Holika Dahan ki Puja (Upay Totke)
होलिका दहन (Holika Dahan) एक ऐसा त्योहार है, जिसमें सभी मुश्किलों को जलाया जा सकता है, और सभी नेगेटिव चीजों को खत्म किया जा सकता है. यानी होलिका दहन की पूजा कर जीवन के कई दोषों को दूर किया जा सकता है. माना जाता है कि होलिका दहन के साथ ही जीवन में खुशियां आनी शुरू हो जाती हैं और पुराने दुख या तकलीफें भस्म हो जाती हैं. आज हम यहां देखेंगे कि होलिका दहन क्या है और इसे मनाने की क्या परंपरा है. साथ ही होलिका दहन पर किए जाने वाले वाले कुछ महाउपाय या टोटके-
होलिका दहन क्या है-
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल की पूर्णिमा के दिन किया जाता है. यह दिन भगवान की कृपा पाने के लिए बहुत अच्छा होता है. होलिका दहन वाले दिन कुछ विशेष प्रयोग या विशेष उपायों को करके मन और जीवन की तमाम समस्याओं को दूर किया जा सकता है. रोगों या बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है. अगर विरोधी या शत्रु बहुत हैं, तो इन विशेष उपायों से उन्हें भी शांत किया जा सकता है. इसी के साथ, आर्थिक समस्याओं से भी राहत पाई जा सकती है.
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हिंदू नववर्ष (Hindu Nav Varsh) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की पहली तिथि को शुरू होता है. इसके आने से पहले पुराने साल को विदाई दी जाती है… और होलिका दहन उसी पुराने साल को समाप्त करने के लिए मनाया जाता है. माना जाता है कि होलिका दहन के साथ ही पुराने साल की सभी मुश्किलों, नेगेटिव चीजों आदि को भी जला दिया जाता है.
होलिका दहन का वैज्ञानिक कारण-
हम सब जानते हैं कि भारतीय संस्कृति के पास दुनिया की हर समस्या का समाधान है. हमारे देश की प्राचीन सभ्यताओं, कथाओं और ऋषि मुनियों ने जो कुछ भी इस धरती को दिया, उसने समय समय पर पूरी दुनिया का मार्गदर्शन किया. क्षेत्र कोई भी हो, चाहे शिक्षा का हो, या चिकित्सा का, धर्म हो या कर्म, सभी में पूरी मानव जाति का कल्याण ही छिपा है.
और यही कारण है कि आज पूरा विश्व प्राचीन भारतीय संस्कृति का लोहा मानता है. हमारे भारत में जितने भी हिंदू त्योहार हैं, वे कहीं न कहीं सभी के कल्याण के लिए ही बनाए गए हैं और इस बात की पुष्टि समय-समय पर वैज्ञानिकों ने भी की है कि लगभग सभी भारतीय त्योंहारों को मनाने के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण है.
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मार्च का महीना सर्दी के मौसम के जाने और बसंत के आने का समय होता है. जब होलिका जलाई जाती है, तो उससे आसपास का तापमान बढ़ जाता है, जिसकी गर्मी में वातावरण में मौजूद सभी बैक्टीरिया जलकर खत्म हो जाते हैं. दहन से निकली गर्मी शरीर में भी मौजूद बैक्टीरिया को भी मार देती है. इसके अलावा दहन में जिन चीजों को डालने की सलाह दी जाती है, या यदि होलिका दहन को पारम्परिक तरीके से ही मनाया जाता है, तो उनसे निकलने वाला धुआं भी कई स्वास्थ्य लाभ पहुंचा सकता है.
होलिका दहन की पूजा-
होलिका दहन में किसी सूखे वृक्ष की शाखा (किसी हरे-भरे पेड़ की लकड़ियों को नहीं तोड़ा जाता है) को किसी जमीन के बीच में गाड़कर उसे चारों तरफ से सूखी लकड़ियों, उपलों, कंडों आदि से घेर देते हैं. इसके बाद एक निश्चित मुहूर्त में इस शाखा को जलाया जाता है. पूजा के दौरान इस अग्नि में छेद वाले गोबर के उपले, कंडे, गेहूं की नई बालियां आदि जलाई जाती हैं.
होलिका दहन की पूजा- होलिका दहन वाले दिन सुबह स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनें. इसके बाद भगवान विष्णु-माता लक्ष्मी और श्रीराधा-कृष्ण की पूजा करें.
