प्रोजेक्ट-75 के तहत स्कॉर्पीन श्रेणी की चौथी पनडुब्‍बी INS वेला नौसेना में शामिल

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INS वेला

INS Vela in Navy Project-75

देश की अग्रणी जहाज निर्माण कंपनी मझगांव डॉकशिप बिल्डर्स लिमिटेड (Mazagon Dock Shipbuilders Limited-MDL) की तरफ से ‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत बनाई गई स्कॉर्पीन श्रेणी की चौथी पनडुब्बी आईएनएस वेला (INS Vela) को भारतीय नौसेना (Indian Navy) में 9 नवंबर को शामिल कर लिया गया है. समुद्री परीक्षणों के लिए INS वेला का जलावतरण 6 मई 2019 को किया गया था, जिसके बाद इसे अब नौसेना को सौंप दिया गया है. स्कॉर्पीन श्रेणी की तीन पनडुब्बियां (कलवरी, खांडेरी और करंज) नौसेना में पहले से ही तैनात हैं.

INS वेला

INS वेला का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ के तहत किया गया है. यह पनडुब्बी ‘स्टील्थ एंड एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन’ समेत कई तरह की टेक्नोलॉजी से लैस है, जिससे इसका पता लगाना दुश्मनों के लिए आसान नहीं है, साथ ही इसका किसी रडार की पकड़ में आना मुश्किल है. यह पनडुब्बी टारपीडो और ट्यूब एंटी-शिप मिसाइल से हमला करने में सक्षम है. यह दुश्मनों को ढूंढकर उस पर सटीक निशाना लगा सकती है, साथ ही युद्ध की स्थिति में यह बड़ी आसानी से दुश्मनों को चकमा देकर बाहर भी निकल सकती है.

‘प्रोजेक्ट-75’ और स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां

INS वेला

♦ वर्तमान में मुंबई में स्थित मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड की तरफ से फ्रांस के मेम्बर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से ‘प्रोजेक्ट 75’ के तहत कलवरी कैटेगरी की 6 पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है. इन कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों की डिजाइन फ्रांस की स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों (Scorpene-class submarines) पर आधारित है.

♦ ‘प्रोजेक्ट-75’ भारतीय नौसेना का एक कार्यक्रम है, जिसके तहत 6 स्कॉर्पीन श्रेणी की अटैक पनडुब्बियों का भारत में निर्माण शामिल है. ये 6 पनडुब्बियां हैं- कलवरी, खंडेरी, करंज, वेला, वागीर और वागशीर. भारत में इन 6 पनडुब्बियों का निर्माण मुंबई में स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड की तरफ से किया जा रहा है. मझगांव डॉक लिमिटेड शिपयार्ड रक्षा मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (Public Sector Undertaking) है.

♦ स्कॉर्पीन श्रेणी की इन 6 पनडुब्बियों के भारत में ही निर्माण के लिए अक्टूबर 2005 में भारत और फ्रांस (फ्रांसीसी नौसैनिक कंपनी DCNS) के बीच 3.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.

♦ स्कॉर्पीन पारंपरिक रूप से चलाई जाने वाली डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है, जिसका वजन लगभग 1,500 टन है और यह समुद्र में 300 मीटर तक की गहराई में जा सकती है.

♦ स्कॉर्पीन सबसे ज्यादा जटिल पनडुब्बियों में से एक है, जो एंटी सरफेस शिप वारफेयर, एंटी-पनडुब्बी वार, खुफिया जानकारी इकट्ठा करने, खदान बिछाने और किसी विशेष क्षेत्र की निगरानी समेत कई मिशनों को पूरा करने में सक्षम है.

♦ इस कैटेगरी की पहली पनडुब्बी ‘INS कलवरी’ थी, जिसका समुद्री परीक्षणों के लिए जलावतरण अप्रैल 2015 में किया गया था और 14 सितंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना में शामिल किया था.

♦ ‘खांडेरी’ इस कैटेगरी की दूसरी पनडुब्बी है, जिसका समुद्री परीक्षणों के लिए जलावतरण 12 जनवरी 2017 को किया गया था और 1 जून 2017 से 2 सालों से ज्यादा समय के समुद्री परीक्षणों के बाद MDL ने इसे 19 सितंबर 2019 को नौसेना को सौंप दिया था, जिसे औपचारिक रूप से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 28 सितंबर 2019 को मुंबई में आयोजित एक समारोह में नौसेना में कमीशन किया था.

(‘खांडेरी’ का नाम हिंद महासागर में पाए जाने वाली एक खतरनाक शिकारी मछली के नाम पर किया गया था. इसी नाम से पहले एक खांडेरी 6 दिसंबर 1968 को भारतीय नौसेना में शामिल की गई थी. 20 सालों से ज्यादा समय तक नौसेना की सेवा में रही उस पनडुब्बी को 18 अक्टूबर 1989 को सेवा मुक्त कर दिया गया था.)

♦ स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी ‘INS करंज’ है, जिसका जलावतरण 31 जनवरी 2018 को किया गया था और मार्च 2021 में इसे नौसेना में शामिल कर लिया गया था. (इससे पहले आईएनएस करंज नाम की एक रूसी मूल की पनडुब्बी को साल 1969 में रीगा में कमीशन किया गया था. इसने साल 2003 (34 सालों) तक देश की सेवा की थी).

♦ इस श्रेणी की चौथी पनडुब्बी INS वेला है.

♦ इस कैटेगरी की दो अन्य पनडुब्बी ‘वागीर’ और ‘वागशीर’ हैं, जो मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, जिसे ‘शिपबिल्डर्स टू द नेशन’ कहा जाता है, में ही निर्माण के अलग-अलग चरणों में हैं.

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