Annamalaiyar Temple Thiruvannamalai Girivalam
समस्त ब्रह्मांड या प्रकृति में ऐसा कुछ भी नहीं, जिसके स्वामी भगवान् शिव न हों… और इसीलिए भगवान शिव के अनगिनत नाम हैं, इसीलिए वे देवों के देव महादेव हैं. इसीलिए उन्हें विश्वनाथ, रामेश्वर, सोमनाथ, वैद्यनाथ, नागेश्वर, पशुपतिनाथ, भूतनाथ आदि भी कहते हैं. हर एक प्राणी का शरीर पंचतत्वों- पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश से बना होता है. मृत्यु के बाद सबका शरीर इन्हीं पंचतत्वों में विलीन हो जाता है. इन पंचतत्वों के स्वामी भी भगवान शिव ही हैं.
इन पंचतत्वों के स्वामी के रूप में, दक्षिण भारत के 5 शहरों में भगवान शिव को समर्पित 5 मंदिर हैं, जिन्हें संयुक्त रूप से पंच महाभूत स्थलम (Panchamahabhuta Sthalam) या पंचभूतम मंदिर कहा जाता है. ये सभी प्रसिद्ध शिव मंदिर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में स्थित हैं. इन पांच मंदिरों के नाम हैं-
(1) तमिलनाडु में एकंबरेश्वर मंदिर (पृथ्वी)
(2) तमिलनाडु में जम्बुकेश्वर मंदिर (जल)
(3) तमिलनाडु में अन्नामलाईयार मंदिर (अग्नि)
(4) आंध्र प्रदेश में श्री कालहस्तीश्वर मंदिर (वायु)
(5) तमिलनाडु में थिलाई या चिदंबरम नटराज मंदिर (आकाश)
Arunachaleswara or Arunachalam or Annamalaiyar Temple, Thiruvannamalai
भारत के राज्य तमिलनाडु के पवित्र नगर तिरुवन्नामलाई में अन्नामलाई की पहाड़ी पर स्थित श्री अरुणाचलेश्वर या अरुणाचलम या अन्नामलाईयार मंदिर इन्हीं पंचभूत स्थलों में से एक है, जहां भगवान शिव की पूजा अग्नि के रूप में होती है और इसीलिए यहां स्थापित शिवलिंग को ‘अग्नि लिंगम’ (Agni Lingam) कहा जाता है.
नोट- शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक होता है. भगवान शिव का न आदि है और न अंत, इसलिए उन्हें एक निश्चित आकार में नहीं बांधा जा सकता है. और इसीलिए भगवान शिव की पूजा-उपासना निराकार स्वरूप में भी की जाती है. शिवलिंग इसी बात का प्रतीक होता है. अरुणाचलेश्वर मंदिर में भगवान शिव अग्नि तत्व के रूप में विराजमान हैं.
तिरुवन्नामलाई अरुणाचलम मंदिर की विशेषताएं-
(Tiruvannamalai Arunachalam Temple)
तिरुवन्नामलाई पहाड़ियों की तलहटी में स्थित और 25 एकड़ में फैला, अरुणाचलेश्वर मंदिर एक अद्भुत वास्तुकला के साथ एक भव्य संरचना है. 11 मंजिला पूर्वी मीनार, 66 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है. इसमें चार गेटवे टावर यानी गोपुरम हैं.. और हर एक गोपुरम मंडपम, मंदिरों और बाड़ों से घिरा हुआ है और बारीक नक्काशीदार मूर्तियों और स्तंभों से सजा हुआ है.
तिरुवन्नामलाई अरुणाचलम मंदिर का निर्माण कई हजार साल पुराना है और शिलालेखों के अनुसार, इसे 9वीं शताब्दी में शक्तिशाली चोल राजाओं द्वारा बनवाया गया था. वास्तुकला की पारंपरिक द्रविड़ शैली में निर्मित इस मंदिर को दुनिया का आठवां सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है.
मंदिर परिसर में कई हॉल हैं और सबसे लोकप्रिय एक हजार-स्तंभों वाला हॉल है, जिसका निर्माण विजयनगर काल (1336-1646) के दौरान किया गया था. तिरुवन्नामलाई अरुणाचलम मंदिर को भारत का सबसे बड़ा शिव मंदिर भी कहा जाता है. यहां विराजमान भगवान शिव को अन्नामलाईयार या अरुणाचलेश्वर और उनकी पत्नी माता पार्वती जी को उन्नामलैयारी कहते हैं.
अरुणाचलेश्वर मंदिर में आठ शिवलिंग हैं जिन्हें ‘अष्टलिंगम’ के नाम से जाना जाता है, जो अलग-अलग दिशाओं में अलग-अलग स्थानों पर स्थित हैं. इन शिवलिंगों को इंद्रलिंगम, अग्निलिंगम, यमलिंगम, निरुथिलिंगम, वरुणलिंगम, वायुलिंगम, कुबेरलिंगम और एसन्यालिंगम नाम दिया गया है. प्रत्येक लिंगम पृथ्वी की अलग-अलग दिशाओं का प्रतीक है और माना जाता है.
