Haldi benefits for health and skin care in Hindi
हल्दी (Turmeric) रसोईघर का एक मसाला ही नहीं, एक महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी है और आज भी इसका पूरा-पूरा उपयोग कोई नहीं जानता. हल्दी कई तरह की बीमारियों की सस्ती, घरेलू और रामबाण दवाई है. यह केवल खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाती, बल्कि उसे स्वास्थ्यवर्धक भी बना देती है. पौराणिक ग्रथों में हल्दी को ‘संजीवनी’ बताया गया है. अपने रोज के खाने में इसे शामिल करना बहुत जरूरी है.
हल्दी चमत्कारी औषधि गुणों से भरपूर है. हल्दी में भी खून को साफ करने का गुण है. यह खून में से विषैले तत्वों को बाहर निकालकर कई तरह की बीमारियों से शरीर की रक्षा करती है, साथ ही त्वचा की स्वस्थ रखती है. कई तरह के अच्छे कॉस्मेटिक्स में हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, हल्दी से कैंसर तक का इलाज किया जा सकता है और इस पर अभी भी रिसर्च जारी है.
विवाह संस्कार में हल्दी का महत्व (Turmeric or Haldi uses in Wedding in hindi)
हल्दी के चमत्कारिक गुणों को देखकर ही इसे आयुर्वेद के साथ-साथ धर्म में भी समान महत्व दिया गया है. किसी भी धार्मिक कार्य में हल्दी का इस्तेमाल किसी न किसी रूप में जरूर होता है. भारतीय रीति-रिवाज के अनुसार, हल्दी सुख-सौभाग्य की प्रतीक है और इस्तेमाल बेहद शुभ माना जाता है. माना जाता है कि हल्दी निगेटिव एनर्जी को भी खत्म कर सकती है, इसीलिए विवाह आदि जैसे शुभ कार्यों में हल्दी का बहुत इस्तेमाल होता है.
विवाह में एक रस्म हल्दी की भी होती है, जिसमें दूल्हा-दुल्हन के शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया जाता है. शादी के कार्ड पर भी हल्दी का छिड़काव किया जाता है.
ऐसा भी कहा जाता है कि अगर किसी लड़के या लड़की के विवाह में देरी हो रही हो, या उनका विवाह ना हो रहा हो, तो नहाने के पानी में दो चुटकी पिसी हुई हल्दी मिलाकर उस पानी से नहाने से उनकी यह मनोकामना पूरी होती है. हल्दी और चूने को मिलाने से कुमकुम बनता है, जिसका इस्तेमाल तो सभी जानते हैं.
हल्दी के गुण और विशेषताएं
हल्दी के कई नाम हैं, जैसे- संस्कृत में इसे हरिद्रा, लैटिन भाषा में इसे करकुमा लौंगा और अंग्रेजी में टर्मरिक कहते हैं. इसके आलावा हल्दी के कई और भी नाम हैं, जैसे- वरवर्णिनी, हरदल, कुमकुम, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी.
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हल्दी में 6 प्रतिशत प्रोटीन, 3.5 प्रतिशत खनिज तत्व, 68 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट्स और कुछ मात्रा में करक्यूमिन और विटामिन-A पाए जाते हैं. वैज्ञानिकों की तरफ से हल्दी पर की गई रिसर्च के मुताबिक, इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीसेप्टिक, एंटीट्यूमर, एंटी कैंसर, केलोरेटिक, एंटीमाइक्रोबियल, कार्डियोप्रोटेक्टिव (हृदय की सुरक्षा), नेफ्रोप्रोटेक्टिव (किडनी की सुरक्षा) और हेपेटोप्रोटेक्टिव (लिवर की सुरक्षा) के गुण होते हैं.
हल्दी पाचन से जुड़ीं समस्याओं, गठिया, खून की समस्याओं, कैंसर, बैक्टीरिया के संक्रमण, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल की समस्या और शरीर की सेल्स की टूट-फूट की मरम्मत में फायदेमंद है. लिवर की समस्याओं में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.
