QUAD क्या है और कैसे हुई थी स्थापना? US-जापान-भारत-ऑस्ट्रेलिया के लिए क्या है इसका महत्व

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QUAD Countries

What is QUAD in Hindi (QUAD Countries)

क्वाड (QUAD) का औपचारिक नाम ‘चतुर्पक्षीय सामरिक वार्ता’ (Quadrilateral Strategic Dialogue) है. इसमें आर्थिक और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण 4 देश- अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. इस संगठन का मुख्य उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indian Pacific) में शांति स्थिरता, नौवहन की स्वतंत्रता और खुली और नियम आधारित व्यवस्था की स्थापना करना है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र का दायरा हिंद महासागर के अफ्रीकी तट से पश्चिमी प्रशांत सागर तक फैला हुआ है. क्वाड इसी क्षेत्र में खुली स्वतंत्र और नियम आधारित व्यवस्था की स्थापना करना चाहता है.

क्वाड का गठन- सबसे पहले जापान ने दिया था ‘क्वाड’ का विचार

साल 2004 में जब हिंद महासागर में आई सुनामी (Tsunami) ने भारत समेत कई देशों में भारी तबाही मचाई थी, तब भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया (India, Japan, America and Australia) साथ आए थे. उस समय इन देशों के इस गठजोड़ ने राहत और बचाव कार्यों को रफ्तार देने में अहम भूमिका निभाई थी. हालांकि, उस समय के उद्देश्य पूरे होने के बाद यह समूह बिखर गया, लेकिन साल 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो एबी (Shinzo Abe) ने ‘क्वाड’ के गठन का विचार दिया, पर चीन (China) के साथ अपने घनिष्ठ आर्थिक संबंधों के चलते कोई भी देश इसकी तरफ ज्यादा आकर्षित नहीं हुआ. चीन के दबाव में ऑस्ट्रेलिया भी पीछे हट गया था, जिससे इस विचार को आगे नहीं बढ़ाया जा सका था.

चीन की हरकतों को देखकर फिर अमेरिका ने रखा क्वाड का प्रस्ताव

इसके बाद, साल 2013 में शी जिनपिंग (Xi Jinping) चीन के राष्ट्रपति और चीन की साम्यवादी पार्टी के महासचिव बने. उन्होंने पहले चीन के अंदर अपने विरोधियों का सफाया कर सत्ता का केंद्रीयकरण किया और बाद में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी विस्तारवादी और आक्रामक नीति का प्रदर्शन किया. संबंधों को सामान्य दिखाते हुए साल 2017 में उन्होंने भूटान, भारत और चीन के तिराहे ‘डोकलाम’ पर अपना नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास किया. इसी तरह, उन्होंने मनमाने तरीके से दक्षिणी चीन सागर में भी स्प्रैटली द्वीप पर अपनी सैन्य सुविधाओं का विकास किया, जो कि अन्य पड़ोसी देशों जैसे- वियतनाम, मलेशिया आदि के बीच विवादित है.

अमेरिका (America) ने दक्षिण चीन सागर में ‘नौवहन की स्वतंत्रता’ नाम से अभ्यास शुरू किया, जिसका भी चीन ने विरोध किया. इन परिस्थितियों में साल 2017 में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने क्वाड के विचार को फिर से जीवित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे नई परिस्थितियों में बाकी तीनों देशों ने स्वीकार कर लिया (जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो एबी खुले और मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की दिशा में क्वाड के महत्व को स्वीकारते थे. उन्होंने ट्रंप प्रशासन को इसके लिए तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी).

साल 2017 में आसियान सम्मेलन (ASEAN Summit) से ठीक पहले ऑस्ट्रेलिया साथ आया और क्वाड का गठन हुआ. इस तरह, क्वाड की स्थापना नवंबर, 2017 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को किसी बाहरी शक्ति (खासकर चीन) के प्रभाव से मुक्त रखने और इसके लिए नई रणनीति बनाने के लिए हुई और आसियान शिखर सम्मेलन के एक दिन पहले इसकी पहली बैठक का आयोजन किया गया.

चीन की विस्तारवादी और आक्रामक नीति है मुख्य विषय

बीते एक दशक से चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने सामरिक प्रभाव का विस्तार कर रहा है. अपनी विस्तारवादी और आक्रामक नीति के कारण चीन इस क्षेत्र में सुरक्षा और स्थायित्व के लिए नई चुनौती बन गया है. चीन ने इसी क्षेत्र में दक्षिण चीन सागर के 90 प्रतिशत हिस्से पर और पूर्वी चीन सागर में स्थित सेनकाकू द्वीपों पर अपना कब्जा जताया है, जो कि गलत है. हिंद महासागर में भी चीन ने अपनी BRI (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) परियोजना के जरिए अपना सामरिक प्रभाव बढ़ा लिया है. चीन अपने मकसद को पूरा करने के लिए धमकी और आक्रामक रवैया भी अपना रहा है.

चीन की इन गतिविधियों से क्वाड के चारों सदस्य देशों के साथ ही दूसरे छोटे देशों के हित भी प्रभावित हो रहे हैं. चीन की विस्तारवादी और आक्रामक नीति इन सभी देशों की साझा चिंता का विषय है. उसकी चुनौती का सामना करने के लिए लंबे समय से एक सामूहिक प्रयास की जरूरत महसूस की जा रही थी और क्वाड इसी जरूरत का नतीजा है, लेकिन क्वाड कहीं भी अपने दस्तावेजों या बयानों में चीन की आक्रामकता का जिक्र नहीं करता है. ऐसा कूटनीतिक सौम्यता के कारण किया जाता है.

NATO से किस तरह अलग है क्वाड?

