Virupaksha Temple Hampi About
पवित्र विरुपाक्ष मंदिर (Virupaksha Temple, Hampi Karnataka) मध्य कर्नाटक के हम्पी में 7वीं शताब्दी का शिव मंदिर है. यह मंदिर 14वीं-16वीं शताब्दी के दौरान विकसित हुए विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagara Empire) की महानता और भव्यता के प्रतीक के रूप में केंद्र में खड़ा है. हम्पी क्षेत्र के अन्य मंदिरों के कई खंडहरों के बीच स्थित इस मंदिर का इतिहास महान शहर की कहानी बयां करता है.
विरुपाक्ष मंदिर के पीठासीन देवता भगवान विरुपाक्ष हैं, जो भगवान शिव (Bhagwan Shiv) का एक रूप हैं और देवी पम्पा (देवी पार्वती जी) उनकी पत्नी हैं, इसलिए भगवान विरुपाक्ष को पम्पापति भी कहा जाता है. इस तरह इस स्थान का महत्व भगवान श्रीराम के समय से है, क्योंकि रामचरितमानस (Ramcharitmanas) के एक प्रसंग में माता शबरी द्वारा भगवान श्रीराम जी को पम्पा नामक स्थान के बारे में बताने का उल्लेख है.
शबरी माता श्रीराम जी से कहती हैं-
पंपा सरहि जाहु रघुराई। तहँ होइहि सुग्रीव मिताई॥
अर्थात- (शबरी ने श्रीराम जी से कहा-) हे रघुनाथजी! आप पंपा नामक सरोवर को जाइए. वहां आपकी मित्रता सुग्रीव से होगी.
रामचरितमानस सहित अन्य प्राचीन शास्त्रों में हम्पी के क्षेत्र (Hampi) को किष्किंधा (Kishkindha) यानी वानरों का राज्य बताया गया है. कहा जाता है कि हम्पी में हनुमान मंदिर (Hanuman temple in Hampi) वह गुफा थी जहां भगवान हनुमान, उनकी मां देवी अंजना, केसरी और माता शबरी निवास करते थे. पवित्र तालाब पंपासरोवर के पास ही वह गुफा है, जहां वानरों के राजा सुग्रीव (Sugriva) ने अपना घर बनाया था.
विरुपाक्ष मंदिर के शिवलिंग
विरुपाक्ष मंदिर के शिवलिंग (Shivling of Virupaksha Temple) को 64 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है. इस शिवलिंग को ‘स्वयंभू’ (स्वयं प्रकट होने वाले) माना जाता है. विरुपाक्ष मंदिर विजयनगर क्षेत्र से संबंधित पूरी तरह से कार्यरत मंदिर है, क्योंकि आस-पास के अन्य लोकप्रिय स्थल जैसे विट्ठल मंदिर वास्तुकला की उत्कृष्ट कृतियां हैं, लेकिन इन स्थानों पर देवी-देवताओं की नियमित पूजा बंद हो गई है.
विरुपाक्ष मंदिर का निर्माण इस तरह से किया गया है कि तुंगभद्रा नदी (Tungabhadra River) मंदिर की रसोई में उतरती है और फिर मंदिर के बाहरी प्रांगण से होकर बहती है. मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार के पास नंदी की तीन सिर वाली मूर्ति स्थापित की जा सकती है. यह प्रतिमा भारत में अद्वितीय और दुर्लभ है.
Virupaksha Temple Complex
विरुपाक्ष मंदिर परिसर तीन गोपुरों (टावरों) से घिरा हुआ है. परिसर में भुवनेश्वरी और विद्यारण्य के मंदिर भी हैं. विरुपाक्ष मंदिर परिसर में गर्भगृह, तीन पूर्व-कक्ष, दो स्तंभों वाले हॉल, एक स्तंभित चतुर्भुज मार्ग, जिसे मठ के रूप में जाना जाता है, तीन गोपुरम, आंगन और कई छोटे मंदिर शामिल हैं. भगवान विरुपाक्ष को समर्पित मुख्य मंदिर के अलावा, अन्य मंदिर देवी भुवनेश्वरी को समर्पित हैं और संत विद्यारण्य मंदिर परिसर के भीतर स्थित हैं.
