Kailasanathar Temple Kanchipuram : वास्तुकला, शिल्पकला और भव्यता की अद्भुत कलाकृति

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Kailasanathar Temple Kanchipuram

प्राचीन समय में हमारे भारत में अनगिनत सुंदर और भव्य मंदिर थे. आज देश में जितने भी प्राचीन मंदिर बच पाए हैं, उनकी निर्माण कला आज भी वैज्ञानिकों के लिए पहेली बनी हुई है. ऐसा ही एक प्राचीन और भव्य मंदिर है कैलाशनाथर मंदिर (Kailasanathar Temple, Kanchipuram), जो कैलाश के स्वामी भगवान शिव को समर्पित है और भारत के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है. इस मंदिर को बार-बार देखने-घूमने से भी मन नहीं भरता.

तमिलनाडु राज्य के पवित्र शहर कांचीपुरम (Kanchipuram, Tamil Nadu) में स्थित यह मंदिर भारत में पल्लव-युग का ऐतिहासिक मंदिर (Pallava Period Temple) है और कांचीपुरम के सबसे पुराने जीवित स्मारकों में से एक है. जहां भारतीयों के लिए यह मंदिर मुख्य दर्शनीय और पूजनीय स्थानों में से एक है, तो वहीं विदेशी पर्यटकों के लिए भी यह दुनिया के प्रमुख आकर्षणों और आश्चर्यों में से एक है.

कैलासनाथर मंदिर का निर्माण-
कांचीपुरम में पश्चिम दिशा में स्थित कैलाशनाथर मंदिर शहर का सबसे प्राचीन और दक्षिण भारत के सबसे शानदार मंदिरों में एक है. इस मंदिर का निर्माण पल्लव राजा, राजसिंह (695 ईस्वी -722 ईस्वी) के शासन के दौरान शुरू हुआ था और 8वीं शताब्दी में पल्लव वंश के महेंद्रवर्मन III द्वारा पूरा किया गया था. कहा जाता है कि राजा राजा चोल प्रथम ने बृहदेश्वर मंदिर (Brihadeshwara Temple) के निर्माण के लिए इसी मंदिर से प्रेरणा ली थी. वर्तमान में इस मंदिर का रखरखाव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) द्वारा किया जाता है.

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Kanchipuram Kailasanathar Temple Architecture
कैलासनाथर मंदिर की नींव ग्रेनाइट से बनी है, जबकि बाहरी संरचना और नक्काशी बलुआ पत्थर से बनी है. मंदिर एक आयताकार लेआउट में दीवारों के भीतर घिरा हुआ है. मंदिर परिसर सभी तरह से पूर्ण है. इसमें गर्भगृह, आंतरिक घेरा, मंडप, एक ऊंची परिसर की दीवार और एक प्रवेश द्वार गोपुरम है. बड़े मंदिर परिसर में 60 छोटे मंदिर हैं, जो मुख्य मंदिर को घेरे हुए परिसर की दीवार के बीचों-बीच बने हैं.

कैलासनाथ मंदिर के भगवान शिव- मंदिर के सबसे अनोखे पहलुओं में से एक है भगवान शिव की मुख्य मूर्ति, जिसमें 16 धारियां हैं. यानी मुख्य मंदिर के गर्भगृह में काले ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित 16 भुजाओं वाला शिवलिंग है. मंदिर में भगवान शिव और देवी पार्वती की नक्काशी को कई नृत्य रूपों में दर्शाया गया है. प्रवेश द्वार पर नंदी जी की एक मूर्ति है. यह स्थान ध्यान और गहन चिंतन के लिए आदर्श है.

दीवारों पर देवी-देवताओं के सुंदर चित्र- मंदिर की भीतरी और बाहरी दीवारों को कई देवी-देवताओं के सुंदर चित्रों से उकेरा गया है. बाहरी दीवारों पर जिन देवी-देवताओं की नक्काशी की गई है, वे हैं ब्रह्मा, विष्णु, नंदी, तीन गणों वाली देवी दुर्गा और समारा-तांडव की मुद्रा में भगवान शिव. वहीं, मंदिर की भीतरी दीवारों में देवी दुर्गा, स्कंद, भवती, त्रिपुरांतक, गरुड़रुध-विष्णु, नरसिंह विष्णु, शिव तांडव आदि के चित्र हैं.

