Best Utensils for Cooking Eating according to Ayurveda (कौन से बर्तन में खाना बनाना और खाना चाहिए)?
हमारे शरीर के लिए जितना जरूरी सही समय पर सही खानपान (Right food) है, उतना ही जरूरी ये भी है कि हमारा खाना सही बर्तनों (Cooking Utensils) में बनाया जाए. हम जिस चीज के बने बर्तनों में खाना बनाते हैं, या खाना खाते हैं, उसके तत्व हमारे खाने में और हमारे पेट में चले जाते हैं. इसीलिए ये बहुत जरूरी है कि खाना बनाने वाले और खाने वाले बर्तनों का चुनाव सही हो, नहीं तो घर पर बना खाना भी हमारे लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. आज हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि किस बर्तन में बना खाना कितना फायदेमंद या नुकसानदेह होता है-
एल्युमिनियम के बर्तन (Aluminum utensils)
कहते हैं कि अंग्रेजों के जमाने में जेल के कैदियों को एल्युमिनियम के बर्तनों (Aluminum utensils) में बना खाना एल्युमिनियम की थालियों में ही दिया जाता था, ताकि उनकी शारीरिक क्षमता गिरती चली जाए. वही एल्युमिनियम के बर्तन आज लगभग हर घर में दिख जाते हैं.
एल्युमिनियम के बर्तनों में खाना पकाना स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक होता है. एल्युमिनियम गर्म होने के साथ बहुत तेजी से रासायनिक प्रतिक्रिया करता है. एल्युमिनियम के अणु बहुत जल्दी एक्टिव हो जाते हैं. ये बड़ी जल्दी गर्म हो जाते हैं. ये सारे अणु खाना पकाते समय उसी में चले जाते हैं. एल्युमिनियम खाने के सभी पौष्टिक तत्वों को सोख लेता है. एल्युमिनियम के प्रेशर कुकर में बने खाने से करीब 80 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं.
आपने देखा होगा कि आप जिस एल्युमिनियम के बर्तन में रोज खाना बनाते हैं, अगर एक साल बाद आप उसी बर्तन का वजन तोलकर देखें तो आप पाएंगे कि उस बर्तन का वजन पहले की तुलना में कम हो गया है. दरअसल, उसका इतना वजन खाने के साथ हमारे और हमारे परिवार के पेट में जा चुका होता है, जो खून की कमी, कमजोर हड्डियां, कब्ज और कई तरह की बीमारियों जैसे- अस्थमा, शुगर, किडनी फेल होना आदि की वजह बन जाता है.
नॉनस्टिक के बर्तन (Non stick cooking utensils)
आजकल बिजी लाइफ में नॉनस्टिक के बर्तनों (Non stick cooking utensils) का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. बड़े-बड़े होटलों में तो नॉनस्टिक के बर्तनों का ही इस्तेमाल होता है. इनमें खाना बड़ी जल्दी बनता है, खाना चिपकता भी नहीं है, यानी कम तेल और घी में भी बड़ी आसानी से बिना चिपके खाना बन जाता है, लेकिन नॉनस्टिक के बर्तनों में बना खाना स्वास्थ्य के लिए कितना नुकसानदेह होता है, ये सभी जानते हैं.
इससे कोई खास मतलब नहीं है कि नॉनस्टिक का बर्तन कितनी अच्छी कंपनी का है. नॉनस्टिक बर्तन बनाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियां स्थापित करने वाले उद्योगपति खुद भी नॉनस्टिक के बर्तनों में बना खाना नहीं खाते. इन बर्तनों में खाना बनाने से कई तरह के केमिकल्स खाने में चले जाते हैं, जो खाने के साथ ही हमारे पेट में जाकर कई बीमारियों को आमंत्रित कर लेते हैं.
तांबे के बर्तन (Copper utensils)
पीतल की तरह ही तांबे का इस्तेमाल भी खाना पकाने और खाना खाने के लिए किया जाता रहा है. खासतौर पर सुबह उठते ही तांबे में रखा जल पीने की परंपरा आज भी बरकरार है, जो बहुत फायदेमंद होता है और कई तरह की बीमारियों से राहत दिलाता है. लेकिन इन बर्तनों की साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए. तांबे की तासीर गर्म होती है और यह भी अम्ल (एसिड) और नमक के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया करता है.
