CDS General Bipin Rawat
8 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के कुन्नूर (Coonoor, Nilgiris, Tamil Nadu) में हुए एक हेलीकॉप्टर हादसे में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत जी (General Bipin Rawat) का निधन पूरे राष्ट्र के लिए एक बड़ा आघात है. जनरल बिपिन रावत के साथ इस हेलीकॉप्टर में उनकी पत्नी मधुलिका रावत (Madhulika Rawat) और 12 अन्य लोग सवार थे. इस हादसे में हेलीकॉप्टर में सवार जनरल रावत और उनकी पत्नी समेत 13 लोग शहीद हो गए. इस हादसे से आज पूरा देश दुखी है और नम आंखों से सभी शहीदों को याद और नमन कर रहा है.
भारत के सैन्य तंत्र को नए तेवर और आकार देने, दुश्मन को हर चुनौती पर निडर होकर खरी बात कहने वाले जनरल रावत का इस तरह अचानक जाना देश का एक श्रेष्ठ सुरक्षा रणनीतिकार से वंचित होना भी है. उनकी निडरता, निर्भीकता और असाधारण उपलब्धियां सेना के प्रति देश के विश्वास का आधार बनीं. उनके अतुलनीय योगदान और शौर्य को पूरा देश हृदय से प्रणाम करता है.
देश के लिए क्यों महत्वपूर्ण है CDS का पद?
जनरल बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) नियुक्त किए गए थे. उन्होंने 1 जनवरी 2020 को यह पद सम्भाला था. 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil war) के बाद देश की सुरक्षा को लेकर उठाए गए कई कदमों में एक कदम देश के CDS (यानी तीनों ही सेनाओं का एक अधिकारी) की नियुक्ति भी था. एक ऐसा पद जो तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बिठाकर एक रणनीति तय कर सके, क्योंकि अब भारत अलग-अलग नजरिए से आगे नहीं बढ़ना चाहता.
कारगिल युद्ध के बाद बनी कमेटी ने रक्षा मंत्री के सलाहकार के रूप में देश में एक CDS की नियुक्ति का सुझाव दिया था, जिसके बाद से ही इस पद को लेकर मंथन चल रहा था. साल 2019 में लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद CDS नियुक्त करने की प्रक्रिया तेज हो गई, जिसमें उन्होंने तीनों सेनाओं के बीच तालमेल सुनिश्चित करने की बात कही थी. यह तय किया गया कि 4 स्टार जनरल को CDS बनाया जाएगा.
इस पद की जरूरत इसलिए है ताकि- तीनों सेनाओं को समान गति से आगे बढ़ाया जा सके. सेनाओं के बीच सहयोग और एकता को बढ़ाया जा सके. जिस तरह से युद्ध और सुरक्षा के हालात बदल रहे हैं, सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे में फैसले लेने के लिए सैन्य विशेषज्ञों की जरूरत होती है.
CDS की भूमिका और जिम्मेदारी
CDS तीनों सेनाओं के बीच रणनीतिक सहयोग और समन्वय को बढ़ाने के साथ-साथ रक्षा से जुड़े मामलों में प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के एक सलाहकार के रूप में भी काम करते हैं. इसके लिए रक्षा मंत्रालय में ‘डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स’ के नाम से एक नया विभाग भी बनाया गया है, जिसका सचिव CDS को बनाया गया है. यह विभाग केवल सैन्य क्षेत्र का ही काम देखने के लिए बनाया गया है. जब रक्षा विभाग देश के दूसरे बड़े मामलों से निपट रहा हो, तो उस समय सशस्त्र बल इस विभाग की सीमा में होते हैं.
CDS का उद्देश्य ट्रेनिंग, व्यवस्था, स्टाफ और अलग-अलग अभियानों के लिए देश की सेनाओं को एक करना होता है. इसी के साथ, इस पद का उद्देश्य सैन्य सलाह की गुणवत्ता और सैन्य मामलों में विषय विशेषज्ञता को बढ़ाना भी है, ताकि राजनीतिक नेतृत्व को इन सेवाओं के बारे में ठीक से जानकारी मिलती रहे.
किसी भी युद्ध के समय तीनों सेनाओं को एक करना एक बड़ी चुनौती होती है. पिछले युद्धों में तीनों सेनाओं के बीच समन्वय की कुछ कमी महसूस की गई थी, इसी कमी को दूर करने के लिए CDS का पद बनाया गया है. CDS की नियुक्ति का सबसे बड़ा उद्देश्य और फायदा यही है कि अलग-अलग जिम्मेदारियों के बीच भी तीनों सेनाएं एक रहें, उनके बीच सहयोग और समन्वय बना रहे और युद्ध में मिलकर बेहतर तरीके से लड़ सकें.
CDS के पद के लिए जनरल रावत का नाम था सबसे आगे
जब सरकार ने CDS के पद को स्वीकृति दी, तो उस समय इस पद के लिए थल सेना अध्यक्ष रहे जनरल बिपिन रावत का नाम ही सबसे आगे रहा था. उनके बाद तत्कालीन नौसेना प्रमुख एडमिरल कर्मबीर सिंह का नाम था. बिपिन रावत 16 दिसंबर 1978 को सेना की 11 गोरखा राइफल्स में शामिल हुए थे. 31 दिसंबर 2019 को सेवानिवृत्ति के अगले ही दिन उन्होंने देश के पहले CDS का पद संभाल लिया था. तब उनके स्थान पर मनोज मुकुंद नरवणे को नया सेनाध्यक्ष बनाया गया था.
जनरल बिपिन रावत
अलग-अलग तरह की कठिन सुरक्षा चुनौतियों से जूझ रहे देश को 2020 में जनरल बिपिन रावत के रूप में पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (First Chief of Defense Staff-CDS) मिला. जनरल रावत की छवि एक ‘सख्त अफसर और सरल इंसान’ की थी. वह सख्त और सटीक फैसले लेने के लिए जाने जाते थे. उनके साथ काम करने वाले सभी सैन्य अधिकारी और जवान उन्हें असली हीरो कहते हैं. उन्हें जानने वाला हर नागरिक उनकी प्रतिभा और समर्पण का कायल है.
जनरल रावत ने अपने करियर की शुरुआत 20 वर्ष की उम्र में साल 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल की 5वीं बटालियन से की थी. उस समय वो सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट के पद पर थे. इसके बाद वो लेफ्टिनेंट बने, फिर सेना में ही उन्हें कैप्टन और मेजर की रैंक मिली. साल 2007 में ब्रिगेडियर बनने के 10 साल बाद साल 2017 में उन्हें थल सेना का अध्यक्ष बनाया गया. फिर जनवरी 2020 में वो देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) नियुक्त किए गए. अपनी 43 सालों की सेवा में उन्होंने कई अहम और बड़े फैसले लिए और उन्हें अंजाम तक पहुंचाया. आज पूरा देश भीगी आंखों से उन्हें याद कर रहा है.
Copyrighted Material © 2019 - 2024 Prinsli.com - All rights reserved
All content on this website is copyrighted. It is prohibited to copy, publish or distribute the content and images of this website through any website, book, newspaper, software, videos, YouTube Channel or any other medium without written permission. You are not authorized to alter, obscure or remove any proprietary information, copyright or logo from this Website in any way. If any of these rules are violated, it will be strongly protested and legal action will be taken.
Be the first to comment