अपना अध्ययन स्वयं करें, पूरा अध्ययन करें, किसी के बहकावे में आकर मूर्ख न बनें!

number of vedas vyas, rigved yajurved samved atharvaveda, char vedo ke naam, ved kitne prakar ke hote hain, vedon ki rachna kab hui kisne ki, vedo me kya hai, vedo me murti puja, vedo me vigyan , vedas meaning in hindi Hinduism, vedas science maths, pradyumn ka vivah
वेद क्या हैं, वेदों में क्या है? वेदों को 'त्रयी' क्यों कहा गया है?

Pradyumn ka Vivah (Bhagwat Puran)

एक बार एक फेसबुकिया इतिहासकार से मेरी बड़ी बहस हुई थी, अक्सर होती ही रहती है. बहस करते-करते वह मुझसे बोला कि “तुम लोगों को तो कोई नॉलेज ही नहीं है. अगर यह पढ़ लोगी न कि कृष्ण के बेटे प्रद्युम्न का विवाह कैसे हुआ था तो हिंदू धर्म छोड़ दोगी.”

मैंने पूछा “क्यों? कैसे हुआ था?”

वह बोला- “प्रद्युम्न ने अपना ही पालन-पोषण करने वाली माता समान मायावती नाम की स्त्री से विवाह कर लिया था.”

मुझे उस समय ऐसी कोई जानकारी नहीं थी, क्योंकि मैंने कहीं पर यह भी पढ़ रखा था कि प्रद्युम्न का पालन-पोषण भानामती नामक अप्सरा ने किया था, जो बच्चों को तुरंत युवा बनाने की विद्या जानती थी.

तो मैंने उसी से पूछ लिया कि “ऐसा कहां लिखा है”,
तो पहले तो उसने कहा कि “गीताप्रेस के पुराणों में ही लिखा है, पढ़ लो.”

मैंने पूछा कि “अरे कौन से पुराण में, नाम तो बताओ”,
तो कुछ देर बाद उसने बता दिया कि भागवत पुराण में लिखा है.

अब मैं उन लोगों में से नहीं कि किसी ने मुझे कुछ विवादित कह दिया, या अपने अनुसार कोई आधा-अधूरा स्क्रीनशॉट दिखा दिया और मैंने आंख बंद करके विश्वास कर लिया. यदि फैक्ट विवादित है तो एक बार खुद से जाकर पूरा पढ़ लेना चाहिए. ऐसा नहीं कि सामने वाला दुनिया की नजर में बड़ा विद्वान है, तो जो उसने कह दिया वह सही ही है.

तो मैंने भागवत पुराण (Bhagwat Puran) खोला, उसमें इसी प्रसंग को खोला और पढ़ा, जिसमें प्रद्युम्न के जन्म, अपहरण और फिर उनकी पत्नी रति द्वारा मायावती का रूप बनाकर उनकी रक्षा करने का उल्लेख है. लिखा यह है कि-

“रति हास्य के साथ भौहें मटकाकर उनकी ओर देखतीं और प्रेम से भरकर स्त्री-पुरुषसम्बन्धी भाव व्यक्त करती हुईं प्रद्युम्न की सेवा-सुश्रूषा में लगी रहतीं॥१०॥
श्रीकृष्णनन्दन भगवान प्रद्युम्न ने उसके (मायावती के) भावों में परिवर्तन को देखकर कहा-

“देवि! आप तो मेरी मां समान हो. आपकी बुद्धि ऐसी उल्टी कैसे हो गयी? मैं देख रहा हूँ कि आप मेरे साथ माता का भाव छोड़कर कामिनी के समान हाव-भाव दिखा रही हो”॥११॥

तब रति ने कहा- “स्वामी! आप भगवान्‌ नारायण के पुत्र हैं. शम्बरासुर आपको सृतिकागृह से उठा लाया था. आप मेरे पति स्वयं कामदेव हैं और मैं आपकी सदा की धर्मपत्नी रति.”

और इसके बाद रति प्रद्युम्न को सब कुछ बता देती हैं, और तब जाकर प्रद्युम्न उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करते हैं.

