Shrikhand Sweet Curd Recipe
श्रीखंड भारतीय उपमहाद्वीप की एक पारंपरिक मिठाई है जो चीनी, केसर और इलायची के स्वाद वाले गाढ़े या छाने हुए दही से बनाई जाती है. यह अत्यंत स्वादिष्ट और आसानी से बनने वाली मिठाई है, जिसका प्रयोग व्रत-त्योहारों पर और भगवान् को प्रसाद लगाने के लिए बहुत किया जाता है. श्रीखंड को आमतौर पर गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र की मिठाई माना जाता है, लेकिन लगभग हर त्यौहार पर यह भारतीय घरों में बनाया जाता है.
श्रीखंड आसानी से घर पर झटपट तैयार हो जाता है और स्वादवर्धक और स्वास्थ्यवर्धक भी है. आयुर्वेद के अनुसार, श्रीखंड अति मधुर है. दही को कपड़े से छानकर उसमें शक्कर, इलायची आदि डालकर बनाया हुआ श्रीखंड दाह, पित्त और तृषा को शांत करता है.
श्रीखंड को आप कभी भी विशेष अवसर पर भोजन के बाद मीठे के रूप में तैयार कर सकते हैं. मैंने यहां केसर दूध के लिए रेडी मिक्स पाउडर का यूज किया है. आप चाहें तो केसर को दूध में भिगोकर भी केसर-दूध तैयार कर सकते हैं. इसी के साथ, इसमें विविधता के लिए आप सूखे मेवे या ताजे फल भी मिला सकते हैं. आइये श्रीखंड तैयार करते हैं-
सामग्री–
• 1 कप दही
• 2-3 चम्मच केसर बादाम दूध
• 1 चम्मच पिसी चीनी या खांड
• 2 चम्मच दूध क्रीम
विधि–
1. श्रीखंड का सबसे जरूरी भाग होता है हंग कर्ड या टंगा हुआ दही (Hung Curd). उसके लिए सबसे पहले ताजा दही को कपड़े में डालकर दो से तीन घंटे के लिए टांग दें, ताकि दही का अतिरिक्त पानी निकल जाए.
2. उसके बाद दही को बर्तन में निकाल लें. दही के साथ दूध, क्रीम और चीनी डालकर अच्छे से फेंट लें.
3. केसर, बादाम, दूध और ड्राई फ्रूट्स डालकर मिक्स करें. आपका स्वादिष्ट श्रीखंड तैयार है.
4. यदि आप श्रीखंड को ठंडा सर्व करना चाहते हैं, तो खाने से पहले इसे 1 घंटे के लिए फ्रिज में रख दें.
Written By : कुसुम विकास यादव (Kusum Vikas Yadav) (Click Here)
दही के गुण, फायदे और सावधानियां (Properties and benefits of curd)
दूध जमने पर दही (Curd) बनता है. दही रुचिकर और अग्निदीपक (पाचन शक्ति बढ़ाने वाला) है. अतः यह दूध की अपेक्षा अधिक गुणकारी माना जाता है. इसमें कुछ ऐसे रासायनिक पदार्थ होते हैं, जिस कारण यह दूध की अपेक्षा जल्दी पच जाता है. जिन लोगों को पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे- अपच, कब्ज, गैस आदि बनी रहती हैं, उनके लिए दही या उससे बनी लस्सी, छाछ का सेवन करना अच्छा माना जाता है.
अच्छी तरह जमे हुए, मीठे दही का सही मात्रा में सेवन करने से आंतों की समस्याएं दूर होती हैं, पाचन ठीक से होता है और भूख खुलकर लगती है. पंचामृत में (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) में दही की गणना की गई है. खट्टेपन से रहित, फीका, अच्छी तरह जमाया हुआ, कोमल और मीठा दही स्वाद और स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना गया है.
सभी प्रकार के दही में गाय के दूध से बना दही अधिक गुणकारी है. दही को उचित मात्रा में ही खाया जाना चाहिए, तभी वह फायदेमंद होता है. अधिक मात्रा में दही का सेवन अच्छा नहीं होता है. रात में दही का सेवन करने से बचना चाहिए.
जो दही अच्छी तरह जमा हुआ न हो, यानी कुछ जमा हो और कुछ न जमा हो, वह ‘मंद’ कहलाता है. मंद दही का सेवन नहीं करना चाहिए. जो दही अच्छी तरह जमा हुआ हो, मधुर रस वाला और कुछ-कुछ खट्टापन लिए हुए हो, उसे ‘स्वादु’ कहा जाता है. ऐसे दही का सेवन किया जा सकता है. जो दही अच्छी तरह जमा हुआ, मीठा तथा कसैला होता है, वह ‘स्वाद्वम्ल’ कहलाता है. स्वाद्वम्ल दही के गुण साधारण दही के समान ही होते हैं. लेकिन जिस दही में मिठास दब जाती है और खट्टापन ज्यादा आ जाता है, वह दही ‘अम्ल’ या ‘खट्टा दही’ कहलाता है. खट्टे दही का सेवन नहीं करना चाहिए.
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बहुत ही सुंदर जानकारी