Bhagavad Gita Adhyay 4 : श्रीमद्भगवद्गीता – चौथा अध्याय – श्रीकृष्ण अर्जुन संवाद (ज्ञान कर्म संन्यास योग)
हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ॥ साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ॥ […]