PM Narendra Modi Qualities
जिसके चेहरे पर आत्मविश्वास का नूर है, दिल में भारतीय होने का गुरूर है, पूरा विश्व आज जिसके व्यक्तित्व का कायल है, जिसके एक आह्वान पर पूरा देश एकजुट हो जाता है, जो असाधारण वक्तृत्व कला, करिश्माई व्यक्तित्व, अनुशासित जीवन, त्वरित निर्णय क्षमता, दूरदृष्टि, धैर्यशीलता, ईमानदार छवि, नेतृत्व कुशलता और विनम्रता जैसी प्रतिभाओं के धनी हैं, उन्हीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का आज जन्मदिन है.
वह पीएम मोदी ही हैं, जिन्होंने देश और जनता की सोच के स्तर को उठाया है, राजनीति की छवि को सुधारा है. उनकी वाक कला, नेतृत्व कुशलता और कुछ नया करने और आगे बढ़ने की सोच ने देश को ही नहीं, बल्कि दुनिया को भी बहुत कुछ दिया है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आज भारत दुनिया के बड़े मंचों पर खड़े होकर पथ-प्रदर्शक की भूमिका निभा रहा है.
ऐसा कोई व्यक्ति नहीं, जो प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर उनसे प्रभावित हुए बिना रह गया हो. उनकी हर एक बात में देशभक्ति और देश को आगे बढ़ाने वाली ही सोच समाहित रहती है. हर एक बात में भविष्य को लेकर भय नहीं, बल्कि आशा की नई किरण होती है.
प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व की कई ऐसी बातें हैं जो बेहद प्रभावित करती हैं और जो उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाती हैं. ये ऐसी बातें हैं, जिनसे सभी को सीख लेनी चाहिए, एक पार्टी विशेष के नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के रूप में. प्रधानमंत्री मोदी को लेकर ये मेरे अपने विचार हैं. इस लेख को किसी भी तरह के प्रचार या किसी पर भी कोई अप्रत्यक्ष टिप्पणी के रूप में न लें.
कुशल वक्ता
प्रधानमंत्री मोदी की वाकपटुता और हाजिर जवाबी के गुण से तो सभी वाकिफ हैं. शायद इस मामले में उनका मुकाबला करने वाला भी आज कोई नहीं. उनकी इस विशेषता के कारण ही वह किसी को भी अपने पक्ष में करने की क्षमता रखते हैं, किसी को भी अपना मित्र बना लेने का गुण रखते हैं, जो उनकी विदेश नीति में बड़ा सहायक है. वह बिना कोई पेपर देखे, हर तरह के विषय पर जितनी सधी भाषा में पूरे ज्ञान के साथ बोल लेते हैं, जिन्हें सुनकर भी लिखना कठिन होता है, उससे ये साफ होता है कि वह कितने अनुभवी हैं और उन्होंने हर चीज को कितने करीब से जाना है.
विवादों से रहते हैं दूर : पीएम मोदी अपनी हर बात को बड़ी दृढ़ता और निडरता के साथ रखते हैं. इतना बोलते हैं लेकिन कभी विवादित टिप्पणी नहीं करते. आज तक आपने उनके विरोध में रहने वाली समाचार एजेंसियों से भी ये खबर नहीं सुनी होगी कि “प्रधानमंत्री मोदी ने दिया विवादित बयान.” ये दिखाता है कि वह हर समय अच्छी बातें ही सोचते हैं, साथ ही ये उनके हर समय सावधान और सतर्क रहने के गुण को भी दर्शाता है.
