Jatayu Earth Center Nature Park
रामायण का प्रत्येक प्रसङ्ग मनुष्य को जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षा देता है. यह कदम-कदम पर मनुष्य की मार्गदर्शिका की तरह कार्य करती है. श्रीराम के समय में मनुष्य तो क्या, पशु-पक्षी भी नारी को संकट में देखकर चुप नहीं बैठे. उन्हीं में से एक हैं वीर जटायु. जटायु एक अर्ध-देवता थे, जिनका रूप गिद्ध का था.
जटायु जानते थे कि वे रावण से नहीं जीत सकते, फिर भी वे लड़े. जटायु जानते थे कि रावण त्रिलोक विजेता है, फिर भी उन्होंने अन्याय के विरुद्ध युद्ध को चुना. वे सीता जी से कहते हैं कि “पुत्री सीता! भय मत कर. मैं इस राक्षस का नाश करूँगा. मेरे जीते जी यह राक्षस तुम्हें नहीं ले जा सकेगा.”
वीर जटायु रावण से कहते हैं-
“रावण! अपने धर्म में स्थिर रहने वाला कोई भी राजा भला पराई स्त्री का स्पर्श कैसे कर सकता है? राजाओं को तो स्त्रियों की विशेष रूप से रक्षा करनी चाहिए. जैसे पराये पुरुषों के स्पर्श से अपनी पत्नी की रक्षा की जाती है, उसी प्रकार दूसरों की पत्नियों की भी रक्षा करनी चाहिए.”
“धर्म, सदाचार अथवा पाप का मूल कारण राजा ही होता है. राजा की देखादेखी अन्य पुरुष भी वैसा ही आचरण करने लगते हैं, अतः राजा को अनुचित या अशास्त्रीय कर्म में प्रवृत्त नहीं होना चाहिए. रावण! बुद्धिमान मनुष्यों को वह कर्म नहीं करना चाहिए जिससे दूसरे लोग उसकी निंदा करें. व्यक्ति को उतना ही बोझ उठाना चाहिए जो उसे शिथिल न कर दे, वही अन्न भोजन करना चाहिए जो पेट में जाकर पच जाये, रोग पैदा न करे. इसी प्रकार जो कार्य करने से न तो धर्म होता हो, न कीर्ति बढ़ती हो और न ही अक्षय यश की प्राप्ति होती हो, उस कर्म से दूर ही रहना चाहिए.”
“रावण! मैं भले ही बूढ़ा हो गया हूँ और भले ही मेरे पास युद्ध का कोई साधन नहीं है, और तुम्हारे पास धनुष, कवच, बाण और रथ हैं, फिर भी तुम मेरे जीते जी सीता को कुशलतापूर्वक नहीं ले जा सकोगे. मेरे सामने तुम सीता का बलपूर्वक अपहरण नहीं कर सकते. यदि तुम वीर हो, तो मुझसे युद्ध करो. ठहरो रावण! दो घड़ी तो रुक जाओ, फिर देखो मैं किस प्रकार तुम्हें इस रथ से नीचे गिरा देता हूं. निशाचर! अपनी शक्ति के अनुसार युद्ध में मैं तुम्हारा पूरा आतिथ्य-सत्कार करूंगा. तुम्हें भली-भांति भेंट पूजा दूंगा.”
जटायु ने रावण से वीरतापूर्वक लड़ाई लड़ी, पर रावण ने जल्द ही उन्हें हरा दिया. रावण ने जटायु के पंख काट दिए थे, जिससे जटायु घायल होकर नीचे गिर पड़े थे. लेकिन जटायु तब तक अपने प्राणों को रोके रखे रहे, जब तक उन्होंने श्रीराम के आने पर उन्हें को सारी बात नहीं बता दी.
जटायु अर्थ सेंटर
जटायु अर्थ सेंटर (Jatayu Earth Centre), जिसे जटायु नेचर पार्क (Jatayu Nature Park) या जटायु रॉक के नाम से भी जाना जाता है, केरल के कोल्लम के चदयामंगलम में एक पार्क और पर्यटन केंद्र है. यह समुद्र तल से 1200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह अर्थ सेंटर वीर जटायु के नाम पर ही बनवाया गया है. इस एडवेंचर सेंटर की सबसे दिलचस्प विशेषता जटायु की मूर्ति है, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी पक्षी मूर्ति होने का गौरव प्राप्त है. यह विशाल प्रतिमा महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा का प्रतीक है.
जटायु की यह प्रतिमा 200 फीट लम्बी, 150 फीट चौड़ी, 70 फीट ऊंची और 15,000 वर्ग फुट फर्श क्षेत्र में फैली हुई है. अपनी तरह के इस अनूठे रामायण थीम पार्क को मशहूर फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक (मलयालम भाषा की फिल्मों में काम करने वाले) और मूर्तिकार राजीव आंचल ने डिजाइन किया था.
चादयमंगलम तिरुवनंतपुरम से लगभग 50 किमी दूर है और यहां का पार्क पौराणिक कथाओं, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, कला, साहसिक और कल्याण सहित कई तत्वों का एक सुंदर मिश्रण है. पिकनिक पर जाने वालों और रोमांच चाहने वालों के लिए समान रूप से एक आदर्श स्थान, इस जगह में एक आभासी वास्तविकता संग्रहालय भी है.
यह स्थान हर किसी को विस्मय में डाल देता है. यहाँ एक रोपवे है जहाँ से आगंतुक अपने देश और केरल के कुछ आश्चर्यजनक विहंगम दृश्यों का आनंद ले सकते हैं. हेलीकाप्टर की सवारी भी उपलब्ध है. एक प्राकृतिक इलाके के भीतर स्थित यह पार्क अन्य लोगों के बीच वैली क्रॉसिंग, ट्रेकिंग, जिप लाइन, पेंटबॉल, रैपलिंग, बोल्डरिंग, तीरंदाजी, जुमरिंग और वॉल क्लाइम्बिंग सहित दिलचस्प साहसिक गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है.
पहाड़ी पर प्राकृतिक चट्टान संरचनाएं हैं, जहां चढ़ाई की सभी गतिविधियों को डिजाइन किया गया है. इतना ही नहीं, खाने के शौकीनों के लिए, साइट पर एक बहु-व्यंजन फूड कोर्ट है जहां से मेहमान आसपास के अद्भुत मनोरम दृश्यों का आनंद ले सकते हैं.
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