क्वाड नाटो (उत्तरी अटलांटिक सन्धि संगठन-NATO) की तरह नहीं है, क्योंकि नाटो सांस्कृतिक रूप से समान पश्चिमी देशों का रणनीतिक गठजोड़ है. नाटो के सभी सदस्य देश रूस (Russia) को एक साझा खतरे के रूप में देखते हैं. नाटो के गठन के समय स्पष्ट रणनीति सोवियत संघ को रोकने की थी. वहीं, क्वाड के सदस्य देशों के बीच बहुत ज्यादा सांस्कृतिक समानता नहीं है, साथ ही चीन से साझा खतरे जैसी कोई स्पष्ट तस्वीर भी इन देशों के बीच नहीं है. चीन के साथ क्वाड के सभी सदस्य देशों के गहरे कारोबारी रिश्ते हैं.

जैसे- जापान (Japan) का सबसे बड़ा निर्यात बाजार और कारोबारी साझेदार चीन है. जापान के कुल कारोबार का पांचवा हिस्सा अकेले चीन से ही होता है.

ऑस्ट्रेलिया (Australia) का भी सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर चीन है. ऑस्ट्रेलिया के वैश्विक कारोबार का 30 प्रतिशत चीन से होता है और इसका 40 प्रतिशत निर्यात और 27 प्रतिशत आयात चीन से होता है.

भारत के लिए भी चीन सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. अमेरिका और सऊदी अरब भारत के दूसरे और तीसरे नंबर के ट्रेडिंग पार्टनर हैं और इन दोनों देशों से होने वाले संयुक्त आयात से ज्यादा आयात चीन से होता है.


क्वाड समूह का महत्व

क्वाड समान विचारधारा वाली ऐसी बड़ी लोकतांत्रिक शक्तियों का समूह है, जो द्विध्रुवीय दुनिया की विचारधारा को खत्म करने और बहुपक्षीय व्यवस्था को बनाने का जरिया बन सकता है. क्वाड का महत्व इस बात से है कि क्वाड के चारों ही सदस्य देश आर्थिक और सैन्य दृष्टि से प्रभावशाली देश हैं. इनका आपसी सहयोग विश्व व्यवस्था को नई दिशा देने में सक्षम है. इसीलिए क्वाड के नाम से ही चीन तिलमिला जाता है. वर्तमान में क्वाड के चारों सदस्य देशों के साथ चीन के रिश्ते तनावपूर्ण हैं.

चीन का सामना करने के लिए उसकी दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. क्वाड देश संयुक्त सैन्य अभ्यास (Joint Military Exercises) करते हुए और साइबर सिक्योरिटी सिस्टम को मजबूत कर सैन्य कूटनीति (डिफेंस डिप्लोमेसी) को बढ़ा सकते हैं. इसी के साथ, क्वाड के सदस्य देश नौसना और अन्य मामलों में अपनी विशेषज्ञता का भी फायदा उठा सकते हैं, जिससे दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन की गतिविधियों पर नजर रखने में भी मदद मिलेगी.

क्वाड के सदस्य देश और उनके हित

अमेरिका : अमेरिका वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. दुनिया के लगभग सभी क्षेत्रों में अमेरिका की सैन्य उपस्थिति विद्यमान है. हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करता रहा है. अमेरिका के सैन्य अड्डे भी इस क्षेत्र में मौजूद है. इतना ही नहीं, इस क्षेत्र के तमाम देशों जैसे जापान, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड आदि देशों के साथ अमेरिका की सुरक्षा संधियां हैं. इसलिए क्वाड में अमेरिका की एक अहम् भूमिका है.

अमेरिका के लिए क्वाड समूह बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाल में अमेरिका और चीन के संबंधों में तनाव बहुत बढ़ा है और अमेरिका क्वाड की मजबूती को चीन की कमजोरी के रूप में देखता है.

जापान : जापान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. जापान हमेशा से ही आर्थिक और सामरिक नीतियों में पश्चिमी देशों का समर्थन करता रहा है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान की तरफ से आक्रामक सेनाओं के विकास पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन अब नई परिस्थितियों में जापान अपनी नौसेना का विकास कर रहा है.

जापान दुनियाभर से अपने व्यापार के लिए बहुत हद तक समुद्री रास्ते पर ही निर्भर है. जापान के रक्षा बलों ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंधों को मजबूत किया है. इसी के साथ, उसने पूरे क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग ट्रेड और इंफ्रा के विकास पर निवेश भी किया है. इस क्षेत्र में चीन की सक्रियता जापान के लिए भी चिंता का विषय है. जापान इस क्षेत्र में चीन की आर्थिक गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं.

भारत : भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इसी के साथ भारत हिंद महासागर में एक प्रमुख शक्ति और दुनिया का सबसे बड़ा क्रियाशील लोकतंत्र है.

इस दशक की सबसे बड़ी त्रासदी कोरोना महामारी में चीन का नाम सामने आने, भारतीय सीमा पर चीन की आक्रामक नीति और अमेरिका-चीन के ट्रेड वार ने भारत के सामने रास्ते खोल दिए हैं. भारत अपनी नीतियों में बदलाव कर एक बड़ा निवेश हासिल कर सकता है, जिससे रोजगार के हालात सुधरेंगे और क्वाड में भारत का महत्व भी बढ़ेगा.

ऑस्ट्रेलिया : ऑस्ट्रेलिया दुनिया की 14वीं बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन हिंद-प्रशांत क्षेत्र की एक प्रमुख शक्ति है. ऑस्ट्रेलिया की नौसेना अत्यधिक विकसित और सक्षम है.

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About Sonam Agarwal 237 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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