Gopashtami : गाय बना सकती है आपके सारे काम…गोपाष्टमी पर जानिए गौ माता की विशेष महिमा

Gopashtami

गोवर्धन पर्वत (Govardhan) की कथा तो सभी जानते हैं कि जब भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) के कहने पर ब्रजवासियों ने देवताओं के राजा इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करना शुरू कर दिया था, तब देवराज इंद्र ने क्रोधित होकर पूरे ब्रज में ऐसी मूसलाधार बारिश करवाई थी, जिससे सारा ब्रजमंडल संकट में आ गया था. तब भगवान श्रीकृष्ण ने सभी ब्रजवासियों और जीव जंतुओं की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था, जिसके नीचे आकर सभी प्राणियों की रक्षा हुई.

यह देखकर देवराज इंद्र को अपनी भूल का अहसास हुआ और तब वह घबराकर भगवान श्रीकृष्ण से अपने किये की क्षमा मांगने गए, लेकिन तब भगवान श्रीकृष्ण काफी नाराज थे और वे उस समय देवराज इंद्र को क्षमा करने के मूड में नहीं थे. राजा इंद्र ने बार-बार क्षमा मांगी, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण नहीं माने.

तब देवराज इंद्र माता सुरभी के पास गए और उनसे भगवान को मनाने की विनती की. तब माता सुरभी ने भगवान श्रीकृष्ण को आज्ञा दी कि ‘देवराज इंद्र को क्षमा कर दो’…माता सुरभी की एक आज्ञा पर भगवान श्रीकृष्ण ने तुरंत देवराज इंद्र को क्षमा कर दिया. ऐसी है गौ माता (Cow) की महिमा.

सभी देवी-देवताओं को एक साथ प्रसन्न करने का उपाय

सुरभी माता की आज्ञा तो भगवान श्रीकृष्ण भी नहीं टाल सकते. गाय की सेवा करने और उसे भोजन कराने का मतलब है, सभी 33 कोटि देवी-देवताओं की सेवा करना और उन्हें भोजन कराना. सभी देवी-देवताओं को एक साथ प्रसन्न करने का सबसे सरल साधन है- गौ सेवा. एक प्रसन्न गाय का आशीर्वाद किसी भी व्यक्ति को मालामाल बना सकता है, वहीं गौ-हत्या को बहुत बड़ा पाप माना गया है.

shri krishna and cow

कहते हैं कि जिस व्यक्ति से गाय प्रसन्न हो जाए, दुनिया की कोई भी ताकत उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती. जिस घर में गौ माता प्रसन्नता के साथ रहती हैं, उस जगह पर देवताओं का निवास हो जाता है. उस घर में कभी किसी तरह की परेशानी नहीं आती. वैसे तो किसी भी भूखे-प्यासे प्राणी को खाना-पानी देना बहुत पुण्य का काम है, लेकिन गाय को भोजन कराने से पुण्य की ही नहीं, कई और बड़े फायदे भी मिलते हैं.

गौ माता बना सकती हैं सारे बिगड़े काम

अगर किसी व्यक्ति के लिए उसकी खरीदी हुई कोई जमीन उसे फल न रही हो, या उसके काम लगातार बिगड़ते ही चले जा रहे हों, तो अगर वह गाय को पालकर उसकी सेवा करके उसे प्रसन्न कर लेता है, तो किसी भी तरह की निगेटिव एनर्जी उसके आसपास भी नहीं फटक पाती, साथ ही उसके सभी काम भी बनने शुरू हो जाते हैं.

गाय के पैरों की धूल में तीर्थों का वास और गाय के गोबर में साक्षात लक्ष्मी जी का वास माना गया है. घर में गाय का गोबर लीपना भी बेहद शुभ माना जाता है. वहीं, गाय के पैरों की धूल का तिलक रोज अपने माथे पर लगाने से सभी तीर्थों का फल मिल जाता है. गाय को आदर सहित स्पर्श करने से पाप नष्ट हो जाते हैं.

गाय का दर्शन कर यात्रा करने से यात्रा सफल होती है. अगर आप किसी शुभ या अच्छे कार्य के लिए जा रहे हैं और जाते समय कोई बछड़ा गाय का दूध पीता हुआ दिख जाए, तो ऐसा देखना बेहद शुभ माना गया है. यानी आप जिस कार्य के लिए जा रहे हैं, उसमें सफलता जरूर मिलती है.