खाना पकाने के लिए तांबे के बर्तनों (Copper vessels) का सीधा इस्तेमाल नहीं किया जाता, नहीं तो शरीर में कॉपर की मात्रा बढ़ने से कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं. तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल करने से पहले उसे अंदर से कली (यानी उन पर एक तरह की धातु का लेप) किया जाना चाहिए. साथ ही इस लेप की परत में दरारें नहीं आनी चाहिए.
वैसे तो तांबे के बर्तनों में खाना पकाया ही नहीं जाना चाहिए, केवल खाया जाना चाहिए. तांबे के बर्तनों में दूध और दूध से बनी चीजें नहीं रखी जाती हैं. इसी के साथ, तांबे के गिलास को मुंह से लगाकर पानी नहीं पिया जाना चाहिए. तांबे के बर्तनों में खाने को स्टोर करके भी नहीं रखा जाना चाहिए.
पीतल के बर्तन (Brass utensils)
पुराने समय में खाना खाने के लिए पीतल के बर्तनों (Brass pot) का काफी इस्तेमाल होता था, हालांकि आज यह बहुत कम हो गया है. पूजा का ज्यादातर सामान पीतल से ही बनता है. बताया जाता है कि पीतल के बर्तनों में बना खाना खाने से कब्ज और गैस की समस्या से राहत मिलती है, साथ ही पेट के कीड़े भी खत्म हो जाते हैं, लेकिन ये खाना वात को बढ़ाता है.
इसी के साथ, पीतल नमक और अम्ल (एसिड) के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया करता है, इसलिए पीतल से बने बर्तनों में खट्टी या नमकीन चीजें नहीं बनाई या रखी जानी चाहिए, नहीं तो फूड प्वाइजनिंग की समस्या हो सकती है. पीतल के बर्तनों में खाने को स्टोर करके नहीं रखा जाना चाहिए. वैसे तो खाना पकाने के लिए पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल कम ही किया जाना चाहिए, लेकिन खाना खाने के लिए किया जा सकता है.
कांसे के बर्तन (Bronze utensils)
पुराने समय में खाना पकाने के लिए कांसे के बर्तनों (Bronze vessels) का भी बहुत इस्तेमाल किया जाता था. कांसे के बर्तनों में बना खाना भी फायदेमंद माना जाता है. इसमें बना खाना खाने से खून साफ होता है, दिमाग बढ़ता है, भूख में सुधार आता है, लेकिन कांसे के बर्तनों में खट्टी चीजें नहीं रखी जानी चाहिए, नहीं तो वे नुकसानदेह हो जाती हैं. साथ ही इनमें भी खाना बनाने से पहले इनकी साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए.
स्टेनलेस स्टील के बर्तन (Stainless steel utensils)
एल्युमिनियम की तरह ही आजकल के घरों में स्टील के बर्तनों (Stainless steel utensils) का भी काफी इस्तेमाल किया जाता है, जो काफी सुरक्षित और किफायती होते हैं. स्टील के बर्तन आयरन और निकल से बने होते हैं. स्टील के बर्तनों में खाना पकाना विशेष नुकसानदेह नहीं होता, क्योंकि यह न्यूट्रल होते हैं, यानी ये बर्तन खाने के साथ कोई रासायनिक प्रतिक्रिया नहीं करते, इसलिए इनमें खाना बनाना न तो फायदेमंद होता है और न ही नुकसानदेह. इन बर्तनों में खाना पकाया भी जा सकता है और खाया भी जा सकता है.
आयरन या लोहे के बर्तन (Iron utensils)
आजकल जैसे-जैसे लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होते जा रहे हैं, किचन में लोहे के बर्तनों (Iron utensils) का भी इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. लोहे के बर्तनों में खाना जल्दी पकता है, साथ ही इन बर्तनों में खाना बनाना काफी फायदेमंद भी माना जाता है, क्योंकि इनमें बने खाने में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे शरीर में खून की कमी की समस्या से छुटकारा मिलता है. लोहे की कढ़ाई में दूध उबालकर पीने से खून की कमी की शिकायत दूर हो जाती है.
