Rameswaram Tamil nadu Tourism
तमिलनाडु राज्य (Tamil Nadu) के रामेश्वरम जिले में स्थित श्री रामेश्वरम रामनाथस्वामी मंदिर (Rameswaram Ramanathaswamy Temple) बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र स्थान है. यह भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर है और 12 महा ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यह पवित्रतम चार धाम तीर्थस्थलों में से भी एक है. यहां स्थापित शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम जी ने की थी. यही वो स्थान है, जहां से सत्य की रक्षा और अधर्म पर धर्म की विजय यात्रा की शुरुआत हुई थी.
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, अपनी पत्नी देवी सीता को दुष्ट रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए जब भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई की, तो इसकी शुरुआत उन्होंने समुद्र के किनारे शिवलिंग की स्थापना कर अपने आराध्य देव भगवान शिव की पूजा-उपासना से की थी. श्रीराम जी की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शिव जी ने उन्हें विजयश्री का आशीर्वाद दिया था.
देखें- रामेश्वरम मंदिर और रामसेतु
रामेश्वरम मंदिर के आलावा यहां देखने और घूमने-फिरने के लिए बहुत सारी खूबसूरत जगहें हैं. यहां बहुत से सुंदर मंदिर, पार्क और प्राकृतिक सम्पदाओं से भरे स्थान हैं. आइये कुछ प्रमुख स्थानों के बारे में जानते हैं-
गंधमादन पर्वत (Gandhamadan Parvat)- रामेश्वरम मंदिर के उत्तर में 3 किमी की दूरी पर गंधमादन पर्वत नाम की एक छोटी सी पहाड़ी है. इसी पहाड़ी से हनुमान जी ने समुद्र को लांघने के लिए छलांग मारी थी. बाद में श्रीराम ने भी सेतु पार करके लंका तक पहुंचने के लिए यहीं पर विशाल सेना संगठित की थी. इस पर्वत पर एक सुंदर मंदिर है, जिसे पादुका मंदिर भी कहते हैं. इस मंदिर में श्रीराम जी के चरण-चिन्हों की पूजा की जाती है.
साक्षी हनुमान मंदिर (Sakshi Hanuman Temple)- रामेश्वरम रामनाथस्वामी मंदिर से 3 किमी दूर साची हनुमान मंदिर एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है. यह वह स्थान है जहां हनुमान जी ने भगवान श्री राम को बताया था कि सीता जी लंका में हैं. हनुमान जी ने साक्ष्य के तौर पर सीता जी का आभूषण चूड़ामणि भी श्रीराम जी को दिया था. और इसलिए इस स्थान को साची हनुमान मंदिर के रूप में जाना जाता था.
पम्बन सेतु (Pamban Bridge)- पम्बन सेतु तमिलनाडु में पम्बन द्वीप को मुख्यभूमि में मंडपम से जोड़ने वाला एक रेल ब्रिज (Rail Bridge) है. इस ब्रिज का निर्माण साल 1911 से शुरू हुआ था और इसका उद्घाटन फरवरी 1914 में हुआ था. भारत में किसी भी समुद्र पर कंक्रीट से बना यह पहला आधुनिक ब्रिज है. यह ब्रिज साल 2010 में बांद्रा-वर्ली ब्रिज के खुलने तक देश का सबसे लंबा समुद्री ब्रिज रहा.
यह ब्रिज बीच में से दो हिस्सों में बंट जाता है, ताकि पानी के बड़े जहाज आसानी से यहां से निकल सकें. मंदिर के बाद यह ब्रिज रामेश्वरम आने वाले पर्यटकों के लिए खास आकर्षण है. यहां से पम्बन द्वीप का मनमोहक नजारा देखने को मिलता है. पम्बन ब्रिज को पार करते समय चारों ओर फैला विशाल समुद्र का नजारा और प्राकृतिक सुंदरता एक अलग प्रकार की मानसिक शांति देता है.
बद्रकालीअम्मन मंदिर (Badrakaliamman Temple)- रामेश्वरम रामनाथस्वामी मंदिर से सिर्फ 2 किमी दूर बद्रकालीअम्मन मंदिर देवी दुर्गा जी को समर्पित है.
मंडपम (Mandapam Rameshwaram)- रामेश्वरम की तरफ जाते हुए पम्बन सेतु को पार करते समय बीच में मंडपम नाम का एक छोटा सा खूबसूरत शहर मिलता है, जो अपने शांत समुद्री तटों और प्राकृतिक मूंगे की चट्टानों के लिए जाना जाता है. पर्यटकों के एंजॉय के लिए बहुत सी रोमांचक चीजें हैं. यहां आने वाले लोग समुद्री जीवन का रोमांच और भी करीब से महसूस कर सकते हैं.
पुदुक्कोट्टाई (Pudukkottai)- यह स्थान कदम-कदम पर मिलने वाले मंदिरों, स्मारकों, इमारतों और उनकी खूबसूरत कारीगरी के चलते यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है. यहां के बहुत प्रचीन थिरुमयम किले से आसपास का बहुत ही खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है. यहां के प्रमुख संग्रहालय में खुदाई में मिली मिट्टी और लड़की की प्राचीन खूबसूरत मूर्तियां, पेंटिंग्स, कलाकृतियां और वाद्य-यंत्र प्रदर्शित किए जाते हैं.
