Parijat Harsingar Ke Fayde
इस धरती पर प्रकृति की तरफ से दी गईं कई तरह की दिव्य और अमूल्य सम्पदाएं मौजूद हैं, जिनके पूरे-पूरे उपयोग और लाभ अब तक कोई नहीं जानता. उन्हीं में से एक है पारिजात (Parijat), जिसे एक दिव्य वृक्ष कहा जाता है. इस वृक्ष के हर एक हिस्से का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है.
इस वृक्ष की छाया में बैठने से शरीर की सारी थकान उतर जाती है. यह देखने में भी बेहद खूबसूरत और आकर्षक होता है. घर के आस-पास पारिजात का वृक्ष होना बहुत शुभ माना जाता है. कहते हैं कि घर के आंगन में या घर के पास इस पौधे को लगाने से धन-संपत्ति और यश-कीर्ति की प्राप्ति होती है.
आप सभी को याद होगा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का भूमि पूजन किया था, तब उन्होंने जन्मभूमि परिसर में पारिजात का पौधा लगाया था. इस पौधे के महत्व को देखते हुए ही इसे सबसे बड़े राष्ट्रीय समारोह का हिस्सा बनाया गया. आइए जानते हैं इस सुंदर, आकर्षक और दिव्य वृक्ष के बारे में-
पारिजात का पेड़ (Parijat Tree)-
पारिजात को कई नामों से जानते हैं, जैसे- हरसिंगार, शेफाली, शिउली, किंतूर, प्राजक्ता आदि. पारिजात का पेड़ 10 से 15 फीट ऊंचा होता है और कहीं कहीं तो यह 25 से 30 फीट ऊंचा भी हो जाता है. इस वृक्ष का वैज्ञानिक नाम ‘निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस’ है. यह वृक्ष पूरे भारत में पैदा होता है.
भारत में ये मुख्य रूप से मध्य भारत और हिमालय की नीची तराइयों में ज्यादा मिलता है. ये पेड़ मुख्य रूप से बाग-बगीचों में लगा हुआ मिलता है. कहा जाता है कि अगर ये पेड़ घर के आसपास होता है, तो घर से कई तरह के वास्तुदोष दूर रहते हैं.
पारिजात के फूल (Parijat Flowers)-
पारिजात के पेड़ पर भारी मात्रा में फूल (Coral Jasmine) लगते हैं. आप चाहे जितने फूल तोड़ लें, दूसरे दिन ये फिर बड़ी मात्रा में खिल आते हैं. सफेद और नारंगी रंग के ये फूल बेहद सुंदर, सुगंधित और चमकदार होते हैं, जिन्हें देखना ही आंखों को सुख पहुंचाता है. इनकी सुगंध मन को शांति देती है.
ये फूल रात में ही खिलते हैं और सुबह होते ही झड़ जाते हैं, इसीलिए इन्हें ‘रात की रानी’ (Night Jasmine) भी कहा जाता है. लेकिन खास बात ये है कि पूजा के लिए पारिजात के उन्हीं फूलों का इस्तेमाल किया जाता है, जो पेड़ से झड़कर नीचे गिर गए हों. कहीं-कहीं पर इन फूलों को तोड़ने के लिए मना किया गया है. यह फूल पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प (State Flower of West Bengal) है.
पारिजात का धार्मिक महत्व
पारिजात का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है. कहते हैं कि यह वृक्ष जहां भी लगा होता है, उस स्थान को पवित्र कर देता है. इस वृक्ष का उल्लेख कई धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में मिलता है. मान्यता है कि विष्णुप्रिया महालक्ष्मी जी को पारिजात के पुष्प अत्यंत प्रिय है. पूजा-पाठ में इन फूलों को चढ़ाना और भी शुभ माना जाता है.
ऐसा भी कहा जाता है कि वनवास के दौरान सीताजी इन्हीं फूलों से अपना श्रृंगार करती थीं. पारिजात को ‘हरसिंगार‘ इसीलिए कहा जाता है, क्योंकि इसके फूलों का इस्तेमाल हरि (भगवान विष्णु) के श्रृंगार के लिए किया जाता है. ये फूल बहुत ही मनमोहक और सुगंधित होते हैं.