पीएम मोदी अपने विरोधियों की बात का जवाब भी जिस कुशलता से देते हैं, वह केवल प्रभावित ही नहीं करता, बल्कि आश्चर्यचकित भी करता है. जैसे- एक बार विपक्ष के एक नेता ने अपने भाषण में पीएम मोदी के लिए कहा- “छह महीने में देश के युवा प्रधानमंत्री को डंडे मारेंगे…”
इस तरह की बात सुनकर किसी को भी बुरा लग सकता है. पीएम मोदी को भी लगा होगा, लेकिन फिर भी उन्होंने इसका जवाब बड़े मर्यादित शब्दों में ही दिया कि “इसका मतलब मुझे सूर्य नमस्कार की संख्या बढ़ाकर अपनी पीठ को और मजबूत बनाना चाहिए.“ ऐसे ही और भी कई उदाहरण हैं और ये सब दिखाता है कि वह किसी भी बात को अपने मुताबिक ढालने की क्षमता रखते हैं, अपनी बात से किसी को भी निरुत्तर कर सकते हैं. अपने विरोधियों की छोटी-छोटी बातों से परेशान नहीं होते. वह हर परिस्थिति में अपने आपको संभालना अच्छे से जानते हैं.
नेतृत्व कुशलता
प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व कुशलता का पता विश्व पटल पर भारत की वर्तमान स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है. आज संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत की मजबूत भूमिका उनकी नेतृत्व कुशलता का ही उदाहरण है. पीएम मोदी के नेतृत्व में आज विश्वभर में भारत की बात को नजरअंदाज करने की हिम्मत रखने वाला कोई नहीं, इसकी तुलना में आज वैश्विक मंचों पर हमारे शत्रु देशों की आवाज दबी है.
विश्वगुरु वाला चरित्र : वैश्विक मंच पर वह हमेशा भारत को एक ताकतवर और शक्तिशाली देश के रूप में ही पेश करते हैं. सभी को साथ लेकर चलने और देश को आगे बढ़ाने की उनकी सोच ने आज भारत को दुनिया की बड़ी शक्तियों में शामिल कर दिया है. कोरोना महामारी जैसी इतनी मुश्किल घड़ी में भी पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ यानी ‘विश्व एक परिवार’ वाली सोच दिखाकर अपना विश्वगुरु वाला चरित्र साबित किया है.
अपने धर्म और संस्कृति पर गर्व
एक बार जब प्रसिद्ध TV शो ‘आप की अदालत’ में वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि “उमर अब्दुल्ला ने आप पर आरोप लगाया है कि जब इमाम ने आपको मुसलमानों वाली टोपी पहनानी चाही तो आपने इनकार कर दिया.” इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मेरा काम सभी संप्रदायों का सम्मान करना है, लेकिन मेरी अपनी भी कुछ परम्पराएं हैं और मुझे उनके साथ भी जीना है. मैं टोपी पहन के फोटो निकलवाकर लोगों की आंखों में धूल झोंकने का पाप नहीं कर सकता.”
पीएम मोदी के इस जवाब में कई बातें निकलकर सामने आती हैं. पहला, वह वोटबैंक की राजनीति नहीं करते. दूसरा, वह अपनी संस्कृति और अपने धर्म पर बेहद गर्व महसूस करते हैं और इसे लेकर वह किसी तरह का कोई समझौता करने को भी तैयार नहीं. वह अपनी परंपराओं का महत्व समझते हैं और उनके साथ जीना पसंद करते हैं, लेकिन इसी के साथ परिवर्तन का महत्व भी समझते हैं.
तीसरा, उनके दिल में सभी धर्मों के लिए बहुत आदर और सम्मान है और इसीलिए राजनीति या वोटों के लिए वह ‘आज इधर और कल उधर’ की नीति नहीं अपनाते. वह किसी भी धर्म को धोखा देने को तैयार नहीं, यानी वह जो अंदर से हैं, उसे ही सामने रखते हैं. धर्म के नाम पर किसी भी तरह के दिखावे से दूर रहते हैं वह.
पूरी निष्ठा के साथ निभाते हैं परम्पराएं : आज इतने बड़े पद पर पहुंचने के बाद भी उन्होंने अपने धर्म और संस्कृति को नहीं छोड़ा. समय चाहे जैसा भी हो, अपनी परम्पराओं को पूरी निष्ठा के साथ निभाते हैं. साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 30 सितंबर को पीएम मोदी के सम्मान में व्हाइट हाउस में रात्रि भोज दिया, तब पीएम मोदी ने वहां केवल गुनगुना पानी ही पीया. विनम्रता से साफ शब्दों में कह दिया कि ‘मेरा नवरात्रि का व्रत चल रहा है’. अयोध्या भूमि पूजन के दौरान उनकी सहज भक्ति और उनके हर एक धार्मिक क्रियाकलाप को पूरी दुनिया ने देखा. उनकी इसी विशेषता के कारण आज भारतीय संस्कृति और परम्पराओं का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है.
