What is Cyclone : चक्रवात क्या हैं और कितने प्रकार के होते हैं, ये कैसे और क्यों बनते हैं?

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Cyclone : चक्रवात क्या हैं, चक्रवात कैसे और क्यों बनते हैं?

हवाओं का लगातार बदलता हुआ चक्र, जिसके केंद्र में निम्न वायुदाब और बाहर उच्च वायुदाब होता है, ‘चक्रवात’ या ‘तेज गोलाकार तूफान’ कहलाता है. चक्रवात बनने के मुख्य कारण हैं- तापमान बढ़ने से समुद्री सतह का गर्म होना, कोरिओलिस बल और वायुमंडल में नमी की अधिकता आदि.

(A variable and unstable cycle of winds, with low air pressure in the center and high air pressure outside, is called a ‘cyclone’. Cyclone is usually center of low pressure).

या

चक्रवात निम्न दाब (Low Pressure) के ऐसे क्षेत्र होते हैं, जिनके चारों तरफ सकेंद्रीय समदाब रेखाएं (Central Isobaric Lines) विस्तृत होती हैं (फैलती हैं) और केंद्र से बाहर की ओर वायुदाब बढ़ता जाता है. जिस कारण परिधि से केंद्र की ओर पवनें प्रवाहित होने लगती हैं.

चक्रवात क्या है (What is a Cyclone)- चक्रवात या साइक्लोन (Cyclone) कम दबाव वाला क्षेत्र (Low pressure area) होता है, जिसमें हवाएं अंदर की ओर घूमती रहती हैं. चक्रवात की वजह से तूफानी हवाओं के साथ भारी वर्षा हो सकती है. उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) में चक्रवात वामावर्त (Anti-clockwise) घूमते हैं और दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणावर्त (Clockwise) घूमते हैं. आमतौर पर चक्रवात गोलाकार, अंडाकार या ‘V’ आकार के होते हैं. चक्रवात बनने और इसके तेज होने की प्रक्रिया को साइक्लोजेनेसिस (Cyclogenesis) कहा जाता है.

चक्रवात वर्षा और तापक्रम की दशाओं को प्रभावित करते हैं. इस कारण मौसम और जलवायु के निर्धारण में इनका पर्याप्त महत्त्व होता है.

चक्रवात के प्रकार (Types of cyclone) उत्पत्ति के क्षेत्र के आधार पर चक्रवात मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-

उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone) –
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Extra-tropical cyclone या Temperate cyclones)

चक्रवातों को अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है-

अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत महासागर में इसे ‘हरिकेन’ (Hurricanes), दक्षिण पूर्व एशिया में इसे ‘टाइफून’ (Typhoons) और ऑस्ट्रेलिया के आसपास हिंद महासागर और पश्चिमी प्रशांत महासागर में इसे ‘चक्रवात’ (Cyclone) ही बुलाया जाता है.

चक्रवात केवल पृथ्वी पर ही नहीं होते हैं, बल्कि ये मंगल, बृहस्पति और नेपच्यून (वरुण) जैसे अन्य ग्रहों पर भी देखे जाते हैं. ‘द ग्रेट रेड स्पॉट’ बृहस्पति पर चल रहा तूफान या चक्रवात है, जो करीब 340 सालों से चल रहा है. इसी प्रकार नेपच्यून के दक्षिणी गोलार्ध में ‘ग्रेट ब्लैक स्पॉट’ देखा गया है.

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चक्रवात कैसे बनते हैं-
(How cyclones are formed)-

आसान भाषा में कहें तो-

जिस स्थान पर सूर्य की किरणें लंबवत या सीधी पड़ती हैं, उस स्थान का तापमान बढ़ जाता है. जब सूर्य की तेज किरणों के कारण सागर के ऊपर चलने वाली हवाएं गर्म हो जाती हैं, तो वे हवाएं गर्म होकर तेजी से ऊपर उठने लगती हैं और अपने पीछे एक कम दबाव का क्षेत्र (Area of ​​Low Pressure) छोड़ जाती हैं (यानी यहां वायुदाब कम हो जाता है). हवा के ऊपर उठ जाने के कारण वहां एक खालीपन पैदा हो जाता है.

अब इस खाली जगह को भरने के लिए आसपास की ठंडी हवाएं तेजी से दौड़कर आती हैं, लेकिन पृथ्वी के अपनी धुरी पर लट्टू की तरह घूमने के कारण इन हवाओं का रुख अंदर की तरफ मुड़ जाता है और फिर हवा तेजी से घूमती हुई ऊपर की ओर उठने लगती है. यह सिलसिला चलता रहता है.

