World Hindi Day : हिंदी में पेपर लिखने की सजा?? इसीलिए पूरी शान के साथ बोलिए हिंदी

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हिंदी की वर्तमान स्थिति, चुनौतियां

World Hindi Day (Hindi Diwas)

10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day) था. कई सालों पहले स्कूल में सुनी एक न्यूज याद आ गई… मेडिकल का एक स्टूडेंट, जिसने अपना सेमेस्टर एग्जाम अंग्रेजी (English) के बजाय हिंदी (Hindi) में दिया था, उसकी कॉपी बिना पढ़े और बिना चेक किए ही पूरी काट दी गई और उसमें उसकी बैक लगा दी गई. उस स्टूडेंट का क्या हुआ था, इसकी मुझे ठीक-ठीक जानकारी नहीं हैं, इसलिए यहां नहीं लिखूंगी… लेकिन जब बाद में उसके माता-पिता ने जैसे-तैसे अपने बेटे की कॉपी निकलवाकर चेक करवाई, तो सब उस स्टूडेंट की कॉपी देखकर दंग रह गए थे.

उस स्टूडेंट ने अपने टॉपिक को जिस तरह से समझाकर लिखा था, उससे साफ-साफ पता चल रह था कि उसने किस हद तक मेहनत की थी और खुद से प्रैक्टिकल कर-करके कितना ज्ञान इकट्ठा किया था. लेकिन उसे शायद ये लगा होगा कि वह अपनी नॉलेज जितने अच्छे से अपनी बोलचाल की भाषा में समझा सकता है, उसे अंग्रेजी में नहीं समझा पाएगा,

उसे लगा होगा कि उसकी भाषा से ज्यादा उसके कंटेंट और उसकी मेहनत को महत्व दिया जाएगा, इसलिए उसने अपना पेपर हिंदी में लिखा, लेकिन पेपर चेक करने वालों ने हिंदी देखते ही उसके कंटेंट को एक बार पढ़ना भी जरूरी नहीं समझा और उसकी पूरी कॉपी काटकर बैक लगा दी… आप बताइए कि जब बच्चों का भविष्य ऐसे लोगों के हाथों में हो, तो देश में मौजूदा बेरोजगारी का दोष मुख्य रूप से किसे दिया जाना चाहिए.

इंग्लिश मीडियम स्कूलों के छात्रों की समस्या

इसी तरह आज ज्यादातर इंग्लिश मीडियम स्कूलों (English medium schools) में टीचर्स का सेलेक्शन इस आधार पर ज्यादा होता है कि वे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलना जानते हैं या नहीं. भले ही उन्हें अपने विषय पर अच्छी नॉलेज या पकड़ न हो, भले ही उन्हें अपने विषय को ठीक से समझाना न आता हो, लेकिन फिर भी उन्हें बच्चों को पढ़ाने के लिए केवल इसलिए सेलेक्ट कर लिया जाता है, क्योंकि वे अंग्रेजी अच्छी बोल लेते हैं.

इसके ज्यादातर कैसे रिजल्ट्स सामने आते हैं, ये भी हमने देखा है. मेरे घर पर बहुत सारे हाईस्कूल स्टूडेंट्स जो मैथ्स पढ़ने के लिए आते हैं, वे अंग्रेजी तो ठीक से बोल लेते हैं, लेकिन उन्हें मैथ्स का बेसिक भी नहीं आता. इंग्लिश मीडियम स्कूलों के बहुत से छात्रों की ये समस्या है कि उनके टीचर्स केवल अंग्रेजी में ही पढ़ाते हैं और अंग्रेजी में ही बात करते हैं, जिससे वे विषय को ठीक से नहीं समझ पाते और न ही ठीक से कोई सवाल पूछने की हिम्मत कर पाते हैं.

आयरलैंड में भारत के राजदूत ने उठाए ये सवाल?

