Deep Ocean Mission Samudrayaan
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) ने चेन्नई में भारत का पहला मानवयुक्त महासागर अभियान ‘समुद्रयान’ (Manned Ocean Mission ‘Samudrayaan’) लॉन्च किया है. इस मिशन के तहत भारत समुद्र की गहराइयों में छिपे रहस्यों को पता लगाएगा और उन्हें दुनिया के सामने रखेगा. यह मिशन भारत के महासागर मिशन (Ocean Mission) का हिस्सा है.
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘इस अनोखे मिशन की शुरुआत के साथ ही भारत अमेरिका, जापान, फ्रांस, रूस और चीन जैसे देशों की लिस्ट में या ‘इलीट क्लब’ में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसी गतिविधियों के लिए पहले से ही स्पेशल टेक्नोलॉजी और वाहन हैं.
यानी विकसित देश इस तरह के समुद्री मिशन पहले ही पूरे कर चुके हैं. विकासशील देशों में भारत पहला देश है, जिसने गहरे समुद्र में इस मिशन की शुरुआत की है. इस मिशन को जून 2021 में मंजूरी दे दी गई थी और अब इसे लॉन्च कर लिया गया है.
क्या है ‘डीप ओशन मिशन’
‘डीप ओशन मिशन’ (Deep Ocean Mission) भारत का पहला मानवयुक्त महासागर अभियान है, जिसका उद्देश्य समुद्र के गहरे पानी में खोज के लिए पनडुब्बियों के जरिए व्यक्तियों को गहराई में भेजना है. यह मिशन गहरे पानी के नीचे अध्ययन के लिए व्यक्तियों को ‘मत्स्य 6000’ नाम की मानवयुक्त पनडुब्बी में करीब 6,000 मीटर की गहराई तक समुद्र में भेजेगा. आमतौर पर पनडुब्बियां केवल 200 मीटर की गहराई तक ही जा पाती हैं.
यह मिशन इतनी गहराई में पीने के पानी और स्वच्छ ऊर्जा के लिए समुद्री संसाधनों (Marine Resources) का पता लगाने की कोशिश करेगा. इस मिशन से सरकार की ब्लू इकोनामी (Blue Economy) पहल को समर्थन मिलने के साथ-साथ विकास के नए रास्ते भी खुलेंगे. अगले पांच सालों में इस मिशन पर 4,077 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है और इसे अलग-अलग चरणों में लागू किया जाएगा. तीन साल (2021-2024) के पहले चरण की अनुमानित लागत 2,823.4 करोड़ रुपये होगी.
‘मत्स्य 6000’ पनडुब्बी
‘मत्स्य 6000’ देश में ही तैयार की गई मानवयुक्त सैन्य पनडुब्बी (Manned military submarine) है. इस पनडुब्बी को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह समुद्र की गहराइयों में खोज कर सकती है. 2.1 मीटर व्यास की यह पनडुब्बी टाइटेनियम धातु से तैयार की गई है. यह एक साथ तीन लोगों को समुद्र की गहराई में ले जाने में सक्षम है.
सामान्य स्थिति में यह पनडुब्बी समुद्र की गहराई में 12 घंटे तक और इमरजेंसी में 96 घंटे तक रहने में सक्षम है. यह गहरे समुद्र में करीब एक हजार से 5,500 मीटर की गहराई में पाए जाने वाले पॉलीमैटेलिक मैग्नीज नॉड्यूल, गैस हाइड्रेट्स, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्रस्ट जैसे संसाधनों की मौजूदगी का पता लगाने और उन्हें प्राप्त करने में मदद करेगी.
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