हमारे खेतों और खाने की चीजों के लिए वरदान है गाय का गोबर

केवल धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से ही नहीं, गाय मनुष्यों के लिए हर तरह से बेहद उपयोगी है. गाय का गोबर और गोमूत्र सबसे अच्छे उर्वरक हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, गाय का गोबर और मूत्र दोनों ही कीटनाशक सिद्ध हुए हैं. खेतों में केमिकल्स का छिड़काव करने या रासायनिक खाद डालने की बजाय अगर गोबर खाद और गोमूत्र का इस्तेमाल किया जाता है, तो मिट्टी और फसल दोनों को ही लाभ पहुंचता है. यह खाने की चीजों को जहरीला नहीं बनाता, साथ ही मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और उत्पादन भी ज्यादा होता है. साथ ही, आसपास के वातावरण को भी शुद्ध रखा जा सकता है.

गाय के गोबर और गोमूत्र के ये हैं फायदे

घर के द्वार पर गाय के गोबर को लीपने से कई तरह के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं. इससे टीबी के कीटाणु मर जाते हैं, अत्यधिक गर्मी का प्रकोप कम होता है और ठंडक बनी रहती है, साथ ही यह बहुत शुभ भी माना जाता है. घर में अगर किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा रहती है तो गोमूत्र का छिड़काव करने से वह दूर हो जाती है, साथ ही परिवार के सदस्यों की ग्रहदशा भी अच्छी चलने लगती है. गाय के गोबर से बनी धूप या कंडे जलाने से आसपास के हानिकारक कीटाणु खत्म हो जाते हैं.

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केवल मतलब पूरे हो जाने तक ही नहीं की जानी चाहिए सेवा

गाय को पूजनीय माता का दर्जा दिया गया है, इसीलिए उसका ध्यान अपने घर के सदस्य की तरह ही रखना चाहिए, यानी चाहे वह दूध दे या न दे, उसकी सेवा केवल अपने मतलब पूरे हो जाने तक ही नहीं, उसके रहने तक की जानी चाहिए. उसके बछड़ों की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए. गाय को हरी-हरी घास बहुत पसंद आती है. गाय को रोटी में गुड़ मिलाकर खिलाने से भी अच्छे लाभ मिलते हैं. बस ध्यान इस बात का रखना चाहिए कि गाय को कोई भी खराब हो चुकी या तली-भुनी या फास्ट-फूड जैसी चीज न खिलाएं.

गोपाष्टमी (Gopashtami)

कार्तिक महीने में अलग-अलग त्योहारों की धूम रहती है. हिंदू कैलेंडर के आठवें महीने में कई व्रत-त्योहार और विशेष पूजायें होती हैं, जिनमें भगवान के अलग-अलग अवतारों और उनकी कथाओं और लीलाओं को याद कर उन्हें अपने जीवन में उतारने का प्रयास किया जाता है. ऐसा ही एक मुख्य पर्व है गोपाष्टमी, जो भगवान श्रीकृष्ण और गायों को समर्पित है. इस दिन के माध्यम से भगवान ने पूरी मानव जाति को गायों की महिमा समझाने का प्रयास किया है.

गोपाष्टमी का त्योहार दीपावली के ठीक बाद आने वाले कार्तिक शुक्ल अष्टमी को मनाया जाता है. यह मथुरा, वृंदावन या ब्रज क्षेत्रों के प्रमुख त्योहारों में से एक है. कहते हैं कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गायों को चराने की लीला शुरू की थी और इसीलिए इस दिन श्रीकृष्ण के साथ-साथ गायों की पूजा करने का बड़ा ही महत्व है.

shri krishna-cow

एक लोकप्रिय कथा के अनुसार, इस दिन गोकुल के राजा नंद महाराज ने अपने दोनों पुत्रों बलराम और श्रीकृष्ण को अपनी सभी गायों की देखभाल करने और उन्हें चराने की जिम्मेदारी सौंपी थी. तब नंद बाबा ने गायों को चराने के लिए एक समारोह का आयोजन भी किया था. कहा जाता है कि जिस दिन इस समारोह का आयोजन हुआ था, उसी दिन से गोपाष्टमी का त्योहार मनाने की परंपरा भी शुरू हुई.

इस दिन गायों का पूजन करने और उसे ताजी हरी घास और गुड़-रोटी खिलाने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है. गोपाष्टमी के दिन सुबह-सुबह गायों को स्नान कराके उनके बछड़ों सहित जल, अक्षत, रोली, गुड़, वस्त्र और धूप-दीप आदि से आरती की जाती है. फिर उन्हें हरे-भरे मैदान में अपने साथ स्वतंत्रतापूर्वक चराने के लिए ले जाया जाता है और शाम के समय उन्हें वापस लाकर प्रणाम किया जाता है.



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1 Comment

  1. धन्यवाद सर… आपका हिंदू धर्म के प्रचार-प्रासार मे बहुत बड़ा योगदान है मेरे घर पर 2 गऊ माता है और मुझे विश्वास है कि हमारे परिवार के लिए वो बहुत ही भाग्यशाली है.

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