What is Meteor Shower (Ulkapat kya hai)
क्षुद्रग्रह, धूमकेतु और उल्कापिंड (Asteroids, Comets and Meteors) हमारे सौरमंडल (Solar System) का हिस्सा हैं. चट्टान, बर्फ और धातु के ये टुकड़े 4.6 अरब साल पहले हमारे सौरमंडल के निर्माण के बाद बचे हुए हैं. वे काफी हद तक हमारे प्रारंभिक सौरमंडल के जीवाश्म रिकॉर्ड (Fossil Record) की तरह हैं. वर्तमान में 1,113,527 से भी अधिक ज्ञात क्षुद्रग्रह और 3,743 से भी अधिक ज्ञात धूमकेतु हैं.
जब ये वस्तुएं सूर्य के करीब आती हैं तो अपने पीछे धूल भरा निशान छोड़ जाती हैं. हर साल पृथ्वी इन मलबे के निशानों से होकर गुजरती है, जिससे उन्हें पृथ्वी के वायुमंडल से टकराने का मौका मिलता है. जैसे ही ये टुकड़े तेज गति से वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो आग पकड़ लेते हैं और अपने पीछे चमकती गैस की धारियाँ छोड़ जाते हैं जो हमें उल्कापात (Meteor Showers) के रूप में दिखाई देती हैं. जब पृथ्वी का सामना एक साथ कई उल्कापिंडों से होता है, तो उसे उल्कापात या उल्कावृष्टि कहते हैं.
पृथ्वी को एक साथ कई उल्कापिंडों का सामना क्यों करना पड़ता है? क्योंकि पृथ्वी और अन्य ग्रहों की तरह धूमकेतु भी सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं. ग्रहों की लगभग गोलाकार कक्षाओं के विपरीत, धूमकेतुओं की कक्षाएँ आमतौर पर काफी एकतरफा होती हैं.
जैसे ही कोई धूमकेतु सूर्य के करीब आता है, उसकी कुछ बर्फीली सतह उबल जाती है, जिससे धूल और चट्टान के बहुत सारे कण निकलते हैं. यह धूमकेतु का मलबा धूमकेतु के पथ पर बिखर जाता है, विशेषकर आंतरिक सौरमंडल में (जहाँ हम रहते हैं) क्योंकि सूर्य की गर्मी से अधिक से अधिक बर्फ और मलबा उबलता है. जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अपनी यात्रा करती है, तो इसकी कक्षा हर साल कई बार एक धूमकेतु की कक्षा को पार करती है.
दूसरे शब्दों में,
उल्का (Meteor) एक अंतरिक्ष चट्टान या उल्कापिंड (Space Rock or Meteoroid) है जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती है. जब उल्कापिंड पृथ्वी या किसी अन्य ग्रह के वायुमंडल में तेज गति से प्रवेश करते हैं, हवा का प्रतिरोध-या खिंचाव चट्टान को अत्यधिक गर्म बना देता है और वे जल जाते हैं, तो हम उन्हें “टूटते सितारे” (Shooting Star) कहते हैं. वह चमकीली लकीर वास्तव में चट्टान नहीं, बल्कि वातावरण में चमकने वाली गर्म चट्टान की गर्म हवा है.
कुछ उल्कापिंड चट्टानी हैं, जबकि कुछ धातुओं के बने हैं, और कुछ उल्कापिंड चट्टान और धातुओं से मिलकर बने होते हैं. उल्कापिंड पृथ्वी की चट्टानों के समान हो सकते हैं, लेकिन उनका बाहरी भाग आमतौर पर जला हुआ होता है जो चमकदार दिखाई देता है. पृथ्वी पर पाए जाने वाले अधिकतर उल्कापिंड टूटे हुए क्षुद्रग्रहों से आते हैं, हालांकि कुछ मंगल या चंद्रमा से भी आते हैं. उल्कापिंडों का अध्ययन करके हम अपने सौरमंडल के इतिहास के बारे में और अधिक जान सकते हैं.
हमारे सौरमंडल में अधिकांश क्षुद्रग्रह मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट (Main Asteroid Belt), मंगल और बृहस्पति के बीच के क्षेत्र में पाए जाते हैं. लेकिन वे सौर मंडल के आसपास अन्य स्थानों पर भी घूम सकते हैं. कभी-कभी एक क्षुद्रग्रह दूसरे क्षुद्रग्रह से टकरा सकता है. इससे क्षुद्रग्रह के छोटे-छोटे टुकड़े टूट सकते हैं. धूमकेतु भी क्षुद्रग्रहों की तरह सूर्य की परिक्रमा करते हैं, लेकिन धूमकेतु बर्फ और धूल से बने होते हैं, चट्टान से नहीं.