जब हवा की स्पीड बहुत तेज हो जाती है, तो यह घूम-घूमकर एक बहुत विशाल आकार का घेरा बनाने लगती है. इन हवाओं की रफ्तार सैकड़ों किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा होती है.

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Explanation (उष्णकटिबंधीय चक्रवात से समझिये):-

उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical cyclones) 320 किलोमीटर के व्यास (Diameter) के साथ चलने वाली कॉम्पैक्ट गोलाकार हवाएं हैं, जो कम दबाव के क्षेत्र के चारों ओर घूमती हैं. ये चक्रवात भूमध्य रेखा या विषुवत रेखा (Equator) के पास गर्म समुद्री पानी के ऊपर बनते हैं. समुद्र की सतह के पास गर्म नम हवा ऊपर की ओर उठती है, जिससे यह सतह के पास एक कम दबाव का क्षेत्र (Low air pressure area) बनाती है.

इसके कारण आसपास के क्षेत्रों से ठंडी हवा इस कम दबाव वाले क्षेत्र की तरफ चलने लगती है. अब पृथ्वी के घूमने के कारण लग रहे बल की वजह से यह ठंडी हवा भी गर्म और नम होकर ऊपर उठ जाती है. यह चक्र चलता रहता है. जो गर्म नम हवा ऊपर उठती है, वह हवा में पानी को ठंडा करती है, जिस कारण बादलों का निर्माण होता है. बादलों और हवाओं की यह पूरा सिस्टम घूमता और बढ़ता रहता है.

यह पूरा चक्र जारी रहता है, जिस वजह से एक चक्रवात (Cyclone) बनने लगता है. जब यही सब होते-होते हवाओं की स्पीड 63 मील प्रति घंटे तक पहुंच जाती हैं, तो इसे उष्णकटिबंधीय तूफान (Tropical Storm) कहा जाता है. और जब हवाओं की स्पीड 119 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो जाती है, तो इसे उष्णकटिबंधीय चक्रवात या तूफान (Tropical cyclone or Hurricane) कहा जाता है.


उष्ण कटिबंधीय चक्रवात- विनाशकारी चक्रवात
(What is Tropical Cyclones)-

उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के महासागरों से बनने वाले चक्रवातों को ‘उष्ण कटिबंधीय चक्रवात’ कहते हैं.

उष्णकटिबंधीय चक्रवात अत्यंत शक्तिशाली और विनाशकारी होते हैं. ये चक्रवात उष्ण-कटिबंधीय महासागरों की सतह पर उत्पन्न होते हैं और तटीय क्षेत्रों की तरफ बढ़ते हैं.

निम्न वायुमंडलीय दबाव, तीव्र पवन प्रवाह और भारी बारिश इनकी मुख्य विशेषताएं हैं.

उष्णकटिबंधीय चक्रवात (ग्रीष्मकाल में) तब बनते हैं, जब समुद्र की सतह का तापमान 27° सेल्सियस से ज्यादा हो जाए. ये चक्रवात पूर्व से पश्चिम दिशा की तरफ घूमते हैं.

ये चक्रवात मुख्य रूप से कैरेबियन सागर, चीन सागर, हिंद महासागर और ऑस्ट्रेलिया से बनते हैं. ये चक्रवात 5° से 30° उत्तर और 5° से 30° दक्षिणी अक्षांशों के बीच बनते हैं.

दरअसल, भूमध्य रेखा के दोनों तरफ 5° से 8° अक्षांशों वाले क्षेत्रों में कोरिऑलिस बल (पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के कारण लगने वाला बल) कम होता है, जिस वजह से आमतौर पर इन स्थानों पर चक्रवात नहीं बनते हैं.

उष्णकटिबंधीय चक्रवात कर्क और मकर रेखाओं के बीच के महासागरीय क्षेत्र में बनते हैं, और इसके बाद ये स्थलीय क्षेत्र की तरफ बढ़ जाते हैं.

ये बहुत विनाशकारी चक्रवाती तूफान होते हैं. लेकिन ये चक्रवात हर समय गतिशील (Dynamic) नहीं होते हैं. कभी-कभी ये एक ही स्थान पर कई दिनों के लिए रुक जाते हैं और तेज बारिश करते हैं.

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में हवाओं की स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटे से 225 किलोमीटर प्रति/घंटे तक हो सकती है.

