Dwarkadhish Temple Dwarka Gujarat
अरब सागर के तट पर स्थित गुजरात का द्वारका शहर (Dwarka) एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है, जो भगवान श्रीकृष्ण के निवास स्थान के रूप में प्रतिष्ठित है. यह गुजरात की सर्वप्रथम राजधानी मानी जाती है. ये तो सभी जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण अपने नए राज्य का निर्माण करने के लिए मथुरा से द्वारका आए थे. यह श्रीकृष्ण की कर्मभूमि है. उनकी सारी प्रजा उन्हें बड़े प्रेम और आदर से ‘द्वारकाधीश’ कहकर बुलाती थी.
सप्तपुरियों में से एक है द्वारका- सौराष्ट्र प्रायद्वीप के पश्चिमी सिरे पर स्थित द्वारका चार प्रमुख पवित्र स्थानों (चार धाम) में से एक होने के साथ-साथ 7 पवित्र शहरों (सप्तपुरी) में से भी एक है. द्वारका दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘द्वार’ का अर्थ द्वार और ‘का’ का अर्थ ब्रह्म या मोक्ष है. इसी वजह से यहां सदियों से लाखों तीर्थयात्री और ऐतिहासिक विद्वान आते रहे हैं. महाभारत, स्कंदपुराण, विष्णुपुराण, श्रीमद् भगवद गीता जैसे पवित्र ग्रंथों में द्वारका शहर का उल्लेख बार-बार मिलता है.
‘स्वर्ण नगरी’ के नाम से जानी जाती थी द्वारका- सौराष्ट्र प्रायद्वीप की नोक पर स्थित द्वारका नगरी का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा पर भगवान विश्वकर्मा ने किया था. उस समय यह अत्यंत समृद्ध नगरी ‘स्वर्ण नगरी’ या ‘सोने का शहर’ के रूप में जानी जाती थी. जब भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वीलोक को छोड़कर अपने धाम को गए, तो उसके कुछ समय बाद ही यह द्वारका भी समुद्र में डूब गई थी. आज भी यहां उस नगरी के अवशेष मौजूद हैं, जिनके रहस्यों की खोज जारी है.
उत्तम व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध है द्वारका- समुद्र किनारे बसा यह प्राचीन शहर आज सुंदर गोमती क्रीक के पास स्थित द्वारकाधीश मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. इसके अलावा, कई प्रमुख मंदिरों के साथ यह शहर अपने उत्तम स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है. श्रीखंड और दूध पाक जैसे मिठाइयों से लेकर मग-नी-दाल तक, बहुत कुछ है. समृद्ध समुद्री जीवन की खोज से लेकर अरब सागर के शांत पानी के तट पर ढलने के लिए यह शहर देश के सबसे अच्छे गोताखोरी स्थलों में से एक है.
द्वारकाधीश मंदिर (Dwarkadhish Temple Dwarka Gujarat)
द्वारका के मुख्य मंदिर द्वारकाधीश मंदिर को ‘जगत मंदिर’ या ‘सार्वभौमिक मंदिर’ के रूप में भी जाना जाता है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार, मुख्य मंदिर 2500 साल से भी ज्यादा पुराना है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने करवाया था. 72 स्तंभों और 5 मंजिला इमारत का मुख्य मंदिर एक शानदार संरचना है जो अरब सागर से निकलता हुआ प्रतीत होता है.
उत्कृष्ट नक्काशीदार शिखर- मंदिर में 43 मीटर ऊंचा शिखर है जो जटिल नक्काशी और उस पर 52 गज कपड़े से बना एक विशाल झंडा है. यह उत्कृष्ट नक्काशीदार शिखर दूर से भी देखा जा सकता है. इस शिखर की अत्यंत बारीक नक्काशी देखकर हर कोई यही कहता है कि इस मंदिर का निर्माण तो भगवान विश्वकर्मा ही कर सकते हैं. मंदिर नरम चूना पत्थर से बना है और इसमें एक गर्भगृह, वेस्टिबुल और एक आयताकार हॉल है जिसके तीन तरफ बरामदे हैं.