अच्छे कार्यों की सराहना
जब मैंने कर्नाटक में हजारों पौधे लगाने वालीं सालूमरदा थीमक्का (बरगद माता) को पद्मश्री से सम्मानित होते हुए देखा, और प्रधानमंत्री ने जिस तरह खड़े होकर उनका सम्मान किया. ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) कार्यक्रम में छोटे-छोटे उद्योगों में लगे या अपनी किसी भी कला का प्रदर्शन करने वाले आम लोगों की मेहनत को प्रधानमंत्री की तरफ से सराहते हुए देखा तो मन में एक विश्वास जगा कि ‘हम भी कुछ कर सकते हैं या हमें भी कुछ करना चाहिए, असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए, किसी सही दिशा में अपना कदम बढ़ाना चाहिए, हमारी मेहनत अब खाली नहीं जाएगी, क्योंकि अब इस देश में केवल बॉलीवुड हस्तियों को ही ‘सितारे’ नहीं कहा जाता, अब केवल उन्हें ही बड़े-बड़े पुरस्कारों से नहीं नवाजा जाता, अब केवल सरकारी नौकरी ही सब कुछ नहीं है, अब तो कुछ भी नया करना या किसी भी काम को नए तरीके से करना ही सब कुछ है.
लोगों की अच्छाइयों को लाते हैं दुनिया के सामने : प्रधानमंत्री मोदी आज देश को ये सिखाना चाहते हैं कि किसी भी काम को छोटा-बड़ा समझने वाली मानसिकता को त्याग दो और आगे बढ़ो. इसीलिए वह कामकाजी और मेहनती लोगों का सम्मान करते हैं, व्यक्ति की केवल मेहनत को देखते हैं, उसकी कला और उसके टैलेंट की तारीफ करते हैं. लोगों की अच्छाइयों को दुनिया के सामने लाने की कोशिश करते हैं, और इसीलिए उनके भाषण मोटिवेशनल स्पीकर और समाज सुधारक की भूमिका निभाते हैं.
समय के साथ चलने की सोच : प्रधानमंत्री मोदी आज जिस तरह देश के बच्चों और युवाओं को कुछ नया सीखने, नया करने, समय के साथ चलने और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, उनकी छोटी-छोटी शुरुआत को जिन शब्दों में सराहते हैं, कुछ नया करने की प्रेरणा देते हैं, उससे पता चलता है कि वह देश और दुनिया का कैसा भविष्य देखना चाहते हैं. ये हर विषय पर उनके सकारात्मक नजरिए को दर्शाता है. वह बताना चाहते हैं कि केवल एक व्यक्ति पूरे देश को नहीं बदल सकता, इसके लिए किसी न किसी रूप में सभी की भागीदारी महत्वपूर्ण है. यानी देश के हर एक नागरिक का कौशल जरूरी है. कोई भी देश तभी सशक्त बन सकता है जब उसके सभी नागरिक आत्मनिर्भर हों और एक-दूसरे पर भी निर्भर हों.
बारीक नजर और दूरदर्शिता
प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों की उन समस्याओं की तरफ सबका ध्यान खींचा है, जिन पर बात करना भी राजनीति में जरूरी नहीं समझा जाता. हर घर में शौचालय, सभी के बैंक खाते होना, स्वच्छ भारत अभियान, नमामि गंगे अभियान आदि मुद्दे इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि पीएम मोदी के लिए हर एक नागरिक की छोटी से छोटी समस्या भी कितनी बड़ी है. ये दिखाता है वह भी ऐसे ही हालात से गुजर चुके हैं, जिनसे आज आम नागरिक गुजर रहा है और इसीलिए वह आम लोगों की समस्याओं से इतनी अच्छी तरह वाकिफ हैं. वह महिलाओं की किसी भी समस्या का राजनीतिकरण नहीं करते, केवल समाधान ढूढ़ते हैं.
