उसी तरह सूर्य की सतह पर भी कई तरह के धब्बे दिखाई देते हैं. बस हम अपनी खाली आंखों से इन्हें नहीं देख सकते.

सौर कलंक - जहां से सौर ज्वालाएं निकलती हैं, वहीं काले धब्बे दिखाई देते हैं. इन्हें ही सौर कलंक (Sun Spots) कहते हैं. इस धब्बे का जीवनकाल कुछ घंटे से लेकर कुछ सप्ताह तक होता है.

सौर कलंक - जब सूर्य के किसी भाग का ताप अन्य भागों की तुलना में कम हो जाता है तो धब्बे के रूप में दिखता है, इसे सौर कलंक कहते हैं. सूर्य के बाकी हिस्सों की तुलना में ये धब्बों वाले भाग ठंडे होते हैं.

सौर कलंक - सौर कलंक से तेज चुंबकीय किरणें निकलती हैं, जो पृथ्वी के वायरलेस कम्युनिकेशन सिस्टम को प्रभावित कर सकती हैं.  कई दिनों तक सौर कलंक बने रहने के पश्चात रेडियो संचार में बाधा आती है।