मंदिर की दीवारों पर लिखे इतिहास के मुताबिक, खंभों वाला मंडपम 1510 ईस्वी में राजा कृष्ण देव राय (Krishna Deva Raya) द्वारा बनाया गया था. इस मंडपम में भगवान शिव और भगवान विष्णु जी के कई अवतारों के चित्र और भित्ति चित्र हैं. छत पर लगे भित्ति चित्र महाभारत और रामायण के दृश्यों को भी दर्शाते हैं.
जानिए- विजयनगर साम्राज्य और हम्पी के बारे में
Virupaksha Temple Eastern Gopuram-
मंदिर के तीन गोपुरमों में, पूर्वी गोपुरम मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार है. यह पंद्रहवीं शताब्दी में बनाया गया था. यह गोपुरम कृष्ण देव राय द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था. गोपुरम 9 मंजिला है और इसकी डिजाइन बहुत घनी है. इसकी ऊंचाई 50 मीटर है. इस गोपुरम की हर एक मंजिल पर व्यापक शिल्प कौशल के साथ सैकड़ों हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं. मुख्य मीनार की उल्टी छाया मंदिर के अंदर एक दीवार पर पड़ती है. वहीं, उत्तरी गोपुरम पांच मंजिला और भीतरी-पूर्वी गोपुरम तीन मंजिल ऊंचा है.
Virupaksha Temple Origin
विरुपाक्ष मंदिर की उत्पत्ति एक शहर और एक साम्राज्य के रूप में विजयनगर की उत्पत्ति से पहले की है. माना जाता है कि मुख्य गर्भगृह 7वीं शताब्दी का है. मंदिर की दीवारों पर भगवान शिव से संबंधित कई शिलालेख पाए गए हैं. इनका समय 9वीं और 10वीं शताब्दी का बताया जाता है. चालुक्यों और होयसालों द्वारा इस मंदिर में कई विकास कार्य और जीर्णोद्धार कराए गए. हालांकि, विरुपाक्ष मंदिर का अच्छे से विकास विजयनगर साम्राज्य के शासन में हुआ था.
विरुपाक्ष मंदिर का समय (Virupaksha Temple Timings)
मंदिर के खुलने का समय- सुबह 9 बजे
मंदिर के बंद होने का समय- रात 9 बजे
दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक मंदिर बंद रहता है.
विरुपाक्ष मंदिर में महाशिवरात्रि (Mahashivratri at Virupaksha Temple)
महाशिवरात्रि का त्योहार पूरे देश में ही बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. विरुपाक्ष मंदिर में भी इस दिन को बड़ी आध्यात्मिकता और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. हजारों भक्त उपवास रखते हैं और भगवान शिव के दर्शनों के लिए आते हैं. भक्त तुंगभद्रा नदी में डुबकी लगाते हैं और फिर भगवान शिव के दिव्य दर्शन और आशीर्वाद के लिए मंदिर जाते हैं.
रात में भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. इस उत्सव की एक विशेषता यह भी है कि शिवलिंग पर माणिक और हीरों से जड़ा एक विशाल सोने का मुकुट रखा जाता है. कहा जाता है कि शिवलिंग को राजा कृष्ण देव राय (Krishna Dev Raya) ने स्वयं अपने राज्याभिषेक के समय चढ़ाया था. शिवरात्रि पर लोग इस मुकुट को देख पाते हैं. शिवरात्रि के आलावा यहां वार्षिक रथ यात्रा और फालापूजा उत्सव पर भी बड़ी धूम रहती है.