क्या पारिजात ही है कल्पवृक्ष?
कई मान्यताओं के अनुसार, पारिजात को ही कल्पवृक्ष (Kalpavriksha) कहा जाता है. लेकिन कल्पवृक्ष केवल स्वर्गलोक की ही सम्पदा है और ये वहीं की वाटिका में फलता-फूलता रहता है. पुराणों के अनुसार, समुद्रमंथन से मिले 14 रत्नों में से एक कल्पवृक्ष भी था. यह वृक्ष देवराज इंद्र को दे दिया गया था.
कहा जाता है कि इस वृक्ष को छूने मात्र से ही शरीर की थकान उतर जाती है और ये वृक्ष जिसके पास भी रहता है, वह कभी बूढ़ा नहीं होता. इस वृक्ष के नीचे बैठकर जो भी मांगो, वह तुरंत मिल जाता है. जब एक बार भगवान श्रीकृष्ण जी की एक पत्नी सत्यभामा जी ने उनसे पारिजात के वृक्ष की मांग की थी, तब देवराज इंद्र से युद्ध करके भगवान श्रीकृष्ण पारिजात को जीतकर उसे धरती पर ले आए थे.
पारिजात के फायदे (Parijat Health Benefits)-
♦ पारिजात को कई औषधीय गुणों (Medicinal Properties) के लिए जाना जाता है. पारिजात के फूल, पत्ते और छाल सभी का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है. आयुर्वेद में पारिजात को तनाव दूर करने वाला माना गया है. पारिजात की फूलों से सुगंधित तेल और परफ्यूम आदि बनाए जाते हैं.
♦ पारिजात के फूलों और पत्तियों से कई तरह के चर्म रोग (Skin Diseases) दूर किए जा सकते हैं. यह दाग-धब्बों को मिटाकर त्वचा में चमक लाता है. पारिजात के फूलों के इस्तेमाल से खून साफ होता है और कई तरह के बैक्टीरिया को खत्म करता है.
♦ पारिजात का सबसे ज्यादा इस्तेमाल सायटिका (कमर से पैर तक गंभीर दर्द) की बीमारी को दूर करने में किया जाता है. इसकी पत्तियों के रस के काढ़े से सायटिका के दर्द में आराम मिलता है. लेकिन बसंत के मौसम में पारिजात के पत्तों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
♦ पारिजात के फूल हृदय और आंखों के समस्याओं में काफी फायदेमंद माने जाते हैं. कहा जाता है कि इन फूलों के रस के सेवन से हृदय की बीमारियों से बचा जा सकता है। इसी के साथ, भूख को बढ़ाने और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए भी पारिजात के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है.
♦ पारिजात के फूलों के बीज का सेवन करने से बवासीर में फायदा मिलता है. फूलों का लेप सूजन में लगाने से राहत मिलती है.
♦ पारिजात के फूलों के काढ़े के सेवन से बार-बार यूरिन की समस्या से छुटकारा मिलता है. पारिजात की पत्तियों के इस्तेमाल से हाई ब्लडप्रेशर और शुगर लेवल भी कंट्रोल रहता है.
♦ पारिजात के फूलों के बीज से फोड़े-फुंसी और घाव में लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं. पारिजात के पत्तों के रस से पेट के कीड़े दूर होते हैं.
♦ हड्डियों और जोड़ों से जुड़ी समस्याओं के लिए भी पारिजात का इस्तेमाल किया जाता है. पारिजात के पत्तों का रस शहद के साथ लेने से सूखी खांसी और जुकाम में राहत मिलती है, साथ ही अस्थमा में भी काफी आराम मिलता है. पारिजात के पत्तों का रस पीने से मलेरिया और किसी भी तरह के बुखार में राहत मिलती है.
नोट- इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और कई आयुर्वेदिक किताबों पर आधारित है. इन पर अमल करने से पहले डॉक्टर या जानकार की सलाह जरूर लें.
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मेरे कमर और पैरों में बहुत दर्द था, जब मैंने 90 दिनों तक इसके पत्तों का उबला पानी पिया तो मेरे कमर व पैरों का दर्द एकदम ठीक हो गया।