कैंसर से भी बचा सकती है हल्दी (Haldi benefits for health)
एक स्टडी के अनुसार, हल्दी में शक्तिशाली एंटीवायरल गुण होते हैं. इसमें करक्यूमिन (Curcumin) नाम का एक नेचुरल कंपाउंड होता है, जो कई वायरस को खत्म कर सकता है. करक्यूमिन से किसी भी तरह के दर्द से राहत मिलती है और दिल की बीमारियों से भी रक्षा होती है. यह इंसुलिन लेवल को भी बनाए रखता है. हल्दी की रोजाना सेवन से जोड़ों के दर्द और अन्य तकलीफों से आराम मिलता है. कई अध्ययनों के मुताबिक, हल्दी में एंटी-कैंसर गुण होता है. इसमें मौजूद करक्यूमिन को कैंसर की रोकथाम के लिए एक असरदार तत्व माना जा सकता है, साथ यह इम्यून सिस्टम भी मजबूत बनाता है.
हल्दी का पौधा और तैयार करने की विधि
हल्दी दो तरह की होती है- सख्त हल्दी जो रंग बनाने के काम आती है और दूसरी नरम और सुगंधित हल्दी, जिसका इस्तेमाल मसाले के रूप में होता है. महाराष्ट्र, बिहार, चेन्नई, पश्चिम बंगाल, देहरादून आदि स्थानों में हल्दी की बुवाई की जाती है. गुजरात के कई जिलों में इसकी काफी अच्छी फसल तैयार होती है. हल्दी रेतीली जमीन में खूब होती है. हल्दी का पौधा दो-तीन फीट तक ऊंचा होता है. उसके पत्ते केले के पत्ते जैसे होते हैं, जो दोनों तरफ से चिकने और सफेद दाग वाले होते हैं.
पौधे की जड़ों से गांठें निकलती हैं. ये गांठें भीतर से पीले रंग की होती हैं, इन्हीं गांठों को हल्दी कहते हैं. हल्दी के पौधे को पानी यानी सिंचाई की बहुत जरूरत पड़ती है. हल्दी की गांठों को जमीन खोदकर निकाला जाता है. फिर उन्हें साफकर और मटके में भरकर और उस मटके का मुंह बंद करके आग की धीमी आंच पर पकाया जाता है. इससे गांठों की कच्ची गंध दूर की जाती है. इसके बाद उन्हें सुखाकर बेचने के लिए तैयार किया जाता है.
हल्दी वाले दूध के फायदे (Turmeric or Haldi ka doodh benefits in hindi)
♦ सर्दियों में हर दिन रात को सोने से पहले एक कप हल्का गुनगुना हल्दी वाला दूध पीने से तनाव और थकावट में आराम होता है, साथ ही यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ाकर कई तरह की बीमारियों से बचाता है.
♦ रात को हल्दी वाला दूध पीने से दबी हुई आवाज खुलती है और गले की दर्द में भी राहत मिलती है.
♦ अस्थमा या सांस के मरीजों के लिए हल्दी बहुत ही फायदेमंद है. अस्थमा के मरीजों को रात में हल्दी वाला दूध देने से काफी राहत मिलती है.
♦ अगर ठंड लगने से बुखार आया हो, तो दूध में दो चुटकी हल्दी और थोड़ी सी काली मिर्च मिलाकर गर्म करके पीने से बुखार उतर जाता है. इससे वायरल फीवर और जुकाम में भी आराम होता है.
♦ दूध में दो चुटकी हल्दी, थोड़ी सी काली मिर्च और एक चम्मच घी डालकर गर्म करके पीने से वायरल फीवर, जुकाम, कफ और खांसी में आराम होता है.
♦ हल्दी वाला दूध पीने से पेट साफ रहता है और कब्ज-गैस की समस्या में भी राहत मिलती है.
नोट- हल्दी वाला दूध काफी गर्म तासीर का होता है, इसलिए इसका सेवन ज्यादातर सर्दियों में या ठंड लगने पर उचित मात्रा में ही करना चाहिए.
अलग-अलग बीमारियों में हल्दी का इस्तेमाल (Turmeric or Haldi benefits for health in hindi)
♦ वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को खत्म करने के लिए हल्दी का इस्तेमाल होता है.
♦ लगातार खांसी आने पर कच्ची हल्दी की गांठ का एक छोटा सा टुकड़ा लेकर चूसने से खांसी में आराम होता है.
♦ पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भी हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है.
♦ कच्ची हल्दी के छोटे से टुकड़े को सेंककर रात में सोते समय मुंह में रखने से जुकाम, कफ और खांसी से राहत मिलती है.
♦ फोड़े-फुंसियों या दाद-खाज में भी हल्दी का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है. इसीलिए हल्दी का इस्तेमाल दशांगलेप (एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवाई) में भी किया जाता है.
