आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के रूप में मनाया जाता है. इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म में भी हुआ था, इसलिए इसे ‘व्यास पूर्णिमा’ (Vyas Purnima) भी कहा जाता है. इस दिन से ऋतु परिवर्तन (Change of Seasons) भी होता है. इस दिन से वायु की परीक्षा करके आने वाली फसलों का अनुमान किया जाता है. गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु की विशेष पूजा करते हैं और यथाशक्ति अपने गुरु को दक्षिणा, पुष्प, वस्त्र आदि भेंट करते हैं. गुरु की उपासना से जीवन में हर चीज सरलता से पाई जा सकती है.
कुछ लोग सवाल करते हैं कि गुरु की एकादशी क्यों नहीं होती, गुरु पूर्णिमा ही क्यों होती है? इसलिए क्योंकि गुरु वही होता है जो संपूर्ण हो. और पूर्णिमा का दिन भी अपने आप में पूर्ण माना जाता है, इसलिए गुरु की विशेष पूजा के लिए पूर्णिमा का दिन चुना गया है.
कौन है गुरु?
गुरु वो होता है, जो सही दिशा दिखाए, समाज में रहना और हर मुश्किल का सामना करना सिखाए, अपने शिष्य का भला ही चाहे, जिसकी दिखाई दिशा से शिष्य का कल्याण हो जाए, जो आपको सत्य दिखाए और गलत रास्ते पर चलने से बचा ले. शिष्य को एक सही समाज और देश निर्माण में सहायक बनाए. जिसके पास आकर शिष्य अपनी समस्याओं, दुविधाओं और आशंकाओं से मुक्त हो जाए और मन की शांति को पा सके, साथ ही अपने कर्तव्य मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा और शक्ति मिले.
इसीलिए रामचरितमानस (Ramcharitmanas) की रचना करने से पहले गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान जी के साथ-साथ गुरु वंदना की भी है. उन्होंने लिखा है-
और इसीलिए कबीरदास जी ने भी कहा है कि-
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।।
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना करने से पहले हनुमान चालीसा लिखकर हनुमान जी की वंदना अपने गुरु के रूप में की है-
श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।
बरनउ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
भगवान श्रीकृष्ण ने एक गुरु के रूप में न सिर्फ अर्जुन को, बल्कि समस्त संसार को गीता का रहस्य बताया. श्रीकृष्ण को जगदगुरु कहा गया है. वहीं, भगवान शिव समस्त प्रकृति के स्वामी हैं और आदि गुरु हैं.
नासिक में गोदावरी नदी के तट पर पंचवटी में नंदी ने भगवान शिव को ज्ञान दिया था, इसलिए उस स्थान पर भगवान शिव अपने वाहन नंदी के सामने विराजमान नहीं हैं, क्योंकि वे वहां नंदी को अपने गुरु के रूप में पूजते हैं.
विभीषण जी ने हनुमान जी को अपना गुरु माना है, क्योंकि हनुमान जी के द्वारा ही उन्हें श्रीराम जी की कृपा पाने का मार्ग पता चला.
सच्चा गुरु कौन होता है, इसका उदाहरण माता सीता, महारानी शकुंतला, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि वाल्मीकि, विश्वामित्र आदि से भी मिलता है.
जैसे- जब नारद जी ने पार्वती जी को भगवान शिव को प्रसन्न करने का मार्ग बताया तो पार्वती जी ने नारद जी को अपना गुरु मानकर भगवान शिव की तपस्या शुरू कर दी थी.
नारद जी ने नन्हे से भक्त ध्रुव को भी भगवान विष्णु जी से मिलवाने का मार्ग बताया था, और तब ध्रुव ने नारद जी को अपना गुरु मानकर भगवान विष्णु जी की उपासना शुरू कर दी थी.
माता-पिता
हर एक व्यक्ति का पहला गुरु उसकी मां होती है. जैसे सीता जी (लव, कुश), शकुंतला (उनके पुत्र भरत), मां यशोदा (भगवान श्रीकृष्ण), जीजाबाई (छत्रपति शिवजी), जयवंता बाई (उनके पुत्र महाराणा प्रताप) आदि. भरत, जिनके नाम पर इस देश का नाम पड़ा, वो कहते थे कि उनकी मां (शकुंतला) उनकी गुरु भी हैं.
भगवान श्री गणेश जी तो अपने माता-पिता (भगवान शिव-पार्वती) को ही अपना संसार, गुरु यानी सब कुछ मानते हैं, और इसीलिए वो प्रथम देवता के रूप में पूजनीय हैं.
इसी तरह महर्षि वशिष्ठ, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि विश्वामित्र आदि ने भी हमेशा अपने शिष्यों, समाज को और यहां तक की राजाओं को सही दिशा दिखाई, इसलिए गुरुओं में इनका नाम अग्रणी है.
एकलव्य जी तो पत्थर की मूर्ति को ही अपना गुरु मानकर एक महान धनुर्धारी बने.
रामचरितमानस में काकभुशुण्ड जी द्वारा रुद्राष्टक (Rudrashtak) की रचना के बारे में सुनाई जाने वाली कथा को पढ़कर आप एक गुरु की महिमा और दयालुता को और अच्छी तरह समझ सकते हैं.
अगर कोई गुरु नहीं है तो?
♦ अगर कोई गुरु नहीं है, तो भगवान शिव, या भगवान श्रीकृष्ण या मां गायत्री को अपना गुरु मानकर उनकी पूजा करें. कोई गुरु न होने पर गायत्री मंत्र का जप जरूर करना चाहिए.
♦ गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र देव और भगवान शिव जी की उपासना जरूर की जानी चाहिए.
♦ गुरु पूर्णिमा के दिन गायत्री मंत्र का जप जरूर किया जाना चाहिए.
♦ गुरु पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है. कुछ लोग घर में ही पानी में गंगा जल मिलाकर भी स्नान करते हैं.
♦ गुरु पूर्णिमा के दिन गले में अर्धचंद्र धारण करने से मानसिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
♦ अगर आप मोती धारण करना चाहते हैं, तो पूर्णिमा का दिन इसके लिए सबसे अच्छा होता है.
इस साल (2022) को गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई, बुधवार को है (Guru Purnima is on 13th July, Wednesday).
जानिए दैनिक जीवन में भगवान की पूजा कैसे की जाती है?
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