विरुपाक्ष मंदिर के आसपास के मंदिर- पूरा हम्पी क्षेत्र मंदिरों, उत्कृष्ट कलाकृतियों और उनके खंडहरों से भरा पड़ा है. इसलिए यहां देखने और आश्चर्यचकित होने के लिए बहुत कुछ है. विरुपाक्ष मंदिर के आसपास के कुछ प्रमुख मंदिर हैं-
विट्ठल मंदिर (Vitthal Temple, Hampi)- यह मंदिर हम्पी के सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक है. यह मंदिर अपने संगीतमय पत्थरों के रथ और खंभों (Musical stone chariots and Pillars) के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर की वास्तुकला बेहद जटिल और अपने आप में अद्भुत है. यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के एक रूप भगवान विट्ठल को समर्पित है.
चंद्रमौलेश्वर मंदिर (Chandramouleshwara Temple)- हम्पी के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक जटिल नक्काशीदार चंद्रमौलेश्वर मंदिर 900 साल पुराना मंदिर है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है.
बदावी शिवलिंग (Badavi Shivling)- यह हम्पी के खंडहरों में सबसे बड़ा शिवलिंग है. यह शिवलिंग एक कक्ष के अंदर स्थित है और गर्भगृह हमेशा पानी से भरा रहता है. इस शिवलिंग पर तीन आंखें खुदी हुई हैं जो भगवान शिव की तीन आंखों का प्रतिनिधित्व करती हैं.
अच्युतराय मंदिर (Achyutaraya Temple)- इस मंदिर को वास्तुकला का चमत्कार कहा जाता है. यह मंदिर भगवान विष्णु के एक रूप भगवान तिरुवेंगलनाथ को समर्पित है.
अंजयनाद्री पहाड़ी (Anjanadri Hill, Hampi)- भगवान हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है. यह छोटा सा मंदिर हम्पी से करीब 5 किमी की दूरी पर है. कहा जाता है कि यहां हनुमान जी का जन्म हुआ था. यह मंदिर पूरे देश में महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है.
कोडंदरामा मंदिर (Kodandarama Temple)- विरुपाक्ष मंदिर के पास यह वह स्थान है, जहां भगवान श्रीराम ने सुग्रीव का राजतिलक किया था.
पम्पा सरोवर (Pampa Sarovar)- तुंगभद्रा नदी से दक्षिण में हनुमान मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ियों के बीच पम्पा सरोवर (Pampa Sarovar) स्थित है, जहां का पता शबरी ने भगवान श्रीराम जी को बताया था. इस सरोवर का उल्लेख भागवत पुराण में भी किया गया है. कहा जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव तपस्या कर चुके हैं. इस सरोवर के आसपास बहुत सारे सुंदर कमल के फूल देखने को मिलते हैं.
बादामी गुफा मंदिर (Badami Cave Temple)- बादामी के विश्व प्रसिद्ध गुफा मंदिर हम्पी से 100 किमी दूर स्थित हैं. मालाप्रभा नदी के तट पर स्थित पांच गुफा मंदिरों का यह ऐतिहासिक समूह 578 ईस्वी पूर्व का है. सुंदर गुफा मंदिर उल्लेखनीय वास्तुकला प्रदर्शित करते हैं और मूर्तिकला और निर्माण की चालुक्य शैली का अनुसरण करते हैं. ये मंदिर दुनिया के सबसे पुराने ज्ञात मंदिरों में से हैं. गुफा 1, 2 और 3 भगवान शिव और भगवान विष्णु को समर्पित हैं.
पट्टाडकल मंदिर (Pattadakal Temple)- मंदिरों का पट्टाडकल समूह हम्पी से 97 किमी दूर स्थित है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और लगभग 740 ईस्वी में बनाया गया था. मंदिर का निर्माण रानी लोकमहादेवी ने पल्लवों पर अपने पति विक्रमादित्य की जीत के उपलक्ष्य में किया था.
मंदिरों का एक एहोल समूह (Aihole Group of Temples)- हम्पी से लगभग 140 किमी दूर स्थित मंदिरों के एहोल समूह में चालुक्य काल के तहत बनाए गए लगभग 125 मंदिर हैं.
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