अन्नामलाई पहाड़ी की परिक्रमा (Girivalam)- तिरुवन्नामलाई अरुणाचलम मंदिर, जिस पवित्र पहाड़ी पर स्थित है, वह आसपास के क्षेत्रों को मजबूत सकारात्मक तरंगे देने के लिए जानी जाती है. इस पवित्र पहाड़ी की परिक्रमा (गिरिवलम) करना बहुत ही अच्छा माना जाता है. पूर्णिमा के दिन गिरिवलम करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है. सुबह से आधी रात तक हजारों भक्त गिरिवलम करते हैं.
तिरुवन्नामलाई हर महीने पूर्णिमा के अवसर पर गिरिवलम या गिरि प्रदक्षिणम के लिए लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है. कहा जाता है कि इस पहाड़ी की परिक्रमा करने से व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र से छूट जाता है. बहुत से श्रृद्धालु नंगे पैर लगभग 14 किमी की दूरी तय करते हैं और रास्ते में मिलने वाले मंदिरों की पूजा करते जाते हैं.
तिरुवन्नामलाई अरुणाचलम मंदिर आध्यात्मिक विरासत से समृद्ध है. अलग-अलग देशों के भक्तों और अनुयायियों ने इस स्थान को अपना आध्यात्मिक घर बना लिया है. इस मंदिर की महिमा नयनार द्वारा महत्वपूर्ण तमिल साहित्य जैसे तेवरम और थिरुवेम्पवई में भी गाई गई है.
कार्तिगई दीपम का त्योहार (Karthigai Deepam Thiruvannamalai)-
चूंकि भगवान शिव यहां अग्नि के रूप में विराजमान हैं, इसलिए कार्तिक महीने में मनाए जाने वाले कार्तिगई दीपम का इस शहर में बहुत ही महत्व है. यह दस दिवसीय उत्सव है जो आमतौर पर नवंबर और दिसंबर के महीनों के बीच आता है और सूर्यास्त के समय तिरुवन्नामलाई पहाड़ी पर महादीपम की रोशनी में समाप्त होता है. इस तिथि पर हर साल लाखों भक्त इस मंदिर में आते हैं.
कार्तिगई दीपम उत्तर भारत में मनाई जाने दीपावली की ही तरह प्रकाश का त्योहार है और तमिलनाडु में इसे दीपावली (Deepawali) की तरह ही मनाया जाता है. यानी इस दिन लोग अपने घरों में सुबह-सुबह कोलम (रंगोली) बनाते हैं, घरों को फूलों से सजाते हैं और शाम को मिट्टी के दीप जलाकर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. कार्तिक महीने में मनाए जाने के कारण इस पर्व को कार्तिगई दीपम कहा जाता है.
Tiruvannamalai Arunachalam Temple Timings
श्रृद्धालुओं के लिए अरुणाचलम मंदिर सुबह 5.30 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है. दोपहर 12:30 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक बंद रहता है.
इस मंदिर के पीछे कई पौराणिक कहानियों का उल्लेख मिलता है, जैसे एक कहानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश से जुड़ी हुई है, तो दूसरी कहानी भगवान शिव जी के पुत्र कार्तिकेय जी से सम्बंधित है, तो वहीं एक कहानी भगवान शिव और माता पार्वती जी से भी सम्बंधित है.
कैसे पहुंचें अरुणाचलम मंदिर
(How to reach Arunachalam Temple, Tiruvannamalai)
अद्भुत मंदिरों और पहाड़ियों का शहर तिरुवन्नामलाई दक्षिण भारत का प्रमुख आकर्षणों में से एक है. भगवान शिव का यह प्राचीन और सिद्ध मंदिर अपने स्थापत्य चमत्कार और मूर्तिकला सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है.
तिरुवन्नामलाई राज्य की राजधानी चेन्नई से लगभग 185 किमी दूर है. यह शहर तमिलनाडु के सभी महत्वपूर्ण कस्बों और शहरों से चलने वाली कई बसों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. बैंगलोर और तिरुपति से भी बसें चलती हैं.
जवधु पहाड़ियां, श्रीपुरम में स्थित श्रीलक्ष्मी स्वर्ण मंदिर, श्री रामनाश्रमम, शेषाद्री स्वामीगल आश्रम, योगी रामसूरतकुमार आश्रम, जलकंदेश्वर मंदिर (भगवान शिव को समर्पित), येलागिरी और वेल्लोर किला आदि अरुणाचलम मंदिर के आसपास स्थित अन्य सुंदर और दर्शनीय स्थल हैं.
कांचीपुरम का अद्भुत कैलाशनाथ मंदिर
चोलों का शक्ति का प्रतीक बृहदेश्वर या राजराजेश्वर मंदिर
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