Mausam Kaise Badalte Hain : मौसम क्यों और कैसे बदलते हैं?

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(फोटो क्रेडिट : सोशल मीडिया)

How Seasons Are Formed on Earth

हमारी पृथ्वी पर अलग-अलग मौसम कैसे बनते हैं? कैसे सर्दी-गर्मी आती है? इसे लेकर कई लोगों का मानना ​​है कि गर्मियों में पृथ्वी सूर्य के करीब होती है और इसीलिए गर्म होती है, और इसी प्रकार सर्दियों में पृथ्वी सूर्य से सबसे अधिक दूर होती है.

हालाँकि यह उत्तर आसानी से समझ में तो आ जाता है, लेकिन यह इस प्रश्न का सही उत्तर नहीं है. यह सच है कि पृथ्वी की कक्षा एक पूर्ण वृत्त नहीं है, अण्डाकार है. मतलब कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अण्डाकार कक्षा में घूमती है. लेकिन सालभर में सूर्य से पृथ्वी की दूरी में होने वाले इस बदलाव से हमारे मौसम पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता. पृथ्वी पर मौसम इसलिए हैं क्योंकि इसकी धुरी सीधी नहीं है.

पृथ्वी की धुरी एक काल्पनिक रेखा है जो पृथ्वी के केंद्र से ‘ऊपर’ से ‘नीचे’ तक जाती है. पृथ्वी इस धुरी पर घूमती है, और प्रत्येक 24 घंटों में अपनी धुरी पर एक पूरा चक्कर लगाती है. पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है, इसलिए सूर्य और चंद्रमा आकाश में पूर्व से पश्चिम की ओर घूमते प्रतीत होते हैं. पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना ‘घूर्णन’ (Rotation) कहलाता है. इसी से हमारे पास दिन और रात होते हैं, और इसी से पृथ्वी की सतह के हर हिस्से को कुछ न कुछ मिलता है.

पृथ्वी की धुरी का 23.5 डिग्री झुकाव ग्रह की सतह तक पहुंचने वाले सूर्य के प्रकाश की मात्रा को पूरे वर्ष में बदल देता है, जिससे वसंत, ग्रीष्म, पतझड़ और सर्दियों का पैटर्न बनता है. पृथ्वी के घूमने से सागरों और महासागरों में ज्वार-भाटा आता है.

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पृथ्वी के झुकने का कारण क्या है (Why is the earth tilted 23.5 degrees)?

पृथ्वी अपने अक्ष या धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी हुई क्यों है? इसे लेकर कुछ वैज्ञानिकों का यह मानना है कि थिया नाम का एक दुष्ट ग्रह पृथ्वी से टकरा गया था, जिससे पृथ्वी थोड़ा झुक गई और जिससे निकले मलबे और धूल से ही बाद में हमारे चंद्रमा का निर्माण हुआ.

माना जाता है कि बहुत समय पहले कोई बड़ा सा पिण्ड आकर पृथ्वी से टकराया, और इसलिए यह अपनी धुरी पर थोड़ा सा झुक गई. पृथ्वी से टकराने वाली उस बड़ी चीज को थिया (Theia) कहा जाता है. इससे पृथ्वी की सतह पर एक बड़ा छेद भी हो गया. उस बड़े प्रहार ने भारी मात्रा में धूल और मलबा भी कक्षा में भेज दिया. अधिकतर वैज्ञानिकों का मानना है कि यही मलबा बाद में जाकर हमारा चंद्रमा बन गया.

धुरी अपनी कक्षा पर एक ही दिशा (पूर्व) में झुकी हुई है. सूर्य की परिक्रमा करते समय पृथ्वी सदैव एक ओर झुकी रहती है. अत: पूरे साल पृथ्वी के अलग-अलग भागों को सूर्य की सीधी किरणें मिलती रहती हैं. कभी पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर आ जाता है (जून के आसपास) और कभी दक्षिणी ध्रुव सूर्य की ओर आ जाता है (दिसंबर के आसपास).