धनुषकोडि (Dhanushkodi)- पम्बन द्वीप के दक्षिण-पूर्व में स्थित धनुषकोडि आज एक छोटा सा गांव या शहर है और पर्यटकों के लिए काफी रोमांचक भी है. प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर यह स्थान एक तरफ से बंगाल की खाड़ी और दूसरी तरफ से हिंद महासागर से जुड़ा हुआ है.
कहते हैं कि यही वह स्थान है, जहां से भगवान श्रीराम जी ने हनुमान जी सहित पूरी वानर सेना को लंका तक पहुंचने के लिए सेतु निर्माण का आदेश दिया था. और इसीलिए इस स्थान को सेतुबंध भी कहते हैं. पर्यटक इस स्थान से अलग-अलग किस्म के शैल और सीपियां अपने साथ ले जाते हैं. यहां हर साल बहुत से प्रवासी पक्षी भी आते हैं, इसलिए पक्षी प्रेमियों के लिए भी यह खूबसूरत स्थान बहुत महत्वपूर्ण है.
सेथुकरई (Sethukarai)- रामेश्वरम से करीब 70 किमी दूर सेथुकरई या सेथुकोस्ट नाम के इस पवित्र स्थान पर रामसेतु के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं. कहा जाता है कि इस स्थान भगवान श्रीराम ने लंका की ओर प्रस्थान करने से पहले स्नान किया था. इसीलिए यहां आने वाले लोग सेतु के पवित्र जल में स्नान करना पसंद करते हैं. यहां समुद्र किनारे हनुमान जी का एक छोटा सा मंदिर भी है, जिसे सेतु बंधन अंजनी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.
अग्नितीर्थम (Agnitheertham)- अग्नितीर्थम का शाब्दिक अर्थ है- अग्नि (आग) और तीर्थम (पवित्र जल). यह एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है और रामेश्वरम के सभी 64 पवित्र कुंडों में से एक है. यह स्थान मंदिर परिसर के बाहर पूर्वी तट पर स्थित है. रामेश्वरम आने वाले सभी तीर्थयात्री इस कुंड के पवित्र जल में डुबकी जरूर लगाते हैं. कुछ आधुनिक लोगों द्वारा बनाई गई कथा के अनुसार, इसी स्थान पर भगवान श्रीराम ने ब्रह्महत्या (रावण वध) का प्रायश्चित किया था और अग्नितीर्थम के पवित्र जल में स्नान किया था.
कोथंदरामास्वामी मंदिर (Kothandaramaswamy Temple)- यह मंदिर रामेश्वरम मंदिर से 12 किमी दूर है. मान्यतानुसार, यही वह स्थान है, जहां रावण के पापों और अत्याचारों से दुखी होकर विभीषण ने भगवान श्रीराम जी की शरण मांगी थी. इस मंदिर में भगवान श्रीराम और माता सीता, लक्ष्मण जी, हनुमान जी और विभीषण की मूर्तियां स्थापित हैं. मंदिर की दीवारों पर रामायण की लग-अलग कहानियों को उकेरा गया है. श्रद्धालु इस स्थान पर कुछ समय ठहरकर आराम भी कर सकते हैं.
पुदुक्कोट्टाई में चोल और नायक राजवंशों द्वारा बनवाया गया कुद्दुमियानमलई मंदिर भी है. भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर चट्टानों को काटकर बनाया गया है. यह मंदिर अपने 100 खंबों वाले हॉल और यहां की दीवारों पर उकेरे गए संगीतिक स्वरों के लिए भी जाना जाता है. इसके अलावा भी यहां बहुत से पूजनीय स्थल भी हैं.
तूतीकोड़ि (Tutikodi)- विश्व के प्राचीनतम बंदरगाहों में से एक तूतीकोडि या तूतीकोरिन प्रकृति प्रेमियों के लिए बहुत ही अच्छी जगह है. यहां का शांत वातावरण सैलानियों को अपनी तरफ खींचता है. यह स्थान मोतियों की खेती, नमक उत्पादन और कई दर्शनीय स्थलों और पार्कों के लिए प्रसिद्ध है. यहां भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है.
कुरुसदाई द्वीप (Kurusdai Island)- मन्नार की खाड़ी में स्थित कुरुसदाई द्वीप अपनी बेशकीमती समुद्र संपदा के लिए जाना जाता है. रामनाथापुरम से नजर आने वाला यह खूबसूरत द्वीप समुद्र विज्ञानियों, शोधकर्ताओं और प्रकृति प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय है. यहां ढेरों तरह के पक्षियों समेत हजारों तरह के समुद्री जीव-जन्तु, प्रवाल प्रजातियां, मैंग्रोव प्रजातियां और समुद्री घास देखने को मिलती है. यहां आने वाले पर्यटक रेड स्टारफिश, सी अर्चिन्स सहित अन्य अद्भुत समुद्री जीवों को आसानी से देख सकते हैं. अच्छी जानकारी जुटाने के लिए यहां किसी गाइड के साथ घूमना एक अच्छा विकल्प हो सकता है.
पंचमुखी हनुमान मंदिर (Panchmukhi Hanuman Temple)- हनुमान जी के पंचमुख स्वरूप का दर्शन करना बहुत ही शुभ होता है. यह मंदिर रामेश्वरम रामनाथस्वामी मंदिर से 2 किमी दूर है.
देवकोट्टई (Devakottai)- देवकोट्टई का अर्थ है- देवी का गढ़. यह स्थान रामेश्वरम से लगभग 120 किमी की दूरी पर है और अपने खूबसूरत मंदिरों और उनकी उत्तम वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है.
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