आसमान फिर भगवा हुआ, कमल खिल उठे और श्रीराम के राज्य में पूरा वातावरण फिर ‘जय श्रीराम’ और ‘भारत माता की जय’ के उद्घोषों से गूंज उठा… संतों ने जिसे विजयश्री का आशीर्वाद दिया था, उसी संत के सिर पर एक बार फिर जीत का ताज सजा, जिसने राज्य की बरसों पुरानी परंपरा और कई मिथकों को भी तोड़कर रख दिया. देश के प्रधान सेवक के मंत्र को जनता ने माना और कहा- ‘योगी ही उपयोगी’…
चार राज्यों में फिर से बीजेपी- इस साल 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में पूरे देश की नजर सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश पर ही लगी थीं, सिर्फ इसलिए नहीं कि यह सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है, बल्कि इसलिए भी क्योंकि केंद्र की सत्ता का रास्ता भी यहीं से होकर जाता है. 10 मार्च 2022 को आए पांचो राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों में पंजाब को छोड़कर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा की जनता ने एक बार फिर बीजेपी को बहुमत से विजयी बनाया है. उत्तर प्रदेश में एक बार फिर योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की ताजपोशी हुई.
UP में तो BJP ने कई नए रिकॉर्ड बनाए हैं. यहां 37 सालों बाद ऐसा हुआ है, जब राज्य में किसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई है. इससे पहले ऐसा साल 1985 में हुआ था, जब कांग्रेस लगातार दूसरी बार चुनावों में जीती थी. इसी के साथ, उत्तर प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी मुख्यमंत्री ने 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद, फिर से पूरे बहुमत के साथ इस पद की जिम्मेदारी संभाली है.
यानी इस बार के नतीजों ने यह भी बता दिया है कि सरकार और पार्टी के समर्थन में भी शानदार लहर चल सकती है. जिन 4 राज्यों में बीजेपी की सरकार थी, वहां अगले चुनावों में भी उसे इतनी बड़ी जीत मिली. गोवा और मणिपुर के साथ उत्तराखंड में भी बीजेपी की वापसी एक बड़ी जीत है, क्योंकि यहां भी पहली बार किसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल की है, वह भी ऐसे समय में जब बीजेपी को पिछले कुछ महीनों में अपने मुख्यमंत्री बदलने पड़े.
सबने माना PM मोदी का मंत्र- दिसंबर में गंगा एक्सप्रेस-वे के शिलान्यास के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पहली बार मतदाताओं को “यूपी+योगी, बहुत हैं उपयोगी” का मंत्र दिया था. नतीजों ने साबित कर दिया कि ना तो “मोदी मैजिक” कम हुआ है, ना ही उनकी लहर पर कोई असर है और ना ही यूपी में योगी की उपयोगिता में कोई कमी आई है.
तीन दशकों से मिथक बनता जा रहा था कि उत्तर प्रदेश में कोई पार्टी लगातार दो बार सरकार नहीं बना पाती, नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं बचती… लेकिन भगवा की आंधी में सालों पुरानी जमी ये धूल भी उड़ गई. CM योगी सुशासन की पतवार चलाते रहे और 37 सालों बाद उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार की लगातार वापसी का इतिहास भी रच डाला. काफी हाथ-पैर मारने के बाद भी सपा मंझधार तक ही पहुंच सकी, वहीं बसपा और कांग्रेस गोते खाकर पूरी तरह डूबती हुईं नजर आईं.
बीजेपी क्यों जीती?
5 साल पहले जब योगी आदित्यनाथ को यूपी की सत्ता सौंपी गई थी, तो प्रतिक्रियाएं मिलीजुली थीं. हर चेहरे पर आश्चर्य और “देखते हैं” वाला भाव था, लेकिन अब जब CM योगी भारी बहुमत के साथ लौटे हैं, तो जनता में उनके कामकाज के प्रति प्रबल समर्थन देखा गया. योगीराज की जो चीज जनता ने सबसे ज्यादा पसंद की, वह है- सुरक्षा की भावना… और यही कारण है कि इस बार के चुनाव में महिलाओं का वोट प्रतिशत सबसे ज्यादा रहा. बुलडोजर यानी कानून-व्यवस्था और शानदार बिजली आपूर्ति ने योगी के अभियान पर सोने का वर्क लगा दिया.