भारत में अप्रैल से नवंबर के बीच अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बनने वाले कम दबाव के क्षेत्रों की वजह से ये चक्रवात आते हैं. इनकी स्पीड आमतौर पर 40-50 किलोमीटर प्रति/घंटा होती है, लेकिन अगर स्पीड इससे ज्यादा हो जाए तो विनाश देखने को मिलता है.

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Latitude Lines (पृथ्वी पर अक्षांश रेखाएं और तापमान का बंटवारा)

शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात
(Extra-tropical cyclone/Temperate cyclones)-

शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात मुख्य रूप से उत्तरी अटलांटिक महासागर, भूमध्य सागर, उत्तरी प्रशांत महासागर और चीन सागर से बनते हैं.

ये चक्रवात ठंडी और गर्म, यानी दो विपरीत गुणों वाली हवाओं के मिलने से बनते हैं.

ये चक्रवात दोनों गोलार्द्धों (उत्तरी और दक्षिणी) में 35° से 65° अक्षांशों के बीच पाए जाते हैं.

पछुआ पवनों (Westerly wind) के कारण ये चक्रवात अक्सर पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर घूमते हैं.

ये चक्रवात उत्तरी गोलार्द्ध में केवल सर्दियों के मौसम में बनते हैं, जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में जलीय भाग के ज्यादा होने के कारण ये सालभर बनते रहते हैं.

इनका आकार अंडाकार, गोलाकार, या अर्द्ध-गोलाकार या ‘V’ आकार का होता है, जिस वजह से इन्हें ‘निम्न गर्त’ या ‘ट्रफ’ (Trough) भी कहा जाता है.

Extra Points-

♦ उष्ण कटिबंधीय चक्रवात के सेंटर में शांत क्षेत्र (Calm zone) पाया जाता है, जिसे ‘चक्रवात की आंख (Eye of the cyclone)’ कहते हैं, जबकि शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Temperate cyclone) में ऐसा नहीं होता है.

♦ अरब सागर में बनने वाले चक्रवात, बंगाल की खाड़ी से बनने वाले चक्रवातों की तुलना में कमजोर होते हैं. अरब सागर में कमजोर चक्रवातों के बनने का कारण है- समुद्र का ठंडा पानी.

♦ भूमध्यरेखीय क्षेत्रों (Equatorial Regions) में चक्रवाती सिस्टम नहीं बनते हैं, क्योंकि अक्षांश 5° उत्तर और 5° दक्षिण के बीच कोरिओलिस बल बहुत ही कम होता है.

♦ एक अनुमान के मुताबिक, हर साल दुनियाभर में 70 से 90 चक्रवाती सिस्टम तैयार होते हैं. हर साल करीब 2-4 उष्णकटिबंधीय चक्रवात भारत के अलग-अलग राज्यों को प्रभावित करते हैं. चक्रवातों से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र भारत का पूर्वी तट है, जिसमें तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.

वायुदाब क्या है (What is Air Pressure)-

सरल शब्दों में, पृथ्वी पर वायु द्वारा लगने वाले दाब को वायुदाब (Air Pressure) कहते हैं. इसे वायुमंडलीय दाब (Atmospheric Pressure) भी कहा जाता है. किसी भी क्षेत्र में वायु की मात्रा का बढ़ जाना वायुदाब को बढ़ाता है और वायु की मात्रा का घट जाना वायुदाब को कम करता है.

वायुदाब को बैरोमीटर (Barometer) से मापते हैं. पृथ्वी का औसत वायुदाब 76 सेमी होता है. अगर किसी क्षेत्र में बैरोमीटर का पैमाना 76 सेमी से ऊपर जाए, तो यह साफ मौसम का संकेत होता है. और अगर बैरोमीटर का पैमाना धीरे-धीरे 76 सेमी से नीचे जाए, तो इसका मतलब कि उस क्षेत्र में बारिश होने वाली है. और अगर बैरोमीटर का पैमाना तेजी से 76 सेमी से नीचे जाए, तो यह आंधी-तूफान की संभावना दर्शाता है.

फिर से-
अगर बैरोमीटर का पैमाना बहुत तेजी से कम हो तो यह आंधी-तूफान की सम्भावना को दर्शाता है और अगर धीरे-धीरे कम हो तो यह वर्षा की सम्भावना को दर्शाता है और अगर बैरोमीटर के पैमाने में वृद्धि हो तो मौसम साफ रहेगा.


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About Sonam Agarwal 237 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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