सकल प्रजनन दर (Gross Reproduction Rates, or, GRR in Vital Statistics in Hindi)

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सकल प्रजनन दर (Gross Reproduction Rates, or, GRR in Vital Statistics in Hindi)

प्रजनन दरें (Reproduction Rates in Vital Statistics in Hindi) – प्रजनन दरें दो प्रकार की होती हैं: (1) सकल प्रजनन दर (GRR) (2) शुद्ध प्रजनन दर (NRR)

(1) सकल प्रजनन दर (Gross Reproduction Rates, that is, GRR) –

आज की नवजात लड़कियां भविष्य की मातायें होती हैं और सही मायनों में जनसंख्या वृद्धि लड़कियों की संख्या पर ही निर्भर करती है। इसलिए जनसंख्या पुनरुत्पादन (population reproduction) सही ढंग से मापने के लिए, सकल प्रजनन दर की गणना की जाती है। “सकल प्रजनन दर, 15 से 49 वर्ष वाले आयु – वर्ग की स्त्रियों की केवल कन्या – जन्म पर आधारित, आयु विशिष्टता प्रजनन दरों का योग है।” सकल प्रजनन दर हमें यह बतलाती है कि किस दर पर माताएं, कन्याओं द्वारा और पुरानी पीढ़ी द्वारा प्रतिस्थापित की जायगी बशर्ते कि (i) प्रजनन काल की उच्चतम सीमा अर्थात 49 वर्ष की आयु तक पहुँचने से पहले किसी भी माता की मृत्यु न हो और (ii) प्रजनन काल में वर्तमान प्रजनन दरें यथास्थिर बनी रहें।

उदाहरण के लिए, मान लीजिये 1000 कन्याएं 49 वर्ष तक जीवित रहती हैं और लगभग 2500 बच्चों को जन्म देती हैं जिनमें से 46% लड़कियां हैं तो उनके द्वारा जन्म लेने वाली कन्याओं की संख्या, 2500 × 46 ÷ 100 = 1150 होगी। अर्थात यहाँ सकल प्रजनन दर 1150 प्रति हजार होगी और प्रति स्त्री यह दर 1.15 होगी। इसका अर्थ यह हुआ कि वर्तमान समय की एक माता के स्थान पर भविष्य में 1.15 माताएं बन चुकी होंगी और इस दृष्टि से जनसंख्या का प्रतिस्थापन भी तेजी से साथ हो रहा होगा।

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निर्वचन (Interpretation)

(i) अगर जनसंख्या की प्रजनन दर 1 है तो इसका अर्थ यह होता है कि सम्बंधित लिंग अपने आप को पूरी तरह से प्रतिस्थापित कर रहा है।

(ii) यदि यह दर 1 से कम है तो जनसंख्या में कमी होगी क्योंकि भविष्य में माताओं की संख्या निरंतर कम होती रहेगी।

(iii) इसके विपरीत यदि सकल प्रजनन दर 1 से अधिक है तो भविष्य में संख्या बढ़ेगी भले ही मृत्यु-दर कितनी ही नीची क्यों न हो।

गुण व सीमाएं (Merits and Limitations)

GRR (Gross Reproduction Rates – सकल प्रजनन दर) का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में या एक ही क्षेत्र के भीतर अलग-अलग समय अवधि में प्रजनन क्षमता को मापने के लिए किया जाता है। यह दर कुल प्रजनन दर से अधिक उपयोगी मानी जाती है क्योंकि इसकी गणना करते समय केवल जन्म लेने वाली लड़कियों को ही ध्यान में रखा जाता जो कि भविष्य में माँ बनने वाली होती हैं, जबकि कुल प्रजनन दर की गणना करते समय लड़के और लड़कियों दोनों को सम्मिलित किया जाता है जोकि गलत है। इसका मुख्य दोष, वर्तमान मृत्यु दर (current mortality) को दृष्टि में न रखना है। चूंकि सभी लड़कियाँ प्रजनन – योग्य आयु तक जिन्दा नहीं रह पातीं इसलिए सकल प्रजनन दर एक भ्रमात्मक विचार है क्योंकि यह संभावित माताओं की संख्या को अनावश्यक रूप से बढ़ा देती है। हाँ ! शुद्ध प्रजनन दर (NRR – Net Reproduction Rate) की गणना करके इस दोष को ठीक किया जा सकता है।

सकल प्रजनन दर की शुद्धता का स्तर (level of accuracy) इस बात पर निर्भर करता है कि ‘आयु – विशिष्टता प्रजनन दर (age-specific fertility rate)’ की गणना कितनी शुद्धता (accuracy) के साथ की गयी है। इस सम्बन्ध में विभ्रमों (confusion) के मुख्य स्रोत ये हो सकते हैं –
(i) जन्मों का कम पंजीयन होना (Under-registration of births),
(ii) पंजीयन के समय माताओं की आयु का गलत या अपर्याप्त विवरण देना,
(iii) आयु – वर्गों के अनुसार स्त्री – जनसंख्या की गणना अथवा अनुमान लगाते समय विभ्रमों का उत्पन्न हो जाना।


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