How is Petroleum Made
पेट्रोलियम को ‘काला सोना’ (Black Gold) कहा जाता है. यह नाम ही मनुष्य के लिए इसके महत्त्व को बताता है. विभिन्न प्रकार की सामग्रियों के निर्माण में इसके महत्व के कारण इसे अक्सर ‘सभी वस्तुओं की जननी’ (Mother of All Commodities) कहा जाता है, क्योंकि इसका उपयोग फार्मास्यूटिकल्स, प्लास्टिक, गैसोलीन, सिंथेटिक कपड़े आदि जैसे विभिन्न उत्पादों (Various Products) के निर्माण के लिए किया जाता है. पेट्रोलियम या तेल 1950 के दशक से दुनिया में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत भी रहा है.
पेट्रोलियम का अर्थ (Petroleum Meaning)
पेट्रोलियम एक तरल पदार्थ है जो प्राकृतिक रूप से चट्टानों में पाया जाता है. पेट्रोलियम शब्द लैटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है- पेट्रा (चट्टान) और ओलियम (तेल). यानी पेट्रोलियम पृथ्वी की चट्टानों से प्राप्त होने वाला तेल है, इसीलिए इसे खनिज तेल (Mineral Oil) भी कहते हैं. पेट्रोलियम को ‘रॉक ऑयल’ (Rock Oil or Dark Oil) भी कहा जाता है. जब इसे तरल रूप में जमीन से निकाला जाता है तो इसे कच्चा तेल (Crude Oil) कहा जाता है.
कच्चे तेल और पेट्रोलियम को जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) भी कहा जाता है क्योंकि इसमें हाइड्रोकार्बन के विभिन्न आणविक भार और अन्य कार्बनिक यौगिकों का एक जटिल मिश्रण होता है. यह उन जानवरों और पौधों के अवशेषों से बनते हैं जो लाखों साल पहले समुद्री वातावरण में रहते थे. लाखों वर्षों में, इन जानवरों और पौधों के अवशेष (Remains) रेत, गाद और चट्टान की परतों से ढके हुए थे. इन परतों की गर्मी और दबाव ने अवशेषों को उस चीज में बदल दिया जिसे अब हम कच्चा तेल या पेट्रोलियम कहते हैं.
पेट्रोलियम का निर्माण कैसे होता है?
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार, पेट्रोलियम का निर्माण जैव-वनस्पति और जीव-जंतुओं से हुई है. समुद्र में रहने वाले करोड़ों की संख्या में जीव-जंतु मरते गए और लाखों वर्षों तक चट्टानों की परतों में दबते गए. कालान्तर में इनका ऑक्सीकरण और सड़न रुक गया. ताप और दबाव में लगातार वृद्धि होने के कारण जीव-जंतुओं चर्बी का आंशिक आसवन (Distillation) हुआ, जिससे तेल और गैस का निर्माण हुआ.
कच्चा तेल और अन्य हाइड्रोकार्बन भूमिगत पूलों या जलाशयों में, तलछटी चट्टानों के भीतर छोटे स्थानों में और पृथ्वी की सतह के पास रेत में तरल या गैसीय रूप में मौजूद होते हैं. आज पेट्रोलियम उन विशाल भूमिगत जलाशयों (Underground Reservoirs) में पाया जाता है जहाँ प्राचीन समुद्र थे. पेट्रोलियम भंडार भूमि के नीचे या समुद्र के नीचे स्थित हो सकते हैं.
आमतौर पर, इसे कुआं खोदकर पम्पों की सहायता से बाहर निकाला जाता है, लेकिन कई बार भूतल के नीचे दाब अत्यधिक होता है और तेल बड़े जोर से फव्वारे के रूप में निकलता है. कच्चे तेल को रिफाइनरीज में साफ करके अलग-अलग प्रकार की वस्तुएं प्राप्त की जाती हैं, जैसे- पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल, गैसोलीन, बेंजीन, वैसलीन आदि. पेट्रोलियम उत्पाद कोयला, प्राकृतिक गैस और बायोमास से भी बनाए जा सकते हैं.
