Orange Benefits for Health
मोसंबी की तरह ही नारंगी या संतरा (Narangi or Orange or Santra) भी नींबू की ही जाति का फल है. नारंगी देखने में सुंदर, खाने में खट्टी-मीठी, मधुर और शीतल लगती है. इसका रस मुंह का टेस्ट अच्छा बना देता है, गर्मियों में शरीर को ठंडक देता है, बार-बार लगने वाली प्यास को बुझाता है और सेहत के लिए बहुत लाभदायक है. इसलिए नारंगी भी लगभग सभी को पसंद होती है. नारंगी का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है. इसका इस्तेमाल एक औषधि के रूप में भी किया जाता है. आयुर्वेद में इसके बहुत से गुणों पर विस्तार से बताया गया है.
नारंगी का पेड़ (Orange Tree)
अपने घर में या घर के आसपास नारंगी और नींबू के वृक्ष लगाना सौभाग्य और संपन्नता की निशानी माना जाता है. नारंगियों से लदे पेड़ अत्यधिक सौभाग्यशाली समझे जाते हैं. नारंगी का जन्म स्थान भारत और चीन माना जाता है. यहीं से होकर नारंगी अन्य देशों यूरोप, अफ्रीका में गई. हमारे भारत में तो बहुत प्राचीन काल से ही नारंगी प्रसिद्ध है.
नारंगी या संतरे के पेड़ों के लिए गर्म हवा अनुकूल रहती है. नागपुर के आसपास की जलवायु इसके लिए बहुत अनुकूल होती है. इसके बीज की पनीरी करके या कलम करके दोनों तरीकों से ही बोआई की जाती है. नारंगी के पेड़ छोटे, खूब सारी शाखाएं वाले और 12 महीने चमकदार हरे पत्तों वाले होते हैं. इसके फूल सफेद, गोल और 4 से 8 पंखुड़ियों वाले होते हैं. फूल परिपक्व होने पर पीलापन लिए लाल रंग के होते हैं. इनकी सुगंध बहुत ही मधुर होती है.
नारंगी का पहला मौसम अक्टूबर से फरवरी तक का और दूसरा मार्च से मई तक का होता है. पहले मौसम के फल कुछ खट्टे होते हैं, जबकि दूसरे मौसम के फल मीठे और ज्यादा अच्छे होते हैं. नारंगी बोने के बाद करीब चार से पांचवे वर्ष पर फल लगते हैं. एक पेड़ पर आमतौर पर 200 से 400 फल लगते हैं. इसका पेड़ 20-25 सालों तक फल देता रहता है. नारंगी की कई किस्में होती हैं, पर मुख्य रूप से दो किस्में हैं- खट्टी और मीठी.
नारंगी के गुण और फायदे (Benefits of Orange)
• नारंगी या संतरा सालभर उपलब्ध होने वाला फल है. इसका रस मीठा या खट्टा-मीठा और गुणकारी होता है. गर्मियों के लिए यह एक उत्तम पेय पदार्थ है. इसका रस तृषा, दाह और अरुचि को मिटाता है. नारंगी के रस से रक्त शुद्धि होती है, भूख खुलती है और पाचन शक्ति बढ़ती है. नारंगी के रस का शरबत भी बनता है जो गर्मियों में शरीर को ठंडक देने के लिए पीया जाता है. इसी के साथ, नारंगी का अचार और मुरब्बा भी बनाया जाता है.
• नारंगी सुपाच्य, स्फूर्ति देने वाली, गर्मी को दूर करके ठंडक देने वाली और रक्त को शुद्ध करने वाली एवं बढ़ाने वाली है. व्रत-उपवास के दौरान नारंगी का रस शरीर को शक्ति देता है, प्रत्येक पाचक अंग की शुद्धि करता है और आराम देता है. भोजन के कुछ देर बाद नारंगी का सेवन करने से किसी प्रकार का विकार नहीं होता.
• नारंगी का रस बुखार को दूर करने वाला, प्यास को मिटाने वाला, रक्तपित्त शामक और रक्त पौष्टिक है. यह बुखार में लाभकारी है. इनफ्लुएंजा दूर करने में नारंगी मदद करती है. नारंगी का रस हाई ब्लड प्रेशर को भी कम करता है. नारंगी में करीब 87% पानी होता है, अतः इसका रस पचने में काफी हल्का है. थके-मांदे या बीमार व्यक्ति को नारंगी का रस देने से बहुत लाभ होता है, लेकिन-
नोट – खट्टी-नारंगी जुकाम खांसी और पित्त करती है. खट्टे नारंगी ज्यादा मात्रा में खाना ठीक नहीं होता. बीमार लोगों के लिए मीठी नारंगी ही फायदेमंद है. उन्हें खट्टी नारंगी नहीं देनी चाहिए.
• नारंगी में मौजूद ठंडक शरीर की गर्मी को दूर करती है और बार-बार लगने वाली प्यास को मिटाती है. नारंगी के रस में प्यास मिटाने का सर्वोत्तम गुण है. यह पेशाब का पीलापन और दाह दूर करती है, आंखों की गर्मी को मिटाकर ठंडक और शांति देती है.
• यदि भोजन गरिष्ठ हो गया हो, या अत्यधिक आहार से जठर कमजोर हो गया हो, जिससे भोजन पूरी तरह पच न रहा हो और सड़ने लगता हो, और उससे गैस बनने लगती है, तो इन समस्याओं को दूर करने के लिए नारंगी उपयोगी है. यह जठर और आंतों के मार्ग को साफ करती है और पाचन शक्ति को बढ़ाती है, जिससे रोगी को आराम मिलता है (इन समस्याओं में नारंगी के स्थान पर पके टमाटरों का उपयोग भी किया जा सकता है).
