BRICS Summit list in Hindi- ब्रिक्स (BRICS) वर्तमान में 5 सबसे बड़े विकासशील देशों का संगठन है- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (Brazil, Russia, India, China and South Africa). इन्हीं सदस्य देशों के पहले नाम के अक्षरों से ही इस ग्रुप का नाम BRICS रखा गया है. इसकी स्थापना ब्रिक (BRIC) के रूप में साल 2006 में हुई थी. तब इसमें केवल चार देश ही शामिल थे. फिर साल 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल हो जाने के बाद इसका नाम ब्रिक्स (BRICS) हो गया. साल 2011 में चीन के सान्या में हुए तीसरे ब्रिक्स शिखर सम्मलेन में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने एक पूर्ण सदस्य के रूप में हिस्सा लिया था.
पहला शिखर सम्मलेन 2009 में, भारत तीन बार कर चुका है अध्यक्षता
साल 2006 से 2009 तक ब्रिक्स विदेश मंत्री स्तर (Foreign Minister level) का प्लेटफॉर्म था. शासनाध्यक्ष स्तर (Head of Government level) पर इसका पहला शिखर सम्मेलन साल 2009 में रूस के शहर येकेटरिनबर्ग में हुआ था. तब से हर साल लगातार इस शिखर सम्मेलन का आयोजन होता रहा है. हर साल इसके सदस्य देश क्रम के अनुसार इसके सम्मेलनों का आयोजन करते हैं और इसकी अध्यक्षता करते हैं. भारत अब तक तीन बार साल- 2012 (नई दिल्ली), 2016 (गोवा) और 2021 में ब्रिक्स सम्मेलन की अध्यक्षता कर चुका है.
ब्रिक्स देशों का 13वां शिखर सम्मेलन- 2021
नोट- ब्रिक्स देशों का 13वां शिखर सम्मेलन (BRICS 13th summit-2021) 9 सितंबर 2021 को ऑनलाइन मोड में संपन्न हुआ था. सम्मेलन की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने की थी. (हर साल ब्रिक्स शिखर सम्मलेन की अध्यक्षता सदस्य देशों के सर्वोच्च नेता की तरफ से की जाती है).
भारत एक साल के लिए ब्रिक्स का अध्यक्ष रहेगा. ब्रिक्स की शुरुआत 2006 में हुई थी, इसलिए 2021 का साल इसकी 15वीं वर्षगांठ का भी है. इस अवसर पर 13वें शिखर सम्मेलन की मुख्य थीम थी- “ब्रिक्स@15- निरंतरता, मजबूती और आम सहमति के लिए अंतरा ब्रिक्स सहयोग” (BRICS@15: Intra-BRICS Cooperation for Continuity, Consolidation and Consensus).
5 सबसे बड़े विकासशील देशों का समूह है ब्रिक्स
ब्रिक्स दुनिया के 5 सबसे बड़े विकासशील देशों का समूह है, जो वैश्विक आबादी का 41 प्रतिशत, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 24 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार का 16 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करता है. इस तरह ब्रिक्स एक बड़ा आर्थिक समूह है.
नए आकलन के अनुसार, ब्रिक्स के देश साल 2030 तक पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं से आगे निकल जाएंगे. इसके सदस्यों की अर्थव्यवस्थाएं भी एक-दूसरे की पूरक हैं और उनमें सहयोग की कई बड़ी संभावनाएं हैं, जैसे- रूस और ब्राजील जहां ऊर्जा और कच्चे माल के स्रोत हैं, वहीं चीन विनिर्माण क्षेत्र में और भारत सॉफ्टवेयर और दूसरे कई उद्योगों में बहुत आगे है.
साल 2014 में ब्राजील के फोर्टालेजा में हुए छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान सभी सदस्य देशों ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (New Development Bank-NDB) की स्थापना के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसी के साथ, सदस्य देशों को अल्पकालिक लिक्विडिटी सहायता (short-term liquidity support) देने के लिए ब्रिक्स आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था (BRICS Contingent Reserve Arrangement) पर भी हस्ताक्षर किए गए थे.