लेकिन ध्यान रहे कि लोहे के बर्तनों में खाना बनाने से पहले उन्हें अच्छी तरह साफ कर लें और पोंछकर अच्छी तरह सुखा लें. जंग लगे बर्तनों में खाना बिल्कुल भी न बनाएं. इसी के साथ, लोहे के बर्तनों में खाने को स्टोर करके नहीं रखा जाना चाहिए, साथ ही इन बर्तनों में भोजन करना भी नुकसानदेह होता है.
सोने और चांदी के बर्तन (Gold utensils)
सोने के बर्तनों (Gold utensils) में खाना पकाना और खाना दोनों ही फायदेमंद माना जाता है, लेकिन यह इतना महंगा है कि फिलहाल यह सब के लिए संभव ही नहीं है. सोना एक गर्म धातु है. सोने के बर्तनों में खाना खाने से शरीर अंदर और बाहर से मजबूत और ताकतवर बनता है. वात, पित्त और कफ तीनों ही कंट्रोल में रहते हैं. याददाश्त तेज होती है, आंखें स्वस्थ रहती हैं, साथ ही इम्युनिटी भी बढ़ती है. अल्जाइमर की बीमारी से राहत मिलती है.
चांदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को ठंडक पहुंचाती है. इसमें भी खाना पकाना और खाना दोनों ही काफी फायदेमंद होता है. चांदी के बर्तनों (Silver utensils) में खाना खाने से दिमाग तेज होता है, आंखें स्वस्थ रहती हैं. वात, पित्त और कफ तीनों ही कंट्रोल में रहते हैं. इम्युनिटी बढ़ती है और शरीर का तापमान सामान्य रहता है. पेट और त्वचा संबंधी समस्याएं दूर रहती हैं.
मिट्टी के बर्तन (Clay pots)
मिट्टी के बर्तनों (Clay pots) में खाना देर में जरूर पकता है, लेकिन यह बड़ी देर तक हमारे शरीर को हेल्दी और स्वस्थ भी रखता है. मिट्टी के बने बर्तनों (Mitti ke bartan) में खाना बनाने से शरीर को कई तरह के फायदे मिलते हैं. एक तो इस खाने में सूर्य की रोशनी और बाहर की हवा भी मिल जाती है. खाने के हानिकारक तत्व बाहर निकल जाते हैं और खाने के पोषक तत्व बने रहते हैं. इसी के साथ, मिट्टी के बर्तनों में खाना बहुत स्वादिष्ट भी बनता है और इसकी खुशबू भी बहुत अच्छी आती है. मिट्टी के कुल्हड़ में चाय पीने का अपना ही एक अलग टेस्ट और मजा है.
प्रेशर कुकर की बजाय मिट्टी की हांडी में दाल-सब्जी या चावल पकाना बहुत फायदेमंद होता है. हमारे शरीर को रोजाना जिन 18 तरह के सूक्ष्म पोषक तत्वों, जैसे- कैल्शियम, आयरन, जिंक, मैग्निशियम, कोबाल्ट, सिलिकॉन, सल्फर आदि की जरूरत होती है, वे मिट्टी के बने बर्तनों में खाना बनाने से आसानी से मिल जाते हैं, जबकि प्रेशर कुकर में बने खाने में ये पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं.
अगर आप बहुत देर तक बैठे रहने का काम करते हैं, तो आपको मिट्टी के बर्तनों में बना खाना खाना चाहिए. इससे कब्ज और गैस की समस्या नहीं होती है. कुछ और नहीं, तो आप मिट्टी की हांडी में दाल और मिट्टी के तवे पर रोटी बनाकर तो जरूर खा सकते हैं. मिट्टी के बर्तन में जमा दही बहुत अच्छा होता है. हालांकि, मिट्टी के बर्तनों के रखरखाव में थोड़ी मेहनत जरूर पड़ती है, लेकिन ये इतने फायदे पहुंचाते हैं कि आपको यह मेहनत नहीं लगेगी. खाना पकाने के लिए अच्छी मिट्टी के बर्तनों का ही इस्तेमाल करें. गर्मियों में फ्रिज के पानी की बजाय मिट्टी के साफ घड़े का ही पानी पियें.
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