♦ नारंगी में विटामिन ए और बी सामान्य मात्रा में, विटामिन सी अच्छी मात्रा में और विटामिन डी अल्प मात्रा में होता है. इसमें आयरन और कैल्शियम अधिक मात्रा में है, इसलिए इसके सेवन से शरीर के वजन और रक्त में वृद्धि होती है, रक्त का फीकापन दूर होता है, दांतों और हड्डियों की मजबूती बढ़ती है. नारंगी में फास्फोरस जैसे खनिज भी हैं. नारंगी में खनिज क्षार अच्छी मात्रा में है, इससे शरीर की अम्लता कम होती है.
♦ नारंगी में 40% विटामिंस होते हैं. जोड़ों का दर्द, हाथ-पैर का शूल आदि में भी इससे लाभ होता है. नारंगी इन्फ्लूएंजा को दूर करने में सहायक है. यह आँखों में होने वाली जलन खुजली आदि समस्याओं से भी राहत दिलाने में मदद करता है. पेट और आंतों की बीमारियां ठीक होती हैं. रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ती है. नारंगी में एंटी कैंसरकारक गुण भी पाए जाते हैं.
♦ आयुर्वेद के अनुसार, नारंगी मधुराम्ल, बलप्रद, अग्नि प्रदीपक, दाहशामक, आहार को पचाने वाली, अरुचि को दूर करने वाली, वातनाशक, पौष्टिक, उदरकृमि और उदरशूल का नाश करने वाली होती है. इसमें दीपन-पाचन गुण होता है. यह मंदाग्नि, खांसी, वायु, पित्त, कफ, क्षय, तृषा, दाह, उल्टी, अरुचि को दूर करती है. नारंगी के रस का सेवन करने से पित्त का शमन होता है और रक्तस्थित अम्लता दूर होती है, रक्त की अशुद्धि दूर होती है.
• नारंगी खाने से पेट की गैस दूर होती है और आंतें तेज बनती हैं. नारंगी के सेवन से हाई ब्लड प्रेशर कम होता है. यदि सिर चकराता हो तो आराम होता है. शरीर की गर्मी दूर होती है और फोड़े-फुंसी आदि रोग मिटते हैं, बालों में भी मजबूती आती है. गर्मियों में नारंगी खाने से कब्ज दूर होती है.
नारंगी का छिलका (Orange Peel)
नारंगी के फल का छिलका भी बहुत फायदेमंद होता है. इससे कई प्रकार की औषधियां और सौंदर्य प्रशाधन बनाए जाते हैं. नारंगी के छिलकों को अच्छे से सुखाकर और उन्हें पीसकर उनका पाउडर बनाकर त्वचा के लिए कई प्रकार की औषधियां या लेप या फेस पैक बनाए जाते हैं, जो त्वचा की कई समस्याओं को दूर करने में कारगर होते हैं.
नारंगी के सेवन से सूखी, खुरदरी और काली पड़ी हुई त्वचा में चेतना आती है, उसकी कोमलता बढ़ती है और वह मुलायम बनती है. नारंगी या संतरे के छिलके (Orange Peel) में रंगत साफ करने और दाग-धब्बों को हटाने की विशेषता होती है. संतरे के छिलके त्वचा में चमक बढ़ाते हैं और नई जान ला देते हैं. जैसे-
• यदि आपकी स्किन ऑयली है तो नारंगी के छिलकों को अच्छे से सुखाकर इसके पाउडर को शहद में मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें और चेहरे पर लगाएं.
• इस पाउडर में थोड़ा सा गुलाब जल मिलाकर लगाने से कील-मुंहासों की समस्या दूर होती है, टैनिंग दूर होती है और त्वचा पर अच्छा निखार आता है.
• संतरे के छिलके के पाउडर में जो कुछ भी मिलाएं, वो अपनी स्किन के अनुसार ही मिलाएं, जैसे यदि आपकी स्किन ड्राई है, तो आप इसमें दूध या मिलाई मिलाएं.
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• यदि त्वचा पर कहीं भी ब्लैकहेड्स हो रहे हैं, तो मृत त्वचा को हटाने में नारंगी के सूखे छिलकों का स्क्रब भी बेहतरीन उपाय है.
• इस पाउडर में बेसन, हल्दी, चंदन और दूध (या गुलाबजल या पानी) मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें. इस पेस्ट को हाथ-पैरों और गर्दन आदि पर मलते हुए लगाएं और आधे घंटे बाद पानी से धो लें. इससे रंगत निखरती है.
• बालों में डैंड्रफ होने पर नारंगी के छिलके को सुखाकर पाउडर तैयार कर लें और फिस इसमें नारियल के तेल को मिक्स करें. इसे बालों में लगाएं और कुछ देर बाद शैम्पू कर लें.
• कुछ लोग नारंगी के छिलकों को गर्म पानी से धोकर खाते भी हैं. संतरे के छिलके को पानी में उबालें. इस पानी से कुल्ला करने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है.
♦ लेकिन नारंगी के छिलकों के पाउडर के जितने भी प्रयोग करें, वे सब यदि घर पर ही बनाये पाउडर यूज करें, तो बेहतर.
नारंगी के फल, फल के रस, छिलके और फूल सभी का उपयोग औषधि के रूप में होता है. नारंगी के छिलके रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, पेट के कीड़े, अपच, अशक्ति को दूर करते हैं. नारंगी के छिलकों से तेल भी निकाला जाता है जो कीटाणुनाशक और पाचक होता है. यह तेल स्वादरहित औषधियों में स्वाद लाने के लिए मिलाया जाता है. बच्चों की दवाइयों में भी इसका उपयोग किया जाता है. नारंगी के तेल से सुगंधित पदार्थ भी बनाए जाते हैं.
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