♦ किसी भी तरह की सूजन हो, उस पर गुनगुने पानी में हल्दी मिलाकर उससे सिकाई करने से काफी राहत मिलती है.
♦ दांतों के रोग में भी हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है. हल्दी कीटाणुओं को नष्ट करती हैं. गुनगुने पानी में हल्दी मिलाकर उससे कुल्ला करने से मुंह के कीटाणु खत्म हो जाते हैं. दांत दर्द होने पर हल्दी की छोटी सी गांठ को सेंककर दांतों में दबाने से दर्द में आराम मिलता है.
♦ हल्दी को शहद में मिलाकर खाने से प्रमेह रोग दूर होता है.
♦ गाय के ताजा छाछ में थोड़ी सी हल्दी डालकर सुबह-शाम पीने से पीलिया दूर होता है.
♦ गोमूत्र में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पीने से कोढ़ या कुष्ठ रोग में आराम होता है (लेकिन ऐसा करने से पहले कृपया डॉक्टर या किसी सही जानकार ही सलाह जरूर ले लें).
कई विशेषज्ञों के अनुसार, गोमूत्र और हल्दी का मेल कैंसर को भी दूर कर सकता है, हालांकि अभी इस पर रिसर्च चल रही है.
चोट में हल्दी का इस्तेमाल- किसी भी तरह की चोट हो, बाहरी हो या अंदरूनी, खून बह रहा हो या नहीं, लगभग हर तरह की चोट पर हल्दी का इस्तेमाल काफी कारगर होता है.
अगर कहीं से भी गिरने पर शरीर के किसी अंग में फ्रैक्चर होने की संभावना दिखाई दे रही हो, या सिर में किसी तरह की चोट आई हो, तो प्राथमिक इलाज के रूप में दर्द वाली जगह पर हल्दी, नमक और पानी का लेप लगाने से और एक कप हल्दी वाला दूध पीने से अंदरूनी चोट में काफी राहत मिलती है. इससे एक अनजाना खतरा भी दूर हो जाता है.
त्वचा को निखारने या खूबसूरती बढ़ाने में हल्दी का इस्तेमाल (Turmeric or Haldi benefits for skin care in hindi)
हल्दी में कई तरह के प्राकृतिक गुण होते हैं, जो त्वचा की समस्याओं को दूर करने का काम करते हैं. इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो मुहांसों को कम करने के साथ, दाग-धब्बों को हटाते हैं और त्वचा में निखार लाते हैं. हल्दी-बेसन का पेस्ट सबसे अच्छा फेस पैक माना जाता है.
♥ हल्दी, चंदन और बेसन, तीनों को बराबर मात्रा में लेकर दूध के साथ, या नींबू के रस के साथ, या गुलाबजल के साथ, या पानी के साथ (जो भी आपकी त्वचा के लिए सही हो) मिलाकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को आधे घंटे के लिए अपने चेहरे पर लगाएं और फिर चेहरे को पानी से धो लें. इससे चेहरे के दाग-धब्बे दूर होते हैं, साथ ही रंग में काफी अच्छा निखार आता है.
♥ हल्दी, शहद और नींबू को मिलाकर बने पेस्ट को चेहरे पर 15 मिनट के लिए लगाएं और फिर चेहरे को धो लें. इस फेस पैक से मुहांसे दूर होते हैं.
♥ हल्दी और एलोवीरा जेल से बने पेस्ट को चेहरे पर 15 मिनट के लिए लगाएं और फ़ी चेहरे को धो लें. इससे स्किन नरम और मुलायम बनती है और निखार आता है.
♥ सरसों के तेल या नारियल के तेल या ऑलिव ऑयल में थोड़ा सा हल्दी पाउडर मिलाकर पैरों के पंजों में मालिश करने से पंजे नरम और मुलायम बनते हैं और उनका रंग भी निखरता है.
नोट- बेशक हल्दी के सेवन से किसी तरह के नुकसान होने का डर नहीं रहता. बच्चे, युवा, बुजुर्ग, महिलाएं और सभी प्रकृति के लोग बिना किसी डर के इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन आयुर्वेद में हर चीज की एक निश्चित मात्रा तय की गई है, इसलिए किसी भी अच्छी और फायदेमंद चीज की भी अति न करें. दूसरी बात, आजकल हल्दी में बहुत मिलावट की जाती है, जिससे सावधान रहने की सख्त जरूरत है.
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