प्रत्येक गोलार्ध में ऋतुओं का समय विपरीत होता है. जब एक गोलार्ध सूर्य की ओर झुका होता है, तो वहां गर्मी होती है, जबकि दूसरा गोलार्ध जो सूर्य से दूर होता है, वहां सर्दी होती है. इन ऋतुओं के बीच में वसंत और पतझड़ (Spring and Autumn) आते हैं.

उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) में जून में गर्मी होती है क्योंकि उस समय सूर्य की किरणें पृथ्वी के उस हिस्से पर अधिक सीधी पड़ती हैं. उत्तरी गोलार्ध में दिसंबर में सर्दी होती है, क्योंकि उस समय दक्षिणी ध्रुव (South Pole) के सूर्य की ओर झुकने की बारी आती है.

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पृथ्वी का पेरिहेलियन और अपहेलियन (Earth’s perihelion and aphelion)

पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर एक निश्चित पथ पर घूमना परिक्रमण (Revolution) कहलाता है. पृथ्वी पश्चिम से पूर्व अर्थात वामावर्त दिशा में (Anti-clockwise Direction) घूमती है. सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की एक परिक्रमा में लगभग एक वर्ष या ठीक 365.242 दिन लगते हैं. पृथ्वी की परिक्रमण गति 30 किमी/सेकण्ड -1 है .

पेरीहेलियन तब होता है जब पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट होती है. इस समय पृथ्वी सूर्य से 147 मिलियन किमी दूर होती है. अपहेलियन या अपसौर तब होता है जब पृथ्वी सूर्य से सबसे दूर होती है. इस समय पृथ्वी सूर्य से 152 मिलियन किमी दूर होती है.

Earth’s Perihelion (सूर्य के निकटतम बिंदु) = सूर्य से 9,14,00,000 मील
Earth’s Aphelion (सूर्य से सबसे दूर बिंदु) = सूर्य से 9,45,00,000 मील

अपहेलियन (जब पृथ्वी सूर्य से सबसे दूर होती है) जुलाई में होता है, और पेरीहेलियन (जब हम सबसे करीब होते हैं) जनवरी में होता है. हममें से जो उत्तरी गोलार्ध में रहते हैं, जहां जुलाई में गर्मी और जनवरी में सर्दी होती है, तो उनके लिए यह उल्टा लगता है ना? इससे यह सिद्ध होता है कि सूर्य से दूरी पृथ्वी पर ऋतुओं का कारण नहीं है.

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पृथ्वी की परिक्रमा और पृथ्वी की धुरी का एक निश्चित दिशा में झुकाव ऋतुओं का कारण बनता है. पृथ्वी की धुरी का झुकाव ऋतुओं के उत्पन्न होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण है. पूरे वर्ष, पृथ्वी के अलग-अलग भागों को सूर्य की सीधी किरणें प्राप्त होती हैं. जब उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर आ जाता है, तो उत्तरी गोलार्ध में गर्मी होती है. और जब दक्षिणी ध्रुव सूर्य की ओर आ जाता है, तो उत्तरी गोलार्ध में सर्दी होती है.

एक वर्ष को चार ऋतुओं में बांटा गया है- वसंत, ग्रीष्म, शरद ऋतु और सर्दी (Spring, Summer, Autumn and Winter). गर्मी सबसे लंबे दिनों और सबसे गर्म तापमान वाला मौसम है, जबकि सर्दी इसके विपरीत होती है. वसंत उस समय को रिप्रेजेंट करता है जब दिन लंबे होने लगते हैं, और सूरज की रोशनी अधिक होने लगती है.

21 जून को उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर होता है, तब इन क्षेत्रों में अधिक गर्मी पड़ती है क्योंकि सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं. 22 दिसंबर को दक्षिणी ध्रुव के सूर्य की ओर आ जाने के कारण मकर रेखा पर सूर्य की सीधी किरणें पड़ती हैं. 23 सितंबर को उत्तरी गोलार्ध में शरद ऋतु का मौसम होता है जबकि दक्षिणी गोलार्ध में वसंत का मौसम होता है. 21 मार्च को उत्तरी गोलार्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्ध में शरद ऋतु होती है.

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