इतिहास के मुताबिक, मनुष्य इसके अस्तित्व के बारे में 4000 वर्षों से जानता है. जमीन से पहली बार कच्चा तेल 2500 साल पहले चीन में निकाला गया था और दुनिया का पहला कच्चे तेल का कुआँ अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में वर्ष 1859 में ही खोदा गया था.
पेट्रोलियम शोधन (Petroleum Refining)
हम भूमि से जो भी चीजें प्राप्त करते हैं, उसे साफ तो करना ही पड़ता है. और यदि वह चीज कई चीजों का मिश्रण है, तो साफ करके उन्हें अलग-अलग भी किया जाता है. इसी कार्य के लिए कच्चे तेल को जमीन से निकालने के बाद इसे रिफाइनरी में भेजा जाता है.
पेट्रोलियम कई पदार्थों का मिश्रण है जैसे गैस, पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल, चिकनाई वाला तेल, पैराफिन मोम आदि. चूंकि ये सभी घटक या अंश (Constituents) अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं, इसलिए इन्हें अलग करना या, कच्चे तेल को परिष्कृत (Refine) करना या साफ करना महत्वपूर्ण है. पेट्रोलियम के अलग-अलग घटकों को अलग करने की इस प्रक्रिया को पेट्रोलियम शोधन (Petroleum Refining) कहा जाता है.
पेट्रोलियम रिफाइनरियाँ कच्चे तेल और अन्य तरल पदार्थों को कई पेट्रोलियम उत्पादों में बदल देती हैं जिनका लोग प्रतिदिन उपयोग करते हैं. यह सब तेल रिफाइनरियों (Oil Refineries) में किया जाता है. यह तीन चरणों वाली प्रक्रिया है-
पहला चरण है पृथक्करण (Separation), जहां आसवन प्रक्रिया (Distillation Process) के माध्यम से कच्चे तेल को अलग-अलग घटकों में अलग किया जाता है. भारी घटक नीचे बसे रहते हैं, जबकि हल्के घटक वाष्प के रूप में ऊपर उठते हैं, या तरल बने रहते हैं.
इसके बाद अगला चरण रूपांतरण (Conversion) है, जिसमें वे घटक, जो अभी भी काफी भारी हैं, गैस, गैसोलीन और डीजल में बदल जाते हैं. इनमें कुछ अशुद्धियाँ होती हैं, इसलिए अंतिम चरण उपचार (Treating) है, जहाँ अलग-अलग प्रोडक्ट्स के शुद्ध रूप को प्राप्त करने के लिए उनका उपचार किया जाता है.
♦ एक रिफाइनरी दिन के 24 घंटे, साल के 365 दिन चलती है और इसके लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों की आवश्यकता होती है. एक रिफाइनरी कई सौ फुटबॉल मैदानों जितनी जमीन घेर सकती है.
कोयले के बाद पेट्रोलियम या खनिज तेल भारत की ऊर्जा का अगला सबसे बड़ा स्रोत है. यह विभिन्न विनिर्माण उद्योगों (Manufacturing Industries) के लिए ताप और प्रकाश शक्ति, मशीनरी स्नेहक और कच्चे माल की आपूर्ति करता है. सिंथेटिक कपड़ों, उर्वरकों (Fertilisers) और कई रासायनिक उद्योगों के लिए पेट्रोलियम रिफाइनरियाँ ‘नोडल उद्योग’ (Nodal Industry) के रूप में काम करती हैं.
पेट्रोलियम उत्पादों में विमानन ईंधन, हीटिंग और बिजली पैदा करने वाले ईंधन तेल, डामर और सड़क टार, और एडिटिव्स, प्लास्टिक और औद्योगिक सामग्री के उत्पादन के लिए फीडस्टॉक शामिल हैं जो हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली लगभग हर चीज में हैं. पेट्रोलियम फार्मास्यूटिकल्स, सॉल्वैंट्स, उर्वरक, कीटनाशक, सिंथेटिक सुगंध और प्लास्टिक सहित कई औद्योगिक उत्पादों (Industrial Products) के लिए कच्चा माल भी है.
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