नोट- गैलेक्सी (Galaxy) को हिंदी में ‘मंदाकिनी’ कहा जाता है. बहुत से लोग गैलेक्सी को हिंदी में ‘आकाशगंगा’ भी कहते हैं, वहीं बहुत से लोग ‘आकाशगंगा’ केवल उसी गैलेक्सी को कहते हैं, जिस गैलेक्सी में हमारा सौरमंडल मौजूद है (Milky Way). भारत में गैलेक्सी को मन्दाकिनी, स्वर्णगंगा, स्वर्नदी, देवनदी, सुरनदी या आकाशनदी आदि कहा जाता है. इस आर्टिकल में गैलेक्सी को आकाशगंगा, और हमारी गैलेक्सी को केवल ‘मिल्की वे’ कहकर संबोधित किया गया है.
हमारे चारों ओर फैला विशाल आकाश या अंतरिक्ष ब्रह्मांड (Universe) कहलाता है, जिसमें सभी तरह के पिंड जैसे- तारे, ग्रह, उपग्रह और लगभग सभी तरह के पदार्थ मौजूद हैं. दूसरे शब्दों में सूक्ष्मतम अणु से लेकर महाकाय आकाशगंगा तक के सम्मिलित स्वरूप को ब्रह्मांड कहा जाता है.
ब्रह्मांड का आकार कैसा है, इसकी कितनी सीमा है, यह कितना बड़ा है और कहां तक फैला है… इन सबके बारे में फिलहाल कोई भी सटीक जानकारी नहीं है. इन्हें लेकर अब तक केवल कुछ अनुमान ही लगाए गए हैं.
जैसे- वैज्ञानिकों का यह अनुमान है कि ब्रह्मांड में लगभग 100 अरब आकाशगंगाएं (Galaxy) हैं और हर एक आकाशगंगा में 100 अरब से भी ज्यादा तारे हैं. सूर्य (Sun) जो हमारी पृथ्वी पर जीवन का आधार है, इन अरबों तारों से भरे हुए इस ब्रह्मांड में मौजूद एक बहुत ही नन्हा सा तारा है, तो वहीं हमारी पृथ्वी तो इस विशाल अंतरिक्ष में सूक्ष्मतम बिंदु के समान है.
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से पहले नासा का हबल स्पेस टेलीस्कोप 12 दिनों तक अंतरिक्ष के एक छोटे से हिस्से का ऑब्जर्वेशन करके 10,000 से ज्यादा आकाशगंगाओं की खोज कर चुका है.
यह तस्वीर (नीचे देखिए) हाल ही में NASA के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) द्वारा ली गई है, जिसमें ब्रह्मांड की एक छोटी सी जगह पर हजारों आकाशगंगाएं (SMACS 0723) दिखाई दे रही हैं. तो सोचिए कि ब्रह्मांड कितना बड़ा है.
आकाशगंगा या मंदाकिनी क्या है
(What is Galaxy)-
ब्रह्मांड में अरबों तारे हैं, लेकिन ये तारे अलग-अलग ग्रुप्स बनाकर रहते हैं, जिन्हें आकाशगंगा या मंदाकिनी या गैलेक्सी (Galaxy) कहते हैं. हमारा सूर्य ‘मिल्की वे’ नाम की आकाशगंगा के करोड़ों तारों में से एक है.
‘गैलेक्सी’ शब्द ग्रीक शब्द ‘आकाशगंगा’ से लिया गया है. आकाशगंगाओं के बीच की जगह को इंटरगैलेक्टिक स्पेस के रूप में जाना जाता है. आकाशगंगा का केंद्र भारी मात्रा में गर्मी, विकिरण, रेडियो तरंगें और एक्स-रे छोड़ता है.
आकाशगंगा लाखों-करोड़ों, छोटे-बड़े तारों का समूह होती हैं. ये तारे अपने ही गुरुत्वाकर्षण बल के कारण आपस में बंधे हुए होते हैं. अब जब आकाशगंगा में करोड़ों तारे हैं, तो इन तारों के बीच-बीच में धूल और गैस के बादल यानी निहारिकाएं, ग्रह, उपग्रह और अन्य तरह के पिंड भी मौजूद होते हैं.
जैसे- हम जिस पृथ्वी पर रहते हैं, वह हमारे सौरमंडल (Solar System) का एक ग्रह है… और यह सौरमंडल जिस आकाशगंगा में मौजूद है, उसका नाम ‘मिल्की-वे’ है. मिल्की-वे के बीच में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल (Sagittarius A) है, जिसकी परिक्रमा हमारा सूर्य करता रहता है… और सूर्य की परिक्रमा पृथ्वी सहित आठों ग्रह करते रहते हैं और इन ग्रहों के उपग्रह अपने-अपने ग्रहों की परिक्रमा करते रहते हैं. यानी ब्रह्मांड में लगभग सब कुछ घूमता ही रहता है.
कभी-कभी आकाशगंगाएं बहुत करीब आ जाती हैं और एक-दूसरे से टकरा जाती हैं. जैसे- एक अनुमान के मुताबिक, हमारी आकाशगंगा ‘मिल्की-वे’ किसी दिन हमारी पड़ोसी आकाशगंगा एंड्रोमेडा (Andromeda Galaxy) से टकराएगी. लेकिन घबराना नहीं, यह लगभग पांच अरब सालों तक नहीं होगा.
Largest Galaxy in Universe
IC 1101 गैलेक्सी ब्रह्मांड में अब तक खोजी गई सबसे बड़ी आकाशगंगा है. इस आकाशगंगा का व्यास करीब 30 से 40 लाख प्रकाश वर्ष है. इस आकाशगंगा की खोज 19 जून 1790 में ब्रिटिश खगोलशास्त्री विलियम हर्शल ने की थी.