मंदिर में भगवान शिव- मंदिर की दक्षिण की ओर की दीवार में शिव की बहुत ही सुंदर छवि है, जो शांति और शांति की मुद्रा में है, जिसे दक्षिणामूर्ति के रूप में जाना जाता है. दक्षिण मुखी दीवार में शिव को उमामहेश्वर (अपनी पत्नी पार्वती के साथ शिव) के रूप में दर्शाया गया है. पश्चिम मुखी हॉल में शिव की मूर्तियां संध्या तांडवमूर्ति और उर्धव तांडवमूर्ति के रूप में हैं. भगवान शिव की एक मूर्ति शिव गंगाधर रूप में है, जिसमें शिव की जटाओं में गंगा जी का वास है.

मंदिर में 50 से ज्यादा मंदिर- कैलासनाथर मंदिर पिरामिड टॉवर, स्तंभों वाले हॉल और एक वेस्टिबुल की विशिष्ट पल्लव शैली से बना है. इस मंदिर परिसर में 50 से ज्यादा छोटे-छोटे मंदिर स्थापित हैं. मंदिर के प्रवेश द्वार पर गोपुरम की दीवारों पर प्लास्टर किया गया है. प्रवेश द्वार की दीवार में आठ छोटे मंदिर और एक गोपुर है.

कैलाशनाथर मंदिर परिसर के केंद्र में एक टावर के साथ सरल लेआउट है. मंदिर की मीनार पिरामिड के आकार में उठती है और टॉप पर गुंबद के आकार की छत है. मुख्य गर्भगृह सभी शिव के रूपों के साथ नौ मंदिरों से घिरा हुआ है, सात बाहर और दो गर्भगृह के प्रवेश द्वार की ओर. मंदिर के आंगन की बाहरी दीवारें भी कक्षों से घिरी हुई हैं. मंडप के खंभों पर शेरों की मूर्तियां हैं.

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कैलासनाथ मंदिर का परिक्रमा मार्ग- कैलासनाथ मंदिर का परिक्रमा मार्ग (भगवान की परिक्रमा करने के लिए) एक संकीर्ण प्रवेश मार्ग है, जिसमें भक्तों को धीरे-धीरे चलना पड़ता है. मार्ग तक पहुंचने के लिए सात सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. उम्र बढ़ने की प्रक्रिया, मृत्यु और पुनर्जन्म सहित जीवन चक्र की व्याख्या करता हुआ यह मार्ग अद्वितीय है.

माना जाता है कि यहां अलग-अलग देवताओं की परिक्रमा करने से स्वर्ग जाने के समान ही आशीर्वाद प्राप्त होता है. निकास (Exit) को जन्म का द्वार कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस परिक्रमा मार्ग को पूरा करने से मोक्ष प्राप्त हो जाता है. इस मंदिर में आने वाले लोगों का सबसे लोकप्रिय आकर्षण मनीर का सबसे भीतरी मार्ग और उसमें भगवान शिव की परिक्रमा करना है.

Kanchi Kailasanathar Temple Timings- कैलासनाथर मंदिर सुबह 6 बजे खुलता है और दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक बंद रहता है. फिर शाम चार बजे से शाम करीब सात बजे तक खुला रहता है. इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा रोजाना दो बार की जाती है, एक सुबह और एक शाम को. विशेष दिनों में समय बदलता भी रहता है.

Mahashivratri in Kailasanathar Temple- कैलासनाथर मंदिर में महाशिवरात्रि बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. यह मंदिर में आयोजित होने वाला सबसे बड़ा त्योहार है. इस दिन शाम के समय हजारों भक्त भगवान शिव की पूजा करने के लिए मंदिर में आते हैं. महाशिवरात्रि के दौरान इस मंदिर के दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है.

चूंकि कैलासनाथर मंदिर का परिसर पत्थरों से बना है, इसलिए इसमें यात्रा करने का सबसे अच्छा समय सुबह और शाम है, क्योंकि दोपहर की कड़ी धूप में पत्थर बहुत गर्म हो जाते हैं, जिन पर नंगे पैर चलना एक चुनौती बन जाता है. कैलाशनाथर मंदिर के आसपास कामाक्षी अम्मन मंदिर, एकंबरेश्वर मंदिर, वरदराजास्वामी मंदिर, तिरुमरुगल मंदिर आदि हैं, जिनके दर्शन करना कतई नहीं भूलना चाहिए.

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About Sonam Agarwal 237 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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