फिर भी क्यों नहीं मिल सकी वांछित सफलता?
हालांकि, सहयोग की अपार संभावनाओं के बाद भी ब्रिक्स को अब तक वह सफलता नहीं मिल सकी है, जो मिलनी चाहिए थी. इसका प्रमुख कारण है- इसके सदस्यों में आपसी मतभेद. जैसे- इसके दो प्रमुख सदस्य और भारत और चीन के बीच लगातार तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं. हालांकि चीन के संबंध फिलहाल किसी भी देश से इतने अच्छे नहीं रह गए हैं. आपसी मतभेदों के चलते ब्रिक्स की एकता पर विपरीत प्रभाव पड़ा है, जिसने इसकी सफलता को भी प्रभावित किया है.
हालांकि, इस कमजोरी के बाद भी ब्रिक्स ने वैश्विक मामलों में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ब्रिक्स ने बहुपक्षीय और समावेशी विश्व व्यवस्था (multilateral and inclusive world order) की मांग उठाकर विश्व व्यवस्था को लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं. विश्व अर्थव्यवस्था में भी ब्रिक्स की नीतियों और कार्यक्रमों का महत्व लगातार बना हुआ है. एक समूह के रूप में ब्रिक्स आज भी दुनिया में एक बड़ी आर्थिक शक्ति है.
‘ब्रिक्स थेसिस’ क्या है?
‘ब्रिक्स थेसिस’ (BRICS Thesis) शब्द का मतलब है कि ब्रिक्स का विचार कैसे आया और इसके पीछे क्या उद्देश्य था. ब्रिक्स का विचार सबसे पहले वित्तीय सलाहकार कंपनी गोल्डमैन सैच के अर्थशास्त्री जिम ओ नील ने 2003 में अपनी रिपोर्ट “ड्रीमिंग विद ब्रिक्स द पाथ 2 2050” में दिया था. उनके अनुसार, चार देशों- ब्राजील, रूस, भारत और चीन की विकास क्षमता इतनी ज्यादा है कि साल 2050 तक ये देश दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे.
गोल्डमैन सैच के ब्रिक संबंधी विचारों को ही ‘ब्रिक्स थेसिस’ कहा जाता है, जिसका मूल विचार यह है कि ब्रिक्स देशों की वर्तमान विकास रफ्तार को देखते हुए नए अनुमान के अनुसार साल 2030 तक ये देश पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ देंगे.
वर्तमान में अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) की अर्थव्यवस्थाएं दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार, चीन और भारत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में दुनिया के सबसे बड़े निर्माताओं के रूप में उभर रहे हैं, वहीं रूस और ब्राजील दुनिया के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में सामने आ रहे हैं.
ब्रिक्स ग्रुप के शिखर सम्मेलन (BRICS summit)–
- ब्रिक्स का 1st शिखर सम्मेलन- 2009, येकतेरिनबर्ग (रूस)
- ब्रिक्स का 2nd शिखर सम्मेलन- 2010, ब्राजील
- ब्रिक्स का 3rd शिखर सम्मेलन- 2011, चीन
- ब्रिक्स का 4th शिखर सम्मेलन- 2012, नई दिल्ली (भारत)
- ब्रिक्स का 5th शिखर सम्मेलन- 2013, दक्षिण अफ्रीका
- ब्रिक्स का 6th शिखर सम्मेलन- 2014, ब्राजील
- ब्रिक्स का 7th शिखर सम्मेलन- 2015, ऊफा (रूस)
- ब्रिक्स का 8th शिखर सम्मेलन- 2016, गोवा (भारत)
- ब्रिक्स का 9th शिखर सम्मेलन- 2017, चीन
- ब्रिक्स का 10th शिखर सम्मेलन- 2018, दक्षिण अफ्रीका
- ब्रिक्स का 11th शिखर सम्मेलन- 2019, ब्राजील
- ब्रिक्स का 12th शिखर सम्मेलन- 2020, रूस (ऑनलाइन)
- ब्रिक्स का 13th शिखर सम्मेलन- 2021, भारत (ऑनलाइन)
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