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Shambuk Vadh in Valmiki Ramayana : श्रीराम ने शम्बूक का वध क्यों किया?

क्या वास्तव में श्रीराम ने शम्बूक का वध केवल इसलिए किया था क्योंकि वह एक शूद्र होकर तप कर रहा था? क्या और कोई कारण नहीं था? और क्या श्रीराम के राज्य में शंबूक ही एकमात्र शूद्र था? […]

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धर्म और अध्यात्म

Bhagwan Shri Krishna Gita : सबसे प्रधान अथवा सबसे श्रेष्ठ कौन है?

गंगा जी के समान तीर्थ नहीं है, श्रीविष्‍णु भगवान से बढ़कर देव नहीं है और गायत्री से बढ़कर जपने योग्य मंत्र न हुआ, न होगा.” गायत्री की इस श्रेष्‍ठता के कारण ही भगवान ने उसे अपना स्वरूप बतलाया है. […]

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Morality and Prosperity : नैतिकता और समृद्धि (Prosperity of a Country)

नैतिकता कोई जेनेटिक गुण नहीं है, यह एक सांस्कृतिक संपत्ति है. और संस्कृति में बदलाव के साथ नैतिकता के स्तर में भी बदलाव आता चला जाता है. 13 जुलाई 1977 को न्यूयॉर्क में इलेक्ट्रिक ग्रिड …. […]

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धर्म और अध्यात्म

Satv Raj Tam Meaning : सत्व, रज, तम के गुण और प्रभाव (सात्विक, राजसिक, तामसिक)

मनुष्य जैसा आहार करता है, वैसा ही उसका अन्तःकरण बनता है और अन्तःकरण के अनुरूप ही उसकी श्रद्धा भी होती है. आहार शुद्ध होगा तो उसके परिणामस्वरूप अन्तःकरण भी शुद्ध होगा. आहार की दृष्टि से भी किसी मनुष्य की पहचान हो सकती है कि वह मनुष्य किस प्रवृत्ति का होगा. […]

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Bahubali Movie Review : भल्लालदेव, बाहुबली और कटप्पा (चरित्र-चित्रण या दृष्टिकोण)

इस फिल्म में एक सीन आता है, जहाँ युद्ध से पहले बाहुबली और भल्लालदेव को परंपरा के नाम पर एक पशु की बलि देने को कहा जाता है. भल्लालदेव तो बड़ी आसानी से पशु की बलि दे देता है, लेकिन … […]

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धर्म और अध्यात्म

मेहनत या भाग्य : पुरुषार्थ या प्रारब्ध? दोनों में कौन है अधिक बलवान?

रघुनन्दन! पूर्वजन्म के तथा इस जन्म के पुरुषार्थं (कर्म) दो भेड़ों की तरह आपस में लड़ते हैं. उनमें जो भी बलवान्‌ होता है, वही दूसरे को क्षणभर में पछाड़ देता है. इस जन्म में किया गया प्रबल पुरुषार्थ अपने बल से पूर्वजन्म के पौरुष या दैव को नष्ट कर देता है और पूर्वजन्म का प्रबल पौरुष इस जन्म के पुरुषार्थ को अपने बल से दबा देता है. उन दोनों में जो अधिक बलवान्‌ होता है, वही विजयी होता है. […]

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Buddha Bhagwan Vishnu Avatar : क्या बुद्ध भगवान विष्णु के अवतार थे? क्या बुद्ध नास्तिक थे?

एक दिन सुबह-सुबह गौतम बुद्ध अपने शिष्यों की सभा में बैठे हुए थे. वहां एक व्यक्ति आया. वह ईश्वर का बहुत बड़ा भक्त था. खूब पूजा-पाठ किया करता था. अब वह बूढ़ा हो रहा था. हालांकि वह जानता था कि ईश्वर है, पर उसके मन में …. […]

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Untouchability in Ancient India : सनातन धर्म में अस्पृश्यता, जातिगत छूआछूत और भेदभाव

मेरे घर का कोई भी सदस्य जब विदेश जाता है तो जब तक वहां रहता है, तब तक सलाद और फ्रूट्स ही खाता रहता है, क्योंकि विदेशों में बनी खाने-पीने की चीजों पर बहुत कम ही भरोसा है. इसी के साथ, हमारी पूरी कोशिश रहती है कि लैदर से बनी कोई चीज हमारे घर पर न आए. […]

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क्या प्राचीन भारत में कोई मनुष्य मांस नहीं खाता था? मांसाहार को लेकर क्या थे नियम?

ब्राह्मण ने व्‍याध से कहा- “तात! यह मांस बेचने का काम निश्‍चय ही तुम्‍हारे योग्‍य नहीं है. मुझे तो तुम्‍हारे इस घोर कर्म से बहुत संताप हो रहा है…” […]

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धर्म और अध्यात्म

Number of Vedas : आरम्भ में वेदों की संख्या कितनी थी? वेदों के 4 भाग कब और क्यों हुये?

अनेक स्थानों पर यह भी कहा गया है कि वेद पहले एक ही था, और महर्षि वेदव्यासजी ने उसके चार भाग किये थे. महाभारत तथा पुराणों में कई स्थानों पर इस ऐतिहासिक तथ्य का उद्घाटन किया गया है. […]