Shri Ram ka Janm : श्रीराम का जन्म कैसे हुआ था?
राजा दशरथ ने खीर का आधा भाग रानी कौशल्या को दिया. फिर बचे हुए का आधा भाग रानी सुमित्रा को दिया. उन दोनों को देने के बाद जितनी खीर बच रही, उसका आधा भाग उन्होंने रानी कैकेयी को दे दिया. तत्पश्चात …. […]
राजा दशरथ ने खीर का आधा भाग रानी कौशल्या को दिया. फिर बचे हुए का आधा भाग रानी सुमित्रा को दिया. उन दोनों को देने के बाद जितनी खीर बच रही, उसका आधा भाग उन्होंने रानी कैकेयी को दे दिया. तत्पश्चात …. […]
“रघुकुलनन्दन! में प्रचेता (वरुण) का दसवां पुत्र हूँ. मेरे मुंह से आज तक कोई झूठी बात नहीं निकली है. मैंने कई हजार वर्षों तक भारी तपस्या की है. मैंने मन, वाणी और क्रिया द्वारा भी पहले कभी कोई पाप नहीं किया है.” […]
आज कुछ लोग प्राचीन भारत के ऐतिहासिक तथ्य भी इस प्रकार से ढूंढकर लाते हैं कि द्रौपदी के पांच पति थे तो इसका मतलब कि उस समय बहुपति विवाह प्रचलित था. राजा दशरथ की तीन रानियां थीं, तो इसका मतलब जनसामान्य में भी बहुपत्नी विवाह प्रचलित होगा … […]
महर्षि अगस्त्य ने अपने सभी श्रेष्ठ आयुध श्रीराम और लक्ष्मणजी को सौंप दिए थे. ऋषि अगस्त्य सीता जी के धर्म और गुणों की बहुत प्रशंसा करते हैं. इसके बाद श्रीराम महर्षि अगस्त्य से पूछते हैं कि … […]
“देवी! राम को राज्य का लोभ नहीं है और भरत पर उनका बड़ा ही प्रेम है. मैं ही अपने मन में बड़े-छोटे का विचार करके राजनीति का पालन कर रहा था. मुझे भरत का राज्याभिषेक स्वीकार है, पर राम को वनवास क्यों? राम ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है…?” […]
“कितनी ही बड़ी आपत्ति क्यों न आ जाए, लेकिन आखिर पुत्र अपने पिता को कैसे मार सकता है अथवा भाई अपने प्राणों के समान प्रिय भाई की हत्या कैसे कर सकता है?” […]
श्रीराम की प्रतिज्ञा को सुनकर सीता जी चिंता में पड़ जाती हैं. वे श्रीराम को अपनी चिंता का कारण भी बताती हैं. […]
शोभा की खान, सुशील और विनम्र सीताजी सदा श्रीराम के अनुकूल रहती हैं. यद्यपि घर में बहुत से दास-दासियाँ हैं और सभी सेवा की विधि में कुशल हैं, फिर भी सीताजी घर की सब सेवा अपने ही हाथों से करती हैं. […]
“यदि इस समय मैं आपकी आँखों पर बंधी अहंकार की पट्टी खोलकर वास्तविक सत्य के दर्शन न कराऊँ तो मैं अपने कर्तव्य पालन से वंचित रह जाऊंगी, क्योंकि हर पत्नी का यह धर्म है कि कुमार्ग पर भटके पति को सत्य की राह पर ले आये.” […]
जापान, कम्बोडिया, मलेशिया, थाईलैंड, ईराक, इंडोनेशिया, बर्मा, पाकिस्तान, भूटान, बाली, जावा, सुमात्रा आदि अनेक देशों में तो पुरातन भित्ति चित्रों, मंदिरों और संग्रहालयों में रामकथा (Ram Katha) मौजूद है. […]
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