हमारी आकाशगंगा ‘मिल्की-वे’
(Our Galaxy Milky Way)
• मिल्की वे का आकार सर्पिलाकार (Spiral) है. दूर से देखने पर यह गैलेक्सी एक सफेद चमकदार पट्टी की तरह दिखाई देती है, जिस वजह से इसका नाम ‘मिल्की वे’ रखा गया है.
• मिल्की-वे का व्यास (Diameter) लगभग 1 लाख प्रकाश वर्ष और इसकी चौड़ाई (Width) करीब 10 हजार प्रकाश वर्ष है.
• मिल्की वे लगभग 90% डार्क मैटर और लगभग 10% “चमकदार पदार्थ” से बनी है.
• मिल्की वे अपने केंद्र पर वामावर्त दिशा (Counterclockwise) में घूमती रहती है.
• मिल्की-वे के सेंटर में जो ब्लैक होल मौजूद है, उसका नाम ‘धनु A’ या ‘सेजिटेरियस A’ (Sagittarius A) है.
• इस ब्लैक होल का द्रव्यमान सूर्य से चार मिलियन गुना ज्यादा है और इसका रेडियस (त्रिज्या) लगभग 12 करोड़ किलोमीटर है (यह ब्लैक होल किसी समय एक बहुत बड़ा तारा रहा होगा, जो सिकुड़कर इतना सा ही रह गया).
• हमारा सूर्य इस ब्लैक होल (Sagittarius A) से करीब 28,000 प्रकाश वर्ष दूर है.
• हमारा सूर्य करीब 251 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से दौड़ लगाते हुए इस ब्लैक होल की परिक्रमा कर रहा है.
• सूर्य को इस ब्लैक होल की एक परिक्रमा पूरी करने में 22 से 25 करोड़ साल लग जाते हैं.
• मिल्की-वे की पड़ोसी गैलेक्सी एंड्रोमेडा आकाशगंगा (Andromeda Galaxy) लगभग 2,20,000 प्रकाश वर्ष चौड़ी है.
(अगर हम अपनी आकाशगंगा ‘मिल्की-वे’ को अपनी पृथ्वी के बराबर समझें, तो इसमें मौजूद हमारा सौरमंडल मात्र एक शहर के बराबर ही है).
रंग, आकार और क्षेत्रफल के आदि हिसाब से आकाशगंगाएं कई प्रकार की होती हैं. आकाशगंगाओं को मुख्य रूप से 4 भागों में बांटा गया है-
(1) दीर्घ वृत्ताकार या अंडाकार (Elliptical)
(2) अनियमित (Irregular)
(3) कुंडली या सर्पिल (Spiral)
(4) वर्जित सर्पिल (Barred Spiral)
सर्पिलाकार आकाशगंगाएं (Spiral Galaxies)-
आमतौर पर ब्रह्मांड में सर्पिल आकार की आकाशगंगाएं हैं. अब तक खोजी गई लगभग 77 प्रतिशत आकाशगंगाएं सर्पिल आकार की ही हैं. उदाहरण के लिए, हमारी पड़ोसी एंड्रोमेडा आकाशगंगा एक सर्पिल आकार की आकाशगंगा है.
वर्जित सर्पिलाकार आकाशगंगाएं (Barred Spiral Galaxies)-
ज्यादातर सर्पिल आकाशगंगाओं में एक पट्टी जैसी संरचना होती है, जिसे वर्जित-सर्पिल आकाशगंगा कहा जाता है. लगभग दो-तिहाई सर्पिल आकाशगंगाएं वर्जित सर्पिलाकार आकार की हैं. जैसे हमारी आकाशगंगा मिल्की-वे एक वर्जित सर्पिलाकार आकाशगंगा है. ऐसी आकाशगंगाओं के कुछ और उदाहरण हैं- M58 (SBc), लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड (LMC, Sm), और M61 (SABbc).
मिल्की वे गैलेक्सी बीच में फूली हुई वृत्ताकार पूड़ी के समान है. इसमें सभी तारे एक वृत्त के अंदर ही मौजूद हैं, जो हमें रात में आकाश में अलग-अलग दिखाई पड़ते हैं.
अंडाकार आकाशगंगाएं (Elliptical Galaxies)-
ये आकाशगंगाएं आमतौर पर कम द्रव्यमान वाले पुराने तारों से बनी होती हैं. सर्पिलाकार आकाशगंगाओं की तुलना में इन आकाशगंगाओं से तारों का प्रकाश बहुत मंद होता है. अब तक खोजी गईं लगभग 10-15% आकाशगंगाएं इसी प्रकार की हैं.
अंडाकार दोहरी-रिंग वाली आकाशगंगाएं (Elliptical Doubled-ringed Galaxy)-
ये आकाशगंगाएं संख्या में बहुत कम हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, लगभग 0.1% आकाशगंगाएं ही इसी प्रकार की हैं. इसे होग-प्रकार की आकाशगंगा (Hoag-type galaxy) भी कहा जाता है. ऐसी आकाशगंगाओं के कुछ उदाहरण हैं- NGC 5 (एंड्रोमेडा), NGC 67 (एंड्रोमेडा), NGC 71 (एंड्रोमेडा) और PGC 1000714.
अनियमित आकाशगंगाएं (Irregular Galaxies)-
ब्रह्मांड में अनियमित आकार की आकाशगंगाएं भी पाई जाती हैं, जो आमतौर पर आकार में छोटी होती हैं. नाम से ही पता चलता है कि इन आकाशगंगाओं का कोई निश्चित आकार नहीं होता है. अब तक खोजी गईं आकाशगंगाओं में लगभग एक चौथाई आकाशगंगाएं इस तरह की हैं.
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