मंदिर में दो प्रवेश द्वार हैं- स्वर्ग द्वार, जहां तीर्थयात्री प्रवेश करते हैं, और मोक्ष द्वार जहां से तीर्थयात्री बाहर निकलते हैं. द्वारकाधीश मंदिर का निचला हिस्सा 16वीं शताब्दी का बताया जाता है और इसकी कई ऊंची मीनारें हैं. छोटे टावरों के समूह 19वीं सदी के बताए जाते हैं. मंदिर का मुख्य भाग पांच मंजिला है, जिसकी ऊंचाई 100 फीट से ज्यादा है. भवन के पिछले हिस्से की ओर जाने वाली 56 सीढ़ियां मंदिर की भव्यता में चार चांद लगा देती हैं.
Dwarka Dwarkadhish Temple Timings
मंदिर भक्तों के लिए पूरे दिन सुबह 7 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक और शाम 5 बजे से रात 9.30 बजे तक खुला रहता है. मंगला आरती सुबह 6:30 बजे शुरू होती है और उसके बाद सुबह 7 बजे से 8 बजे तक मंगल दर्शन होते हैं. श्रृंगार आरती सुबह 10:30 बजे होती है. संध्या आरती शाम 7:30 बजे से शाम 7:45 बजे तक होती है.
द्वारका कैसे पहुंचे (How to reach Dwarka)-
By Air- निकटतम हवाई अड्डा जामनगर है, जो 137 किमी दूर है.
By Rail- जामनगर, राजकोट, अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, मुंबई, गोवा, बैंगलोर और कोच्चि जैसे प्रमुख शहरों से नियमित ट्रेनें उपलब्ध हैं.
By Road- जामनगर, गांधीनगर, पोरबंदर, राजकोट और अहमदाबाद से सीधी राज्य बसें उपलब्ध हैं.
द्वारका प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है, इसलिए यहां इस शहर में ठहरने के लिए सभी बजट में होटल और धर्मशालाएं उपलब्ध हैं. द्वारकाधीश मंदिर के पास ही कई अच्छे होटल्स और रेस्टोरेंट्स हैं. पेश किया जाने वाला व्यंजन मुख्य रूप से शाकाहारी ही होता है.
आदि शंकराचार्य का शांति पीठ, द्वारकाधीश मंदिर पर हमले और पुनर्निर्माण
द्वारकाधीश मंदिर की पहली मंजिल पर ब्राह्मी लिपि में वर्णित अनुसार, इस मंदिर का पहला नवीनीकरण लगभग 100 ईसा पूर्व किया गया था. श्री आदि शंकराचार्य ने 800 ईसा पूर्व में मंदिर का दौरा किया और इसका जीर्णोद्धार किया.
उन्होंने द्वारकाधीश मंदिर की चौथी मंजिल पर आद्यशक्ति मंदिर की स्थापना की. द्वारका मठ (Dwarka Math) श्री आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) द्वारा स्थापित चार मठों में से एक है. अन्य श्रृंगेरी, जगन्नाथ पुरी और ज्योतिर्मठ हैं. इस मठ को शांति पीठ कहा जाता है.
1241 ई. में मुहम्मद शाह द्वारा मंदिर पर हमला किया गया और इसे नष्ट करने की पूरी कोशिश की गई. कहा जाता है कि उस दौरान पांच ब्राह्मण उनसे लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए. द्वारकाधीश मंदिर के पास ही उन ब्राह्मणों को समर्पित मंदिर भी बनाए गए हैं. द्वारका द्वारकाधीश मंदिर का विस्तार और पुनर्निर्माण 15वीं-16वीं शताब्दी में कई स्थानीय व्यापारियों और शासकों द्वारा किया गया था.
द्वारका और द्वारकाधीश मंदिर में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार
जन्माष्टमी (Janmashtami)- भगवान कृष्ण का जन्म बहुत ही भव्य और आध्यात्मिक तरीके से मनाया जाता है. इस शुभ दिन पर दुनिया भर से हजारों तीर्थयात्री उनका आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर आते हैं. दिन भर अलग-अलग पूजा और अनुष्ठान होते रहते हैं. भगवान को औपचारिक रूप से सजाया जाता है और पूरे दिन तुलसी और चंदन के साथ उनका अभिषेक किया जाता है.