उल्कापात (Meteor Shower)
जब कोई उल्कापिंड (Meteoroid) वायुमंडल के माध्यम से अपनी यात्रा से बच जाता है और धरती से टकराता है, तो उसे Meteorite कहा जाता है. Meteorite आमतौर पर एक कंकड़ और एक मुट्ठी के आकार के बीच होते हैं. हालाँकि, आमतौर पर उल्कापिंड इतने छोटे होते हैं कि हमारे वायुमंडल में जल्दी ही जल जाते हैं, इसलिए इस बात की बहुत कम संभावना है कि उनमें से कोई भी पृथ्वी की सतह से टकराएगा. यह एक अच्छा मौका होता है आधी रात में एक खूबसूरत शूटिंग स्टार शो (Meteor Shower) देखने का.
इस “शो” की क्वालिटी इस बात पर निर्भर करती है कि आप इसे किस समय देख रहे हैं. इसी के साथ आकाश की स्थिति, चंद्रमा के चरण और अन्य चीजों पर भी निर्भर करती है. आमतौर पर किसी भी साफ रात में प्रति घंटे कई उल्काएँ देखी जा सकती हैं. कुछ उल्कापात प्रतिवर्ष या नियमित अंतराल पर होते हैं.
उल्कापात (Meteor Shower) की स्थिति में चमकती धारियाँ आकाश में कहीं भी दिखाई दे सकती हैं, लेकिन उनकी “पूंछें” आकाश में एक ही स्थान की ओर इशारा करती प्रतीत होती हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी उल्काएं एक ही कोण पर हमारी ओर आ रही होती हैं, और जैसे-जैसे वे पृथ्वी के करीब आते हैं, परिप्रेक्ष्य का प्रभाव उन्हें दूर होता हुआ प्रतीत होता है. यह रेल की पटरियों के बीच में खड़े होकर देखने जैसा है कि दूर से दोनों पटरियाँ एक साथ कैसे आती हैं.
उल्कापात के नाम (Names of meteor showers)
नक्षत्र (Constellation) उल्काओं का स्रोत नहीं है, लेकिन उल्कापात का नाम आमतौर पर उस तारे या तारामंडल (Star or Constellation) के नाम पर रखा जाता है, जहां से उल्कापिंड आते प्रतीत होते हैं, या जो तारामंडल या नक्षत्र आकाश में उल्कापिंडों की उत्पत्ति के स्थान के करीब होता है.
जैसे जेमिनीड्स (Geminids Meteor Shower) का नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि ये उल्कापिंड मिथुन राशि या मिथुन तारामंडल से निकलते हुए प्रतीत होते हैं. इसलिए मिथुन तारामंडल की सभी दिशाओं में यह उल्कावृष्टि नजर आती है.
अधिकतर अन्य उल्कापातों के विपरीत, जेमिनिड्स किसी धूमकेतु से नहीं बल्कि 3200 फेथॉन नामक क्षुद्रग्रह (3200 Phaethon Asteroid) से जुड़े हैं. यह उल्कावृष्टि 3200-फेथॉन नामक धूमकेतु के मलबे के कारण होती है. दरअसल फेथॉन 524 दिन में सूर्य का एक चक्कर लगाता है. यह सूर्य और बुध के बीच से होकर गुजरता है. पृथ्वी के करीब से गुजरते समय यह ढेर सारे धूल कण और उल्काओं को धरती के मार्ग पर छोड़ जाता है. जेमिनीड बहुत तेज होते हैं और लगभग 78,000 मील प्रति घंटे की गति से चलते हैं. अधिकतर जेमिनीड 45-55 मील की ऊंचाई पर जल जाते हैं और जमीन तक नहीं पहुंचते.
सबसे प्रसिद्ध पर्सिड्स (Perseids Meteor Shower) हैं, जो हर साल 12 अगस्त के आसपास बहुत देखे जाते हैं. लिरिड्स उल्कापात (Lyrids Meteor Shower), जो अप्रैल के अंत में चरम पर होता है, सबसे पुराने ज्ञात उल्कापातों में से एक है.
आप कब कौन-सी उल्कावृष्टि देख सकते हैं-
जब पृथ्वी उल्काओं के बीच होकर गुजरती है तो यही उल्काएं धरती के वातावरण से टकराने के कारण जल उठती हैं और आतिशबाजी जैसा दृश्य देखने को मिलता है. यहां प्रमुख उल्कापात या उल्कावृष्टि की तारीखें दी गई हैं. देखने का अधिकतम समय प्रत्येक वर्ष एक या दो दिन अलग-अलग होता है. ध्यान रखें- यदि चंद्रमा पूर्ण है या पूर्ण होने के करीब है, तो आप कई उल्काएं नहीं देख पाएंगे.
• क्वाड्रंटिड्स (दिसंबर/जनवरी)
• लिरिड्स (अप्रैल)
• पर्सिड्स (अगस्त)
• ओरियोनिड्स (अक्टूबर)
• लियोनिड्स (नवंबर)
• जेमिनीड्स (दिसंबर)
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