Why are Planets Round
सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करने वाले खगोलीय पिंडों को ग्रह (Planets) कहते हैं. अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (International Astronomical Union-IAU) के अनुसार, फिलहाल हमारे सौरमंडल में ग्रहों की संख्या 8 है. सूर्य से उनकी दूरी के क्रम में वे हैं-
बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून.
• बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल- ये ग्रह सूर्य के बेहद करीब हैं और चट्टानों से बने हैं. इन्हें आंतरिक ग्रह (Inner Planets) और चट्टानी ग्रह भी कहा जाता है.
• बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून बाह्य और गैसीय ग्रह कहलाते हैं. ये सूर्य से बहुत दूर गैसों और तरल पदार्थों से बने विशाल ग्रह हैं.
• इनके अतिरिक्त तीन बौने ग्रह और हैं – प्लूटो, सीरीस और एरीस.
• जो ग्रह हमारे सूर्य की बजाय किसी और तारे की परिक्रमा करते हैं, उन्हें एक्सोप्लैनेट (Exoplanets) कहते हैं.
• क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉयड) कई छोटे-छोटे पिंड हैं और सूर्य के चारों ओर घूमते हैं. ये मुख्य रूप से मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच पाए जाते हैं. इनका कोई निश्चित आकार नहीं है, यानी ये किसी भी आकार के हो सकते हैं.
ग्रहों से जुड़े अन्य तथ्य
बुध- हमारे सौर मंडल का सबसे छोटा ग्रह और सूर्य के सबसे निकट.
शुक्र- हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह.
पृथ्वी- हमारे सौरमंडल का एकमात्र ग्रह जिस पर जीवन है.
बृहस्पति- हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह.
शनि- हमारे सौरमंडल का ऐसा अद्वितीय ग्रह जिसके पास सबसे सुंदर छल्ले हैं.
अरुण (यूरेनस)- हमारे सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह.
वरुण (नेप्च्यून)- हमारे सौरमंडल में सूर्य से सबसे दूर का ग्रह.
प्लूटो- सबसे बड़ा बौना ग्रह.
सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह (Largest Asteroid)- वेस्टा, जो मंगल और बृहस्पति के बीच एस्टेरॉयड बेल्ट में स्थित है.
• हमारे सौरमंडल का सबसे ऊंचा पर्वत (ओलंपस मॉन्स), सबसे बड़ी घाटी (वैलेस मेरिनेरिस) और सबसे बड़ा गड्ढा (यूटोपिया प्लैनिटिया) मंगल ग्रह पर है.
• हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा (उपग्रह)– गेनीमेड जो कि बृहस्पति की परिक्रमा करता है.
सभी ग्रह गोलाकार हैं (All planets are round)
हमारे सौरमंडल के सभी आठों ग्रह आकार, रंग, रूप और गुणों में एक-दूसरे से काफी भिन्न हैं. वे सूर्य से अलग-अलग दूरी पर हैं. कुछ ग्रह छोटे और पथरीले होते हैं, और अन्य बड़े और गैसीय होते हैं. लेकिन सभी ग्रह गोल हैं. हालांकि, कुछ ग्रह पूर्ण रूप से गोल नहीं हैं, लेकिन सभी ग्रह गोलाकार हैं.
जैसे शनि और बृहस्पति बीच में थोड़े मोटे हैं. इस अतिरिक्त चौड़ाई को ‘विषुवतीय उभार’ कहते हैं. यानी यदि आप ध्रुव के व्यास की तुलना भूमध्य रेखा के व्यास से करते हैं, तो यह समान नहीं है. ये ग्रह कंचे की तरह पूरी तरह गोल होने के बजाय उन बास्केटबॉल की तरह हैं, जो किसी के बैठने पर नीचे दब जाते हैं. शनि हमारे सौरमंडल के सभी ग्रहों में सबसे अधिक उभरा हुआ है. शनि मध्य के चारों ओर 10.7% मोटा है, जबकि बृहस्पति मध्य के चारों ओर 6.9% मोटा है.
पृथ्वी और मंगल छोटे हैं और बड़े गैसीय ग्रहों जैसे शनि, बृहस्पति की तरह बहुत तेजी से नहीं घूमते हैं. पृथ्वी और मंगल भी पूर्ण गोल नहीं हैं, लेकिन वे शनि और बृहस्पति से ज्यादा गोल हैं. पृथ्वी बीच में 0.3% मोटी है, और मंगल बीच में 0.6% मोटा है. इसी प्रकार यूरेनस और नेप्च्यून भी पूरी तरह गोल नहीं हैं, लेकिन काफी गोल हैं. बुध और शुक्र सबसे गोल हैं. वे कंचों की तरह लगभग पूर्ण गोल हैं. लेकिन ऐसा क्यों?
कोई भी ग्रह क्यूब्स, पिरामिड या डिस्क के आकार के क्यों नहीं होते हैं?
इस सवाल का जवाब है – गुरुत्वाकर्षण (Gravity).
गुरुत्वाकर्षण के कारण सभी ग्रह गोल हैं. गुरुत्वाकर्षण किनारे की सभी सामग्री को केंद्र के चारों ओर समान रूप से इकट्ठा करने का कारण बनता है. किसी ग्रह का गुरुत्वाकर्षण केंद्र से किनारों को, या सभी तरफ से समान रूप से खींचता है. यह एक ग्रह के समग्र आकार को गोलाकार बनाता है, जो एक त्रि-आयामी चक्र (Three-dimensional circle) है.
वैज्ञानिकों की स्टडी के मुताबिक, ग्रहों का निर्माण तब होता है जब अंतरिक्ष में कोई सामग्री या कोई पिंड आपस में टकराते हैं. कुछ काल के बाद इनमें गुरुत्वाकर्षण की अच्छी मात्रा रखने के लिए पर्याप्त सामग्री होती है. यही वह बल है जो अंतरिक्ष में सभी पिंडों को एक साथ रखता है, या सभी पिंडों को एक-दूसरे से जोड़े रखता है. जब किसी बड़े ग्रह का निर्माण होने लगता है तो वह उस तारे के चारों ओर अपना रास्ता साफ करना शुरू कर देता है जिसकी वह परिक्रमा करता है.
ग्रह होने के लिए आवश्यक शर्तें-
अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने साल 2006 में ग्रहों की नई परिभाषा दी, जिसके अनुसार ग्रह वे हैं-
• जो सूर्य के चारों तरफ परिक्रमा करते हैं,
• जिनका आकार लगभग गोल ही होता है या जो गोलाकार हों,
• जिनका अपना गुरुत्वाकर्षण बल होता है,
• जिनके आसपास का क्षेत्र साफ-सुथरा हो यानी उनके आसपास अन्य खगोलीय पिंडों की भीड़-भाड़ ना हो.
अब जैसे प्लूटो ने अपने कक्षीय मार्ग को साफ नहीं किया, यानी उसके आसपास अन्य खगोलीय पिंडों की भरमार है, जिसके कारण उससे ग्रह होने का दर्जा छीन लिया गया और उसे बौने ग्रहों (Dwarf Planets) की कैटेगरी में डाल दिया गया.
Read Also :
Copyrighted Material © 2019 - 2024 Prinsli.com - All rights reserved
All content on this website is copyrighted. It is prohibited to copy, publish or distribute the content and images of this website through any website, book, newspaper, software, videos, YouTube Channel or any other medium without written permission. You are not authorized to alter, obscure or remove any proprietary information, copyright or logo from this Website in any way. If any of these rules are violated, it will be strongly protested and legal action will be taken.
Be the first to comment