आयरलैंड में भारत के राजदूत अखिलेश मिश्र (Akhilesh Mishra) ने हाल ही में हिंदी को लेकर ऐतिहासिक गलतियों की तरफ इशारा किया है. उन्होंने सवाल किया है कि स्वतंत्र भारत का पहला भाषण किस भाषा में दिया गया था? और उसे कितने लोगों ने समझा होगा? उन्होंने संविधान को हिंदी में ही न लिखे जाने पर भी कटाक्ष किया, साथ ही उसके अनुवाद की मौलिकता पर भी सवाल उठाए हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के प्रधानमंत्री बनने के बाद वह हिंदी को लेकर काफी आशान्वित हैं. उनका मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को यथोचित गर्व और आत्मसम्मान दिलाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं.

शान से हिंदी बोलने का नतीजा

इंटरमीडिएट में मेरे स्कूल में एक लड़की आई थी, वह फिजिक्स में बहुत ज्यादा अच्छी थी. वह स्कूल की शायद पहली स्टूडेंट थी, जो बहुत ही शानदार शुद्ध हिंदी बड़ी शान से बोलती थी. उसका असर भी साफ दिखने लगा था. स्कूल में सारे प्रोग्राम शुद्ध हिंदी में ही होने लगे थे, यहां तक कि क्रिश्चियन स्कूल होने के बावजूद वहां हिंदी के दोहा-चौपाइयों की अंताक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन शुरू हो गया था. वह लड़की कहती थी, “चाहे जो हो जाए, हमेशा हिंदी ही बोलूंगी और लिखूंगी. जहां भी रहूंगी, वहीं हिंदी को लोकप्रिय बना दूंगी”.

आज कुछ ऐसे ही लोगों का असर है, जिससे हिंदी के प्रभाव को स्वीकार करना आज बहुत सी बड़ी-बड़ी कंपनियों की भी मजबूरी बन चुकी है. आप भी देख रहे होंगे कि बड़े-बड़े न्यूज चैनल्स, संस्थान आदि हिंदी में भी खुल रहे हैं, क्योंकि अब सब समझ चुके हैं कि देश में हिंदी बोलने वालों और हिंदी से प्यार करने वालों की कमी नहीं, संख्या बहुत ज्यादा है. दुनिया में बोली जाने वाली सभी भाषाओं में हिंदी 5वीं सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, इन हिंदी भाषियों को नजरअंदाज करना किसी भी संस्थान के हित में नहीं.

शर्म से नहीं, गर्व से बोलिए अपनी ‘हिंदी’

इसीलिए हिंदी से प्यार करने वालों को शान से और पूरे गर्व के साथ हिंदी बोलना और लिखना चाहिए. अपनी मातृभाषा को इतना महत्व देना चाहिए, कि एक दिन इसे नजरअंदाज करना किसी के लिए भी असंभव सा हो जाए. इतनी अच्छी हिंदी बोलिए, इतने शान से बोलिए कि आपके सामने किसी को भी अपनी अंग्रेजी झाड़ने में शर्म महसूस होने लगे. हमारी मातृभाषा को इतना सम्मान जरूर मिलना चाहिए, कि किसी भी व्यक्ति की प्रतिभा को अंग्रेजी के पैमाने से न आंका जाए.

किसी भी छात्र का ध्यान या फोकस उसके विषय पर हो, न कि इस पर कि अपने ही देश में उसे अपने विषय को किस भाषा में बोलना या समझाना है. दूसरी भाषाओं का ज्ञान जरूरी है, क्योंकि भाषा ही विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम है, लेकिन भाषा का ज्ञान होना ही प्रतिभा है, ये जरूरी नहीं. हां, अपनी भाषा पर अच्छी पकड़ होना जरूर प्रतिभा है.

विश्व हिंदी दिवस

हर साल 14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस और 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day) मनाया जाता है. 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में पहले विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसकी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ही हर साल यह दिन मनाया जाता है. इस सम्मेलन का उद्देश्य दुनियाभर में हिंदी को बढ़ावा देना था. यह दिवस पहली बार साल 2006 में मनाया गया था. हिंदी देवों की भाषा संस्कृत (Sanskrit) से ही निकली है. हिंदी भारत की मातृभाषा है और देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, इसीलिए हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सबसे सरल और सबसे बड़ा स्रोत यही है.

-Aditi Singhal (मेरी कलम से)

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