अन्नकूट उत्सव (Annakoot Utsav)- यह पर्व कार्तिक मास की प्रथम तिथि को मनाया जाता है. अलग-अलग प्रकार की दूध से बनी मिठाइयां भगवान के सामने रखी जाती हैं और उनकी पूजा की जाती है.
तुलसी विवाह (Tulsi Vivah)- यह दिन भगवान विष्णु जी के तुलसी देवी के साथ विवाह का प्रतीक है. यह पर्व कार्तिक मास के 11वें दिन से 4 दिनों तक मनाया जाता है.
होली (Holi)- रंगों का त्योहार होली भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय त्योहार माना जाता है. इस दिन को बहुत ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya)- वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है. यह दिन गर्मी के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है. भगवान कृष्ण को सामान्य पोशाक के बजाय फूलों और चंदन से सजाया जाता है. उत्सव महीने के 11वें दिन भीम एकादशी के नाम से समाप्त होता है.
इस सभी त्योहारों के अलावा, रथ यात्रा, दशहरा, दीपावली, राम नवमी, बसंत पंचमी और मकर संक्रांति अदि द्वारकाधीश मंदिर में मनाए जाने वाले अन्य महत्वपूर्ण त्योहार हैं.
द्वारका के अन्य मंदिर और दर्शनीय स्थान-
श्री नागेश्वर मंदिर (Shri Nageshwar Temple)- नागेश्वर मंदिर जिसे नागनाथ मंदिर भी कहा जाता है, द्वारकाधीश मंदिर से 12 किमी दूर स्थित है. यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और अद्वितीय है, क्योंकि यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है.
बेट द्वारका (Bet Dwarka)- यह द्वीप द्वारका से लगभग 30 किमी दूर स्थित है. इसमें श्री वल्लभाचार्य द्वारा निर्मित भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित 500 साल पुराना मंदिर है. द्वीप पर सफेद प्राचीन समुद्र तट पानी के खेल और पिकनिक के लिए बहुत लोकप्रिय हैं. बेट द्वारका तक पहुंचने के लिए ओखा बंदरगाह तक पहुंचने और एक निजी नौका पर सवार होने की जरूरत होती है.
माता रुक्मिणी मंदिर (Mata Rukmini Temple)- यह द्वारकाधीश मंदिर से 2 किमी दूर स्थित है. यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी जी को समर्पित है. माता रुक्मिणी जी की प्रतिमा चतुर्भुज रूप में है, जो कि इस बात का प्रतीक है कि माता रुक्मिणी देवी महालक्ष्मी का अवतार हैं.
गोमती संगम घाट (Gomti Sangam Ghat)- द्वारकाधीश मंदिर के स्वर्ग द्वार के पीछे बने 56 सीढ़ियां उतरकर इस संगम घाट तक पहुंचा जा सकता है. यह स्थान समुद्र के साथ गोमती नदी के संगम का प्रतीक है. यहां भगवान श्रीकृष्ण और उनके मित्र सुदामा को समर्पित कई छोटे मंदिरों की यात्रा की जा सकती है. गोमती घाट पर स्नान करना पवित्र माना जाता है.
गीता मंदिर (Geeta Mandir)- मंदिर 1970 में बिड़ला परिवार द्वारा बनाया गया था. यह मंदिर भगवद गीता की शिक्षाओं को समर्पित है. भगवद गीता के भजन मंदिर की दीवारों पर उकेरे गए हैं.
इन सबके अलावा, रणछोड़ जी मंदिर, त्रिविक्रम मंदिर, कुशेश्वर महादेव मंदिर, हनुमान मंदिर, चक्र तीर्थ, कैलाश कुण्ड, गोपी तालाब और शंख तालाब आदि द्वारका के प्रमुख मंदिर और तीर्थ स्थल हैं, जहां जरूर जाना चाहिए.
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