Bathua Leaves Bhaji Benefits
सर्दियों के बाजारों में तो बथुआ (Bathua) तो बड़ी आसानी से मिलने वाली हरी पत्तेदार सब्जी है. बथुआ के परांठे और रायता तो लोग चटकारे लगाकर खाते हैं. ज्यादातर घरों में इसका साग और रायता ही बनाया जाता है, जो कि खाने में बड़ा स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेद में बथुआ को एक औषधि का भी स्थान दिया गया है, क्योंकि यह हमारी सेहत को बहुत तरीके से फायदा पहुंचाता है, साथ ही कई रोगों को दूर कर देता है. देश भर में बथुआ को ‘बथुवा’ या ‘वास्तूक’ के नाम से जाना जाता है, लेकिन अलग-अलग जगहों पर इसे कई और नामों से बुलाया जाता है.
जब बथुए को मट्ठा या दही में मिला दिया जाता है तो यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला और किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य और पौष्टिक आहार बन जाता है. और यदि साथ में बाजरे या मक्के की रोटी, मक्खन और गुड़ हो तो फिर तो कहने ही क्या. इसलिए जब तक सर्दियों में बथुए का साग मिलता रहे, इसकी सब्जी या रायता बनाकर खाते रहें.
बथुआ के गुण और फायदे
♦ बथुआ के पत्ते शीतादरोधी (Antiscorbutic) और पूयरोधी (Antidiuretic) होते हैं. बथुआ में विटामिन B1, B2, B3, B5, B6, B9, विटामिन C, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैंगनीज, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम और जिंक आदि मिनरल्स हैं.
♦ बथुए में कई प्रकार के लवण और क्षार (Salts and Alkalis) पाए जाते हैं, जिससे यह पेट से जुड़े रोगों के लिए फायदेमंद होता ही है, साथ ही अनेक रोगों में भी काम में लाया जा सकता है. यह त्रिदोष (वात, पित, कफ) को शांत करता है. बथुए के सेवन से वात, पित्त, कफ के प्रकोप का नाश होता है और बल-बुद्धि बढ़ती है.
♦ आयुर्वेदिक विद्वानों के अनुसार, बथुआ भूख बढ़ाने वाला, पित्तशामक, मलमूत्र को साफ करने वाला है. यह पाचनशक्ति बढ़ाने वाला, भोजन में रुचि बढ़ाने वाला, पेट की कब्ज मिटाने वाला और स्वर को मधुर बनाने वाला है. यह आंखों के लिए लाभकारी और पेट के कीड़ों खत्म करने वाला है.
♦ लाल बथुआ हृदय को बल देने वाला, खून साफ करके फोड़े-फुंसी मिटाने में भी मददगार है. बथुआ लीवर, गुर्दों और अमाशय की समस्याओं को दूर कर पाचन शक्ति बढ़ाकर खून बढ़ाता है और शरीर की शिथिलता मिटाता है.
♦ बथुए के पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर पीने से मूत्र विकार खत्म होते हैं और पेशाब खुलकर आती है. इसका साग खाने से शौच खुलकर आती है.
♦ बथुए के रस में जरा सा नमक मिलाकर पीने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं.
♦ बथुए का साग अरुचि, अर्जीण, भूख की कमी, कब्ज, लिवर की समस्याओं, पीलिया में भी फायदेमंद है. बथुआ के पत्तों की सब्जी खाने से खांसी में भी आराम होता है.
♦ बथुए के पत्तों की सब्जी बनाकर इसमें घी मिलाकर इसका सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है.
♦ बथुआ के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से कब्ज के साथ-साथ बवासीर, तिल्ली विकार, और लिवर के विकारों में आराम होता है.
♦ बथुआ के पत्तों को उबालकर, पीसकर सूजन वाले अंग पर लगाने से सूजन कम होती है.
♦ जोड़ों के दर्द में भी बथुआ का सेवन फायदेमंद होता है. बथुआ के पत्तों और तने का काढ़ा बनाकर जोड़ों पर लगाने से जोड़ों के दर्द में आराम होता है.
♦ बथुआ का साग और रायता आदि खाते रहने से रोग प्रतिरक्षा शक्ति भी बढ़ती है, जिससे रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है.
यह भी बताया जाता है कि पुराने समय में हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरा रंग करने के लिए प्लस्तर में बथुआ मिलाते थे और सिर से डैंड्रफ को साफ करने के लिए बथुए के पानी से बाल भी धोते थे.
नोट- बथुए के साग का सही मात्रा में सेवन किया जाए, तो सर्दियों में निरोग रहने के लिए यह एक उत्तम औषधि है. बथुए का साग कम से कम मसाले डालकर बनाएं. स्वाद के लिए काला या सेंधा नमक मिलाएं और देशी घी से छौंक लगाएं.
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