जब होलिका दहन की पूजा को जाएं तो- हाथ जोड़कर होलिका दहन की अग्नि को प्रणाम करें और जहां होलिका जल रही है, उसके सामने की जमीन पर थोड़ा जल डालें. इसके बाद थोड़ा सिंदूर, गुलाल, चावल आदि उसके ऊपर छिड़कें (दूर से ही). फिर अग्नि में गोबर के उपले, कंडे, काले तिल के दाने और गेहूं की बालियां आदि डालें. (परिवार का एक सदस्य एक नारियल लेकर परिवार के सभी सदस्यों के सिर के ऊपर से वार दे और उसे ले जाकर होलिका दहन की पूजा के दौरान उसकी अग्नि में डाल दे).
ये सब करने के बाद हाथ जोड़कर अग्नि की तीन बार परिक्रमा करें और फिर अग्नि को प्रणाम करके मन ही मन अपनी मनोकामना को कहें. जो प्रसाद साथ लाए हैं, उसे थोड़ा सा होलिका दहन की अग्नि को समर्पित करें, फिर सभी में प्रेम से वह प्रसाद बांट दें.
होलिका के जल जाने के बाद उसकी जो राख होती है, वह बड़ी कीमती या चमत्कारी मानी जाती है. इस राख को घर में लाकर खुद का और घर के सभी सदस्यों का तिलक किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से आने वाला नया संवत या नया साल अच्छा होता है.
इसलिए होलिका की अग्नि की राख को अपने घर पर जरूर लाएं और स्वयं का और घर के लोगों का तिलक करें. यह बहुत ही शुभ माना जाता है. आप चाहें तो इस राख को लाकर किसी छोटी सी शीशी में इकट्ठा करके रखिए और जब भी किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए जाएं, तो इस राख से तिलक करके जाएं, यह अच्छा माना जाता है.
नोट- यह भी कहा जाता है कि नवविवाहिता स्त्री को होलिका दहन की अग्नि को नहीं देखना चाहिए.
होलिका दहन की पूजा के दौरान किए जाने वाले कुछ उपाय-
अलग-अलग चीजों को होलिका की अग्नि में डालकर अपनी कई समस्याओं या बाधाओं से मुक्ति पाई जा सकती है. होलिका दहन की अग्नि में विशेष चीजों को डालकर उसकी परिक्रमा करने का मतलब होता है कि यह अग्नि आपके दुख या तकलीफों को खुद ग्रहण करके उन्हें भस्म कर देती है. होलिका की अग्नि में कोई सरसों डालता है, कोई नारियल डालता है, कोई कपूर डालता है… यानी जिस तरह की आपकी मनोकामनाएं हैं, उन्हीं के हिसाब से आप होलिका की अग्नि में अलग-अलग चीजों को डालकर अपनी मनोकामना को पूरा कर सकते हैं.
अच्छे स्वास्थ्य के लिए- “सबसे बड़ा सुख निरोगी काया”. अगर अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रहे हैं तो अपने दाहिने हाथ की मुट्ठी में काले तिल के कुछ दाने लेकर, उन्हें अपने सिर के ऊपर से तीन बार घुमाकर होलिका दहन की अग्नि में डालें.
बीमारी से मुक्ति पाने के लिए- अगर आप किसी बीमारी से मुक्ति चाहते हैं या अगर आप आए दिन बार-बार बीमार हो जाते हैं, तो पूजा के दौरान होलिका दहन की अग्नि में 3 या 11 हरी इलायची और कपूर डालें.
आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए- अगर धन से जुड़ी समस्याएं हैं, या आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए पूजा के दौरान अपने दोनों हाथों से चंदन की छोटी लकड़ी होलिका दहन की अग्नि में डालें.
रोजगार या कारोबार में सफलता के लिए- अगर रोजगार या कारोबार से जुड़ी किसी तरह की समस्या है तो अपने दाहिने हाथ की मुट्ठी में पीली सरसों के दाने लेकर, अपने सिर पर से तीन बार घुमाकर होलिका दहन की अग्नि में डालें.
नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए- अगर आपको ऐसा लगता है कि आपके ऊपर किसी तंत्र-मंत्र का प्रयोग किया गया है, या आप नेगेटिव एनर्जी या नजर दोष को महसूस कर रहे हैं, तो अपने दाहिने हाथ की मुट्ठी में काली सरसों के दाने (राई) लेकर, अपने सिर पर से तीन बार घुमाकर होलिका दहन की अग्नि में डालें.
विवाह संबंधी समस्याएं दूर करने के लिए- अगर विवाह में देरी हो रही है या वैवाहिक जीवन में कोई समस्या आ रही है, तो बाजार से खरीदी गई सामान्य हवन सामग्री में थोड़ा देसी घी और जौ के कुछ दाने डालकर इन सबको अपने दोनों हाथों से होलिका दहन की अग्नि में डालें.
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