फैसलों पर अडिग रहना : प्रधानमंत्री मोदी अपनी योजनाओं का पहले से ही ढिंढोरा पीटने में नहीं, बल्कि उन्हें करके दिखाने में ज्यादा यकीन रखते हैं. वह जानते हैं कि कब कौन सी बात उजागर करनी चाहिए और कौन सी नहीं. इसीलिए उनकी ज्यादातर बातें और योजनाएं काम हो जाने के बाद ही समझ आती हैं. वह अपने फैसले बड़ी निडरता और दृढ़ता के साथ लेते हैं. उनके हर एक फैसले में देश सबसे ऊपर होता है.
चाहे अनुच्छेद 370 को हटाने की बात हो, या नोटबंदी… वह अपने फैसलों पर अडिग रहते हैं. वहीं, तीनों कृषि कानूनों को वापस लेते समय उनका ये कहना कि “किसानों के हित में लाए थे और देश के हित में वापस ले रहे हैं”…. से एक बार फिर यही प्रदर्शित होता है कि उनके हर काम में देश सबसे ऊपर होता है, क्योंकि ‘किसान आंदोलन’ की क्या सच्चाई है, ये लगभग सब जानते ही हैं.
“हमारी सेना है तो हम हैं..” देश की सेना के लिए सबसे एडवांस और नए-नए हथियारों की खरीद करना, आतंकी हमलों का तुरंत जवाब देकर शत्रुओं को कुछ भी करने से पहले सौ बार सोचने की चेतावनी दे देना, समय-समय पर जवानों के बीच जाकर उनकी समस्याओं पर गौर करना और उनका मनोबल बढ़ाना, आदि उनकी देशभक्ति, कुशल नेतृत्व, त्वरित निर्णय क्षमता और दूरदर्शिता का परिचायक हैं.
मेहनती और नियम के पक्के
प्रधानमंत्री मोदी का अनुशासित जीवन सभी को प्रेरणा देता है. मैंने कई समाचार पत्रों में यही पढ़ा है कि PM मोदी दिन के 24 घंटे में से 18 घंटे काम करते हैं. उनके दिन की शुरुआत योग (Yoga) से होती है. वह पूरी तरह से शाकाहारी भोजन करते हैं. वह समय के काफी पाबंद है, अगर वह दिल्ली में होते हैं तो सुबह 9.30 बजे ही ऑफिस पहुंच जाते हैं, और शायद इसीलिए मोदी सरकार में सरकारी नौकरी अब उतनी आसान नहीं.
चाहे चुनाव हों या विदेश मीटिंग, कोई भी काम हो, लेकिन वह अपने नियम नहीं तोड़ते. जब व्रत रखने का समय आता है तो चाहे जो हो जाए, व्रत जरूर रखेंगे. वह समय के महत्व को समझते हैं और काम के समय गंभीर रहते हैं, साथ ही समय मिलने पर मजाकिया भी होते हैं. यानी वह सबको अपने काम से प्यार करना सिखाते हैं. ये ऐसी आदतें हैं जिनसे सभी को सीख लेनी चाहिए.
‘केवल अपने को ही देखो’ : पीएम मोदी अगर किसी को कुछ सिखाना चाहते हैं तो वह उसका उदाहरण अपने से ही दे देते हैं. जैसे- राम मंदिर भूमि पूजन के समय उन्होंने किसी पंडित से नहीं कहा कि ‘मास्क पहने रहो’, लेकिन उन्होंने अपना मास्क एक सेकेंड के लिए भी नहीं उतारा. वह किसी को योग करने या व्यायाम करने के लिए जोर नहीं देते, लेकिन अपनी फिटनेस और अपनी ऊर्जा से सबके सामने अच्छा उदाहरण जरूर पेश करते हैं. अपनी इन बातों से वह बताते हैं कि हर व्यक्ति केवल अपने को ही देखे और अपनी ही आदतों को सुधारने की कोशिश करे, समाज अपने आप सुधर जाएगा.
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