अब जातिवाद और परिवादवाद को जगह नहीं- उत्तर प्रदेश में एक बार फिर योगीराज की इतनी बड़ी जीत के कई मायने हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजों ने यह बताने की कोशिश की है कि अब जाति की राजनीति करने वाली पार्टियों से जनता काफी हद तक ऊब चुकी है. यह नया भारत है, जहां अब विकास, सुशासन, सुरक्षा और कानून को बनाए रखने वाली सरकार पसंद की जाती है. यहां अब परिवारवाद वाली पार्टियों के लिए जगह बहुत कम बची है. पहले ऐसा होता था कि किसी जाति या धर्म के नेता को खड़ा कर दो, तो चुनाव में जीत मिल जाती है, लेकिन अब यह फार्मूला धीरे-धीरे जाने लगा है.
बीजेपी के पास सबसे ज्यादा वैरायटी- लोग वैरायटी पसंद करते हैं. लोग उस दुकान पर जाना ज्यादा पसंद करते हैं, जहां उन्हें अपने जरूरत की तरह-तरह की चीजें मिल सकें. अगर राजनीतिक पार्टियों को एक दुकान समझा जाए तो इन सभी दुकानों में सबसे ज्यादा वैरायटी फिलहाल BJP के पास ही हैं, जहां विकास है, सुशासन है, कानून-व्यवस्था बनाए रखने और सुरक्षा देने वाली सरकार है, जाति भी है और धर्म भी, राज्य की संस्कृति और सम्मान की रक्षा करने वाली सरकार है, आर्टिकल 370 के हटाए जाने, बिना किसी आंदोलन के राम मंदिर का सपना साकार करने वाली यानी बड़े और असंभव वादों को पूरा करने वाली सरकार है… और सबसे बहुमूल्य चीज जो BJP के पास है, वह है नरेंद्र मोदी.
वहीं, सपा के पास केवल मुस्लिम+यादव ही है, बसपा के पास केवल दलित है और कांग्रेस के पास केवल गाँधी और इतिहास के कुछ नाम हैं, लेकिन अब ज्यादातर लोगों को जाति या परिवारवाद नहीं, चर्चित चेहरे नहीं, बल्कि विकास चाहिए, सुरक्षा चाहिए, पैसा चाहिए… और जनता का विश्वास ही नेता की असली कमाई होता है.
विपक्ष के मुद्दों में केवल कोरोना, बेसहारा जानवर, पुरानी पेंशन, किसान आंदोलन, बेरोजगारी, महंगाई, नाराज जाट, विधायकों की नाराजगी… बस यही थे, जिन्हें मतदाताओं ने महत्व नहीं दिया, क्योंकि ये सभी समस्याएं पिछली सरकारों में कहीं ज्यादा थीं, और इन सबके साथ था- आतंकवाद, कमजोर कानून-व्यवस्था और असुरक्षा, जिन्हें दूर करने के लिए ही मोदी लहर चली. दूसरी पार्टियां जहां केवल बीजेपी की कमियां ही गिनाती रह गईं, वहीं योगी सरकार अपने कामकाज से जनता में पैठ बनाती रही.
कोरोना (Coronavirus) जैसी आपदा का लाभ उठाकर विपक्ष ने एकजुट होकर मोदी सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन जनता ने भी यह समझा कि कोरोनावायरस मोदी सरकार की लाई हुई नहीं, बल्कि एक वैश्विक आपदा है, जिससे बड़े से बड़े विकसित और सुविधा-संपन्न देश भी नहीं बच सके…और इन सबके बीच भी मोदी सरकार ने देश के साथ-साथ दुनिया के लिए भी जो कार्य किया, वह भी सब ने देखा. वहीं, किसान आंदोलन की सच्चाई भी किसी से छिपी नहीं रह सकी.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल कर यह भी साबित किया कि विपक्ष के पास मोदी-योगी के उस करिश्मे का कोई जवाब नहीं, जो उन्होंने केंद्र और राज्य की कल्याणकारी और विकास योजनाओं को जमीन पर उतार कर किया. कई समस्याओं और असंतुष्टि के बाद भी इस जीत का एक कारण यह भी है कि लोगों को यह विश्वास रहा कि जो समस्याएं अभी बाकी हैं, उनका समाधान भी मोदी और योगी ही करेंगे. यानी मोदी+योगी = बहुत हैं उपयोगी.
इसी विश्वास के कारण लोगों ने कहीं-कहीं BJP के उन विधायकों का भी साथ दिया, जिनके कामकाज से वे खुश नहीं थे. यानी जनकल्याण की तमाम योजनाओं के बेहतर अमल और कानून व्यवस्था में सुधार ने बीजेपी के लिए एक ऐसा मजबूत वोट बैंक तैयार किया, जिसने मतदाताओं को जाति-समुदाय से हटकर भी वोट देने के लिए मजबूर किया.
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