The Rise of Nationalism in Europe Class 10 Notes in Hindi
फ्रेडरिक सोरियू (French Artist Frederick Soreau) एक फ्रांसीसी चित्रकार थे. उनकी पेंटिंग्स फ्रांसीसी राष्ट्रवाद के आंदोलन में प्रमुख बन गईं. उन्होंने चार चित्रों की एक सीरीज तैयार की. इन चार चित्रों में उन्होंने लोकतांत्रिक और सामाजिक गणराज्यों से बनी दुनिया के अपने सपने को रूप दिया. फ्रेडरिक सोरियू के चित्रों के संग्रह को La Republique Universelle Democratic et Sociale कहा जाता है.
फ्रेडरिक सोरियो ने वर्ष 1848 में कल्पना करके चार पिक्चर्स बनाईं. इनमें से एक पिक्चर (फीचर इमेज में), जिसका नाम है “The Pact Between Nation”, इस पिक्चर में फ्रेडरिक सोरियो ने एक डेमोक्रेटिक एंड रिपब्लिक वर्ल्ड की कल्पना की. यह रचना उनकी सबसे महत्वपूर्ण रचना थी.
फीचर इमेज में जो मूर्ति (स्टैचू) है, उसका नाम है “स्टेचू ऑफ लिबर्टी” (Statue of Liberty), जो कि आजादी को दर्शा रही है. इस स्टैचू के एक हाथ में एक मशाल (Torch) है और दूसरे हाथ में मानव अधिकारों का एक चार्ट है. इस मूर्ति के सामने जमीन पर मोनार्की सिस्टम (Monarchy System) का कचरा (निरंकुश संस्थानों के ध्वस्त अवशेष) पड़ा हुआ है. यानी कि राजा महाराजाओं के मुकुट, कपड़े और कई राजशाही वस्तुएं जमीन पर पड़ी हुई हैं.
इस पेंटिंग के माध्यम से आर्टिस्ट बताना चाहता था कि पिक्चर में लंबी लाइन में जो लोग आ रहे हैं, वे कैसे मोनार्की सिस्टम (राजतंत्र या राजशाही) के कचरे को छोड़ते जा रहे हैं, यानी कि राजा-महाराजाओं के शासन को ध्वस्त करते जा रहे हैं और ‘स्टेचू ऑफ लिबर्टी’ यानी कि आजादी की तरफ बढ़ते जा रहे हैं. और यह देखकर उनके गॉड ईसा मसीह व जीसस आसमान से उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं.
तो इस चैप्टर में हम ऐसे कई ऐसे विषयों को पढ़ेंगे, जिनकी कल्पना फ्रेडरिक सोरियो ने अपनी इस पेंटिंग में की थी. इसके अलावा यह भी पढ़ेंगे कि यूरोप में राष्ट्रवाद (Nationalism) कैसे आया, किस तरह के बदलाव देखने को मिले, किस तरह लोगों ने राष्ट्रवाद के लिए संघर्ष किया.
The French Revolution and The Idea of The Nation
फ्रांसीसी क्रांति और राष्ट्र का विचार
वर्ष 1789 में जब फ्रांस की क्रांति (French Revolution) हुई, तो उसका प्रभाव पूरे यूरोप पर पड़ा, क्योंकि 1789 से पहले जब फ्रांस रिवॉल्यूशन नहीं हुआ था, तब फ्रांस के ऊपर राजा-महाराजाओं का शासन था. वे शासन करते थे. फ्रांस के लोगों के पास कोई शक्ति या अधिकार (Power) नहीं थे. राजा जैसा कहता था, लोगों को वैसा ही करना पड़ता था. राजा का बेटा राजा बनता था, बस यही सिस्टम चलता रहता था.
लेकिन जब फ्रांस रिवॉल्यूशन हुआ तो फ्रांस में कई प्रकार के बदलाव (Political and Constitutional Changes) देखने को मिले, जैसे-
(1) फ्रांस रिवॉल्यूशन के दौरान पहला बदलाव यह देखने को मिला कि जो पावर मोनार्की के पास थी, वह पावर मोनार्की से हटकर फ्रांस के आम नागरिकों (Common Citizens) के पास पहुंच गई.
(2) दूसरा बदलाव था कि लोगों ने पुराने झण्डे (Flag) को हटाकर एक नये झंडे को अपना लिया, जिसमें तीन रंग थे.
(3) तीसरा बदलाव था कि फ्रांस की भाषा को राष्ट्रीय भाषा (National Language) घोषित कर दिया गया.
(4) फ्रांस के लोगों ने एक नया National Anthem (राष्ट्रगान) बनाया और साथ में शपथ भी ली.
(5) आम नागरिकों ने वोटिंग के जरिये स्टेट जनरल (Estates General) का चुनाव करना शुरू कर दिया और उसका नाम बदलकर National Assembly रख दिया.
(6) फ्रांस के लोगों को जो आंतरिक सीमा शुल्क (Internal Custom Duties) देने पड़ते थे, (यानी कि किसी सामान को इधर से उधर ले जाने के लिए जो टैक्स देने पड़ते थे), उनको हटा दिया.