तो भागवत पुराण के अनुसार, रति कई युगों से अपने पति कामदेव को नया शरीर मिलने की प्रतीक्षा कर रही थीं, दोनों की तपस्या तब सफल हुई, जब भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी जी का विवाह हो गया और उन्होंने कामदेव को अपना पुत्र बनाने का निश्चय किया. कामदेव को प्रद्युम्न के रूप में नया शरीर मिला, लेकिन शंबरासुर ने उन्हें मार डालने का प्रयत्न किया.

रति अपने पति कामदेव के नए शरीर की रक्षा के लिए मायावती का रूप धारण करके पहुंच गईं, लेकिन उन्होंने कभी उन्हें पुत्रभाव से देखा ही नहीं, और देखती ही क्यों? आखिर वे सदा से उनके पति ही थे, केवल नया शरीर मिला था और वह भी भगवान नारायण द्वारा. प्रद्युम्न रति को स्वीकार नहीं कर रहे थे, तब रति को उन्हें पूरा सच याद दिलाना पड़ा, तब जाकर दोनों फिर से मिल सके.

इसीलिए कहती हूँ कि जब भी पढ़ें, पूरा पढ़ें, नहीं तो आपको भटकाने वाले हजारों की भीड़ लाइन लगाकर बैठी है.

यही फेसबुकिया इतिहासकार वाल्मीकि रामायण के मात्र एक श्लोक के हिंदी अनुवाद के आधार पर श्रीराम-सीताजी का विवाह बाल-विवाह घोषित कर रहा था. और कह रहा था कि “देख लो, गीताप्रेस वाली वाल्मीकि रामायण में ही लिखा है.” और जब यही फेसबुकिया इतिहासकार श्रीराम को मांसाहारी सिद्ध करना चाहे तो अन्य अनुवादकों की पुस्तकों से उनके छोटे-छोटे स्क्रीनशॉट दिखाने लगता है.

खैर, फिर यही इतिहासकार जब शिवलिंग की व्याख्या “लिंग” से कर रहा था तो मैंने उसे वाल्मीकि रामायण, महाभारत, शिवपुराण, लिंग पुराण, स्कंद पुराण, शिवमहिम्नस्तोत्र आदि सब जगह से फैक्ट लाकर दिखा दिए कि “देखो! इन सबमें शिवलिंग को प्रकाश स्तंभ कहा गया है. भगवान श्रीकृष्ण, पुष्पदंत, भीष्म आदि सभी ने शिवलिंग को प्रकाश स्तंभ ही कहा है.”

तब उसने मुझसे कहा कि “शिवपुराण का कोटिरुद्रसंहिता पढ़ो, उसमें वही लिखा है जो मैंने बताया, तुम सच को पचा नहीं पा रही हो न?”

मैंने शिवपुराण का पूरा कोटिरुद्रसंहिता देखा तो उसमें भी मुझे ऐसा कुछ नहीं मिला, और जब मैंने उससे कहा कि “कोटिरुद्रसंहिता में भी ऐसा कुछ कहाँ लिखा है?”
तो उसने कहा कि “गीताप्रेस वाली में नहीं, ‘फलां’ प्रेस वाली शिवपुराण में लिखा है, उसमें देखो…”

मैंने कहा : “अच्छा…ठीक…OK!!”🙏🙏

Written By : Aditi Singhal (Working in the media)


Read Also : सनातन धर्म से जुड़े तथ्य, सवाल-जवाब और कथायें



Copyrighted Material © 2019 - 2024 Prinsli.com - All rights reserved

All content on this website is copyrighted. It is prohibited to copy, publish or distribute the content and images of this website through any website, book, newspaper, software, videos, YouTube Channel or any other medium without written permission. You are not authorized to alter, obscure or remove any proprietary information, copyright or logo from this Website in any way. If any of these rules are violated, it will be strongly protested and legal action will be taken.



About Guest Articles 94 Articles
Guest Articles में लेखकों ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। इन लेखों में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Prinsli World या Prinsli.com उत्तरदायी नहीं है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*