Private Job Problems
आजकल कई सोशल साइट्स पर बहुत सारे लोग ये शिकायत करते नजर आ रहे हैं कि प्राइवेट कंपनियां (Private company) टैलेंटेड या काम करने के इच्छुक कैंडिडेट्स का चुनाव नहीं करतीं. यहां तक कि वे एक टेस्ट या इंटरव्यू (Test or Interview) तक का अवसर नहीं देतीं. अप्लाई करने पर या कंपनी की तरफ से कैंडिडेट को रिजेक्ट करने पर कोई रिप्लाई करना भी जरूरी नहीं समझतीं. कुछ लोगों की ये भी शिकायत है कि कुछ प्राइवेट कंपनियां नौकरी (Job) देने के लिए नहीं, बल्कि केवल और केवल अपनी पब्लिसिटी (Publicity) के लिए ही जॉब पोस्ट डालती हैं और इस तरह वे न जाने कितने युवाओं की भावनाओं के साथ खेल जाती हैं.
हां ये सच है…
ये बात पूरी तरह सच है कि कुछ कंपनियां केवल अपनी पब्लिसिटी के लिए ही जॉब पोस्ट निकालती हैं. ऐसा करके वे न जाने कितने लोगों की भावनाओं से बहुत बड़ा खिलवाड़ करती हैं. इसमें भी कोई शक नहीं कि बहुत सी कंपनियों में एक से बढ़कर एक गधों और कामचोरी में एक्सपीरियंस्ड लोगों को जॉब मिल जाती है…और टैलेंटेड और मेहनती लोग बैठे ही रह जाते हैं. अलग-अलग जगहों पर ऐसे न जाने कितने लोग देखने को मिल जाते हैं, जिन्हें अपने विषय पर कोई जानकारी ही नहीं होती, फिर भी वे ‘एक्सपीरियंस्ड’ होते हैं.
बहुत जगह मिल जाएंगे ऐसे लोग
डिजिटल मीडिया (Digital Media) कंपनियों को ही लें, कुछ लोगों को अगर दूसरों का कंटेंट कॉपी-पेस्ट करने को न मिले तो वे एक शब्द भी नहीं लिख सकते. बड़ी-बड़ी कंपनियों के कर्मचारी ऐसा सबसे ज्यादा करते हैं; शिक्षा संस्थानों (Educational Institutions) की बात करें तो कुछ टीचर्स को अपने विषय पर विशेष जानकारी होती ही नहीं, और ऐसे ही कुछ टीचर्स क्लास में अपना ज्यादातर समय पढ़ाने की बजाय छात्रों का केवल ‘मोटिवेशन’ करने में ही निकाल देते हैं.
आजकल की कंपनियां कैंडिडेट्स के एक्सपीरियंस (Experience) के पीछे बहुत भागती हैं. बहुत से एक्सपीरियंस्ड लोगों को इस बात का भी एक्सपीरियंस हो जाता है कि काम में धोखा कैसे देना है. लेकिन फिर भी ऐसे कुछ लोगों को जॉब तो छोड़ो, प्रमोशन भी मिल जाता है. वहीं, कुछ वाकई में मेहनत करने वाले लोग सालों तक एक ही सैलरी पर काम करते रहते हैं. अब ये क्यों होता है, कैसे होता है, इसका पता लगाना थोड़ा मुश्किल ही होता है.
प्रॉफिट के लिए कुछ भी??
कुछ कंपनियां केवल और केवल प्रॉफिट (Profit) के लिए ही काम करती हैं. उन्हें लोगों की भावनाओं या अपने कार्यों का समाज पर पड़ने वाले असर से कोई मतलब नहीं होता. आजकल के न्यूज चैनल्स (News Channels) को ही देखें, मनोरंजन के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं. किसी भी सम्मानीय व्यक्ति के लिए भी कुछ भी कहानी बना देते हैं.
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आप भी देखते ही हैं कि जैसे ही कोई एक्ट्रेस या मॉडल अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें डालती है, सब जगह ये भी एक न्यूज बन जाती है. एक आपत्तिजनक तस्वीर जो कुछ फॉलोअर्स तक ही सीमित रह सकती थी, वह न्यूज के नाम पर सैंकड़ों प्लेटफॉर्म्स के जरिए घर-घर देखी जाती है. बच्चे-बूढ़े सभी लोगों को अपनी तरफ खींचने के लिए हेडिंग भी एक से बढ़कर एक दी जाती है;
“इस एक्ट्रेस ने लगाई आग”
“एक बार देखोगे तो नजर नहीं हटेगी”
“अकेले में ही देखें तस्वीरें.. ”
ऐसी ही कुछ कंपनियां तो किसी भी हद को पार कर जाती हैं, और वो भी केवल और केवल प्रॉफिट के लिए.