इसके अलावा फ्रांस आर्मी (French Army) ने राष्ट्रवाद की भावना को (मतलब कि अपने देश के प्रति प्यार और देशभक्ति को) पूरे यूरोप में फैलाना शुरू कर दिया. फ्रांस आर्मी ने पूरे यूरोप में यह बात फैलानी शुरू कर दी कि “अगर हम मोनार्की (राजतंत्र) को हटाकर डेमोक्रेसी (प्रजातंत्र) ला सकते हैं तो आप लोग क्यों नहीं.”
नेपोलियन बोनापार्ट की एंट्री
यहाँ तक सबकुछ ठीक से चल रहा था. फ्रांस से मोनार्की सिस्टम हट चुका था और डेमोक्रेसी आ गई थी. लोग खुशी से रह रहे थे. लेकिन 1799 में ऐसे व्यक्ति की Entry होती है जो फ्रांस से डेमोक्रेसी को हटा देता है और सारी पावर अपने हाथ में ले लेता है. उस व्यक्ति का नाम था नेपोलियन बोनापार्ट (Napoleon Bonaparte). नेपोलियन बोनापार्ट एक कोड लेकर आया, जिसका नाम था ‘सिविल कोड ऑफ़ 1804’. इसे ‘नेपोलियन कोड’ (Civil Code of 1804 or Napoleon Code) भी कहा जाता है.
इस कोड के तहत नेपोलियन ने कुछ बदलाव किये थे, जो कि इस प्रकार थे-
(1) Established Equality Before
पहले फ्रांस में सारे लोगों को समान (Equal) नहीं माना जाता था. चर्च और नोबल्स (Church and Nobles) को सुपीरियर माना जाता था. उन्हें जन्म के आधार पर प्रिविलेज (अतिरिक्त अधिकार) भी मिलते थे. लेकिन नेपोलियन ने सबको Equal कर दिया, यानी कानून की नजर में सबलोग बराबर रहेंगे. न कोई सुपीरियर रहेगा और ना ही कोई कमजोर रहेगा.
(2) Secure the Right of Property
नेपोलियन ने लोगों को राइट टू प्रॉपर्टी (Right to Property) दिला दी. मतलब कि अगर किसी व्यक्ति के पास पैसा है तो वह व्यक्ति प्रॉपर्टी खरीद सकता है और वह प्रॉपर्टी उसी की रहेगी, कोई उससे वह प्रॉपर्टी छीन नहीं सकता.
(3) Abolished Feudal System
जो बड़े-बड़े Landlords (जमींदार) होते थे, उन्हें ‘Feudal Lords’ भी कहा जाता था. ये लोग किसानों (Peasants) से काम करवाते थे और सारा प्रॉफिट खुद ले जाते थे. किसानों को कोई फायदा नहीं मिलता था. नेपोलियन ने इस Feudal System को भी खत्म कर दिया.
(4) Transport and Communication Systems were Improved
नेपोलियन ने ट्रांसपोर्टेशन के कम्युनिकेशन सिस्टम में काफी सुधार किये थे, जिसकी वजह से फ्राँस में विकास (Development) काफी तेजी से हो रहा था. फ्रांस के अंदर जो अलग-अलग प्रकार की करेंसी चलती थी, उनको हटाकर एक तरह की करेंसी में बदल दिया.
(5) Guild Restrictions were Removed
नेपोलियन ने Guild Restrictions को हटा दिया. इससे यह फायदा हुआ कि मर्चेंट्स (व्यापारी), आर्टिशियन्स (कारीगर) वगैरह बिना किसी प्रतिबंध (Restrictions) के मुक्त व्यापार (Freely Trade) कर सकते थे.
नेपोलियन के द्वारा किये गए ये बदलाव लोगों को इतने पसंद आये थे कि लोग नेपोलियन को मसीहा समझने लगे थे. केवल फ्रांस में ही नहीं, फ्रांस के आसपास के देश भी नेपोलियन का स्वागत कर रहे थे, क्योंकि उन्हें लगने लगा था कि नेपोलियन ही उन्हें मोनार्की सिस्टम से आजाद करा सकता है. उन देशों को ऐसा इसलिए लग रहा था क्योंकि नेपोलियन जहाँ भी जाता था, वहीं से मोनार्की सिस्टम खत्म हो रहा था. लेकिन धीरे-धीरे लोग नेपोलियन से नफरत करने लगे थे, जिसकी मुख्य वजहें इस प्रकार थीं-
(1) नेपोलियन ने लोगों को राजनीतिक आजादी (Political Freedom) नहीं दी थी.
(2) उसने टैक्स बढ़ा दिये थे.
(3) उसने लोगों के ऊपर सेंसरशिप (भाषण, सार्वजनिक संचार या अन्य जानकारी का दमन) लगा दी थी.
(4) चौथा और सबसे बड़ा कारण था कि नेपोलियन लोगों को जबरदस्ती आर्मी में भर्ती कर रहा था, क्योंकि नेपोलियन पूरे यूरोप को जीतना चाहता था, जिसके लिए उसे आर्मी की जरूरत थी. और इसलिए उसने लोगों को जबरदस्ती आर्मी में भर्ती करना शुरू कर दिया था. और यह नेपोलियन की सबसे बड़ी गलती थी.
इन्हीं कारणों से लोग नेपोलियन से नफरत करने लगे थे.
Read Also :
The Rise of Nationalism in Europe (Part-2)
The Rise of Nationalism in Europe (Part-3)
The Rise of Nationalism in Europe (Part-4)
Written By : Nancy Agarwal
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