70 सालों में क्यों पृथ्वी के सबसे करीब क्यों आ रहा बृहस्पति ग्रह? जानिए वजह

earth closest to jupiter at opposition 26 september 2022

Jupiter Closest to Earth 2022 (Jupiter at Opposition)

सोमवार 26 सितंबर को हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति 70 सालों में हमारी पृथ्वी के सबसे करीब होगा… और इस वजह से किसी भी समय की तुलना में यह बड़ा और चमकीला दिखाई देगा. इस दौरान बृहस्पति पृथ्वी से लगभग 365 मिलियन मील (58,74,10,560 किमी) की दूरी पर होगा. (बृहस्पति, पृथ्वी से अपने सबसे दूर बिंदु पर लगभग 600 मिलियन मील दूर रहता है).

सबसे बड़ा ग्रह होने के चलते वैसे तो बृहस्पति चमकदार रहता ही है, लेकिन इस समय सबसे नजदीक होने के कारण यह अलग ही चमकदार दिखाई देगा. यह आकाश में प्रकाश के किसी भी बिंदु की तुलना में ज्यादा चमकीला होगा. पूर्व (East) में उदित होने के बाद आप बृहस्पति को पूरी रात देख पाएंगे. मध्य रात्रि में यह सिर के ऊपर होगा और सुबह-सुबह यह पश्चिम दिशा (West) में अस्त हो जायेगा.

70 सालों में क्यों बन रहा ऐसा संयोग?
दरअसल, पृथ्वी घूमते-घूमते 26 सितंबर को बृहस्पति और सूर्य के बीच में आ जाएगी. इससे बृहस्पति, पृथ्वी और सूर्य तीनों एक सीध में होंगे. इस दौरान बृहस्पति पृथ्वी से साल की सबसे कम दूरी पर होगा, जिससे इस रात पृथ्वी और बृहस्पति के बीच की दूरी सबसे कम होने के कारण आकाश में बृहस्पति के दर्शन होंगे. इस खगोलीय घटना को ‘बृहस्पति का विरोध (Jupiter at Opposition)’ कहते हैं.

‘बृहस्पति का विरोध (Jupiter at Opposition)’ वाली खगोलीय घटना हर 13 महीने में होती है. लेकिन हर 13 महीने में बृहस्पति पृथ्वी के इतने करीब नहीं आता, जितना कि 26 सितंबर 2022 को आ रहा है. ऐसा इसलिए, क्योंकि पृथ्वी और बृहस्पति सूर्य की परिक्रमा पूर्ण वृत्तों में नहीं करते हैं. इसे एक उदाहरण से समझिये-

जैसे- जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है, तब चंद्र ग्रहण होता है. चंद्र ग्रहण पूर्णिमा की रात को ही होता है, लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं होता. ऐसा इसलिए, क्योंकि सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में हों. लेकिन ये तीनों हर पूर्णिमा या अमावस्या को एक सीधी रेखा में नहीं होते, क्योंकि चंद्रमा की कक्षा का तल (Orbital Plane) पृथ्वी की कक्षा के तल से 5 डिग्री झुका हुआ है.

Moon's orbital plane

इसी तरह, पृथ्वी हर 13 महीने में सूर्य और बृहस्पति के बीच में आती है, लेकिन इस साल ये तीनों (सूर्य, पृथ्वी और बृहस्पति) एक सीधी रेखा में आ जाएंगे, जिससे पृथ्वी और बृहस्पति के बीच की दूरी और कम हो जाएगी.

ग्रहों का विरोध (Planetary Opposition) तब होता है जब कोई खगोलीय पिंड पूर्व में उगता है, क्योंकि सूर्य पश्चिम में अस्त होता है. विरोध केवल ‘बाहरी’ ग्रहों के लिए हो सकता है- मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून. उस समय पृथ्वी इन ग्रहों के सबसे निकट होती है और ये ग्रह भी पूरी रात दिखाई देते हैं.

बृहस्पति के बारे में (About Jupiter Planet)
बृहस्पति हमारे सौरमंडल में सूर्य से पांचवां ग्रह है. यह एक गैसीय पिंड है, इसलिए इसमें पृथ्वी जैसी सतह नहीं पाई जाती है. बृहस्पति का वायुमंडल ज्यादातर हाइड्रोजन (H2) और हीलियम (He) से बना है.

बृहस्पति के अंदर 1,000 से ज्यादा पृथ्वियां फिट हो सकती हैं. अन्य सभी ग्रह मिलकर इसके आयतन का लगभग 70 प्रतिशत ही बनाते हैं. बृहस्पति का भूमध्यरेखीय व्यास (Equatorial Diameter) 11 पृथ्वियों के भूमध्यरेखीय व्यास के बराबर है.

बृहस्पति की सूर्य से औसत दूरी 484 मिलियन मील (778 मिलियन किलोमीटर) है. सूर्य के प्रकाश को बृहस्पति तक पहुंचने में 43 मिनट का समय लगता है. बृहस्पति अपनी धुरी पर सबसे तेज घूमने वाला ग्रह है.

बृहस्पति लगभग 12 साल (4,333 पृथ्वी दिनों) में सूर्य का एक चक्कर लगाता है और हर 10 घंटे में अपनी धुरी पर घूम जाता है. वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि बृहस्पति के कुल 79 चंद्रमाओं (उपग्रहों) का पता लगाया जा चुका हैं.

शनि ग्रह की तरह बृहस्पति के भी छल्ले (Rings) हैं, लेकिन वे काफी कमजोर हैं. बृहस्पति का ग्रेट रेड स्पॉट (Great Red Spot) एक विशाल चक्रवाती तूफान (Cyclonic storm) है, जो पृथ्वी के आकार से लगभग दोगुना है और एक सदी से भी ज्यादा समय से घूम रहा है.

सामान्य ज्ञान और रोचक तथ्य



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