ऐसी कंपनियों में काम करना आसान नहीं
इस तरह की कंपनियों में काम करके घमंड तो बढ़ सकता है, लेकिन खुद पर गर्व कभी नहीं हो सकता. लेकिन फिर भी जब जॉब की बहुत जरूरत होती है, तो न चाहते हुए भी सरल स्वभाव वाले लोगों को ऐसी भी कंपनियों में आवेदन करना पड़ता है. लेकिन यहां समस्या इस बात की भी है कि हम जिस कंपनी में काम करते हैं, उसके प्रति पूरी तरह समर्पित हो जाना चाहते हैं.
हम में से बहुत से लोग यही चाहते हैं कि हम जिस भी कंपनी में काम करें, वह जल्द से जल्द आगे बढ़े. इसीलिए किसी बेहद महत्वकांक्षी कंपनी में काम करना एक सरल व्यक्ति के लिए बहुत कठिन हो जाता है, और ये भी एक वजह है कि आज जिसके पास जॉब नहीं है, वह कोई न कोई जॉब चाहता है लेकिन जिसके पास है, वह छोड़ना भी चाहता है.
फिर भी नहीं करनी चाहिए शिकायत, क्यों?
पहली बात कि कंपनियों के HR से तो कोई उम्मीद रखनी ही नहीं चाहिए कि उन्होंने हमारा CV (Resume) सेलेक्ट क्यों नहीं किया. ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी जॉब पोस्ट पर उनके पास इतने CV आ जाते हैं कि हर एक को सेलेक्ट किया भी नहीं जा सकता. दूसरा- कंपनियों के HR का दिमाग एक कम्प्यूटर की तरह सेट रहता है कि अप्लाई करने वाले कैंडिडेट्स में उन्हें क्या-क्या देखना है.
कंपनियों के HR को कैंडिडेट्स की स्किल या टैलेंट से कोई खास मतलब नहीं होता, क्योंकि काम के बारे में उन्हें ज्यादा नॉलेज ही नहीं होती, इसीलिए वे अपना फोकस ज्यादातर एक्सपीरियंस पर ही रखते हैं. और फिर वे भी अपनी जॉब ही कर रहे हैं. उन्हें जितना बता दिया जाता है, वे करते रहते हैं.
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दूसरी बात- हम इन सब बातों की शिकायत प्राइवेट कंपनियों से नहीं कर सकते कि हम इतने टैलेंटेड हैं और फिर भी आपने अपने यहां हमें जॉब पर क्यों नहीं रखा…ये सभी शिकायतें और उम्मीदें हम सरकार से तो कर सकते हैं, क्योंकि सरकार बनने में हमारा भी योगदान होता है और पार्टियां कुछ वादे करके ही सरकार बना पाती हैं,
लेकिन ये सभी उम्मीदें और शिकायतें हम किसी प्राइवेट कंपनी से नहीं कर सकते. हम उनमें आवेदन कर सकते हैं, कुछ रिक्वेस्ट भी कर सकते हैं, लेकिन शिकायत नहीं कर सकते, क्योंकि उन्हें खड़ा करने और आगे बढ़ाने में हमारा कोई प्रत्यक्ष योगदान नहीं होता. जिसकी कंपनी है, उसकी मर्जी कि वह अपने यहां किसे काम पर रखना चाहती है और किसे नहीं.
एक ही चीज पर निर्भरता हो सकती है खतरनाक
इंसान तब तक दुखी रहता है, जब तक उसे दूसरों से कोई न कोई उम्मीद रहती है. लेकिन जहां उम्मीद टूटती है, दूसरों पर निर्भरता खत्म होती है, वहां निराशा भी अपने आप खत्म होने लगती है. दूसरों पर निर्भर रहने की बजाय हमें अपने रास्ते खुद ही बनाने चाहिए. अपनी मंजिल खुद ही तलाशनी चाहिए.
सबको यह बात समझनी चाहिए कि केवल नौकरी या एक ही तरीके के काम पर निर्भर हो जाना कितना नुकसानदेह साबित हो सकता है. बचपन से हमें एक बात जरूर सिखाई जाती है कि समय-समय पर होने वाले बदलावों के अनुसार अपने आप को अपडेट करने की जरूरत होती है. जो लोग हर तरह के बदलाव के लिए तैयार रहते हैं, वे किसी भी परिस्थिति में खुद के लिए नए अवसर तलाशना शुरू कर देते हैं.
PM मोदी की इन बातों पर गौर करने की जरूरत
इसीलिए हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री जी (PM Narendra Modi) की कुछ बातों का मतलब समझना आज के हम युवाओं के लिए बहुत जरूरी हो गया है कि हम किसी भी काम को छोटा या बड़ा समझना बंद कर दें, एक ही चीज पर निर्भरता को खत्म कर दें, लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं, ये सोचना कम कर दें, अपने हंसने-रोने की बागडोर दूसरों के हाथों में न दें. आज के इस मुश्किल दौर में जो भी व्यक्ति अपने परिवार के साथ संतुष्ट होकर एक सम्मानित जीवन जी रहा है, जो भी व्यक्ति सही रास्तों पर चलते हुए अपनी और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर पा रहा है, अपने परिवार के साथ खुशी से रह लेता है, वही सफल है.
हमारी गलती सिर्फ हमारी होती है. हमारी परेशानियां भी सिर्फ हमारी ही होती हैं. आज कोई भी व्यक्ति या कंपनी शिकायत नहीं सुनना चाहती, कोई ये नहीं जानना चाहता कि आपके साथ क्या हुआ-क्या नहीं. लोग हमारी कहानी तभी जानना चाहते हैं जब हम सफल हो जाते हैं. आज लोग केवल ये देखते हैं कि आप क्या कर रहे हैं, या किस तरह जी रहे हैं.
खूब पढ़ाई के बाद भी छोटी शुरुआत और बड़ा मुकाम
आज आपको ऐसे बहुत से युवा मिल जाएंगे जिन्होंने पढ़ाई तो जमकर की है, लेकिन हालात के चलते शुरुआत किसी बहुत छोटे काम से की और फिर उसे ही मुकाम तक ले जाकर दूसरों के लिए प्रेरणा बन गए हैं. हमें ऐसे ही युवाओं से सीख लेने की जरूरत है. जैसे ‘MBA चायवाला’ यानी प्रफुल्ल बिलौरे (Prafulla Bilaure), जो लाखों स्टूडेंट्स की तरह IIM जैसे अच्छे संस्थान से MBA करना चाहते थे. उन्होंने CAT की तैयारी की और तीन बार उसका एग्जाम भी दिया, लेकिन तीनों बार ही कुछ नहीं हुआ.
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मैकडॉनल्ड्स की एक दुकान में नौकरी भी की. फिर आखिरकार उन्होंने अपने माता-पिता से 8 हजार रुपये लेकर, बड़ी हिम्मत जुटाकर अहमदाबाद के SG हाइवे पर चाय का ठेला लगा लिया. शुरू-शुरू में उनकी चाय नहीं बिकी तो लोगों के पास खुद चाय लेकर जाने लगे. क्वालिटी का भी ध्यान रखा और आज अपनी सफलता की कहानी गर्व के साथ लोगों के साथ शेयर कर रहे हैं. ऐसे बहुत से उदाहरण मिल जाएंगे. महाराणा प्रताप की कहानी पढ़िए, ISRO के प्रमुख डॉ. सिवन की कहानी पढ़िए, एक नई ऊर्जा मिलेगी.
निराश होकर कुछ नहीं मिलता
अगर आप कभी असफल हों तो इससे निराश होने की बजाय असफलता के कारणों को तलाशने पर ध्यान दें. आखिर आप निराश या दुखी होकर भी क्या हासिल कर लेंगे, बल्कि सही तरीके से और सही दिशा में प्रयास करते जाने पर कभी भी आपकी किस्मत पलट सकती है. नौकरी मिले तो मेहनत से काम करें, न मिले तो कुछ भी करें, लेकिन रुकें नहीं. अच्छी और ज्ञानवर्धक किताबों को अपना साथी बना लें, क्योंकि ये जीवन में एक बड़ा बदलाव लाने में बहुत मददगार साबित होती हैं. अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों को भी समझें. अपनी कमजोरियों को पहचानकर उन्हें दूर करने का हर संभव प्रयास करें. इससे खुद को मजबूत बनाने में और मदद मिलेगी.
Written By : Nancy Garg
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