Guava Health Benefits
अमरूद (Guava or Amrood) सर्दियों का एक लोकप्रिय और सस्ता फल है. यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है. इसमें पित्तनाशक गुण होते हैं इसलिए यह बहुत उपयोगी है. अमरूद का प्राचीन संस्कृत नाम ‘अमृत’ या ‘अमृतफल’ है. वाराणसी में तो अभी भी कई जगहों पर इसे ‘अमृत’ ही बुलाया जाता है. अमरूद का स्वाद खट्टा-मीठा और फीका तीनों तरह का होता है. स्वादिष्ट होने के साथ-साथ अमरूद में औषधीय गुण भी होते हैं. यह कई तरह की बीमारियों को दूर करने में मदद करता है.
अमरूद की खेती (Cultivation of Guava)
अमरूद भारत की जलवायु में इतना घुला-मिला हुआ है कि यहां इसकी खेती बहुत ही आसानी से की जाती है. किसी भी प्रकार की मिट्टी और जलवायु में अमरूद की खेती की जा सकती है. अमरूद हर प्रकार की जमीन में उगाया जा सकता है. इसे क्षाररहित, ऊंची, पहाड़ी, कुछ सख्त जमीन अनुकूल पड़ती है.
जिस जमीन में बारिश का पानी भर जाता हो, ऐसी जमीन अमरूद के पेड़ के लिए ठीक नहीं होती, क्योंकि बारिश का पानी भरा रहने पर इसके पौधे सूखने लगते हैं. पीली मिट्टी वाली जमीन इसके लिए बहुत ही अनुकूल रहती है. नदी की बाढ़ से जमा होने वाली उपजाऊ जमीन में अमरूद का पेड़ खूब फलता-फूलता है. गोबर की सड़ी हुई खाद या कंपोस्ट देने से बहुत लाभ होता है.
अमरूद के पेड़ (Guava Tree)
अमरूद की बोआई बीज में से पनीरी करके या कलम करके की जाती है. इसके पौधे मध्यम कद के 10-12 फीट की ऊंचाई के होते हैं. इसकी जड़ें जमीन की बहुत गहराई में नहीं जातीं. शाखाओं के दोनों तरफ पत्ते लगते हैं. ये पत्ते शुरुआत में नोंकदार होते हैं, लेकिन जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, उनकी नोक कम होती जाती हैं. पत्ते मोटे, ऊपर की ओर मुलायम और नीचे की ओर कुछ खुरदरे और नसों वाले होते हैं.
बीज से पनीरी करके उगाए हुए अमरूद के फल छोटे, ज्यादा बीज वाले और कम गूदेदार होते हैं, जबकि कलम करके लगाए गए अमरूद अपेक्षाकृत बड़े, कम बीज वाले और ज्यादा और मुलायम गूदे वाले होते हैं. पनीरी करके उगाए हुए पौधे करीब 3-4 सालों में फल देते हैं, जबकि कलम करके उगाए हुए पौधे दूसरे साल में ही फल देने लगते हैं और ये फल भी ज्यादा मीठे होते हैं. इलाहाबाद बनारस और लखनऊ के आसपास अमरूद की कलमें बहुत प्रसिद्ध हैं. एक पेड़ करीब 30 सालों तक आसानी से फल देता रहता है.
अमरुद की दो किस्में होती हैं- सफेद गूदे वाले और गुलाबी गूदे वाले अमरूद. सफेद किस्म ज्यादा मीठी होती है.
अमरूद के फायदे (Benefits of Guava)
अमरूद में विटामिन सी, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, ग्लूकोज, टेनिन एसिड और ऑक्सलेट के कण होते हैं. अमरूद वात और पित्त का नाशक, कृमि, तृषा, दाह, भ्रम, उत्तेजना, पागलपन और मूर्छा को दूर करने वाला और वीर्यवर्धक भी है.
लोग अमरूद को भी कई तरह से कहते हैं- अमरूद को काटकर काले नमक और मिर्च के साथ, या उसकी सब्जी बनाकर, या उसे भूनकर या उसका जैम बनाकर आदि.
अमरूद का साग या सब्जी बनाकर खाने से कब्ज में आराम होता है. अमरूद को भूनकर खाने से यह ठंडा कम करता है. कुछ लोग अमरूद को भूनकर, उसका भर्ता बनाकर उसमे गुड़ मिलाकर खाते हैं.
कुछ दिनों तक दोपहर के समय काले नमक और काली मिर्च के साथ अमरूद का सेवन करने से मलशुद्धि होती है और कब्ज में आराम होता है.
अमरूद सटीक और बुद्धि और याददाश्त बढ़ाने वाला फल है, इसलिए छात्रों के लिए यह अच्छा फल कहा जाता है. गर्मियों में बुखार और कब्ज होने पर भी लोग इसका सेवन करते हैं.
अमरूद के पत्तों के काढ़े से कुल्ले करने से मसूढ़ों की सूजन और मुंह की गंदगी दूर होती है. अमरुद के पेड़ की छाल का क्वाथ जीर्ण अतिसार में फायदेमंद बताया जाता है.
हरे कच्चे अमरूद को थोड़े से पानी के साथ पत्थर पर पीसकर सुबह माथे पर, जहां दर्द हो, वहां लेप करने से आधासीसी में आराम होता है. अगर एक दिन में पूरा आराम न हो, तो दूसरे दिन भी यही करें.
अमरूद के सेवन में सावधानियां
बेशक अमरूद बहुत सेहतमंद फल है. लेकिन इसका सेवन उचित मात्रा में और सही समय पर किया जाना चाहिए.
अमरूद की तासीर बहुत ठंडी होती है, अतः गलत तरीके से खाने से यह कफ, वायु, दस्त और बुखार का कारण भी बन सकता है.
इसलिए अमरूद को खाने का सबसे अच्छा समय दोपहर का है. आप भोजन के समय या भोजन के एक-दो घंटे बाद अमरूद का सेवन कर सकते हैं. इससे शरीर को जरूरी तत्व मिल जाते हैं.
अमरूद को खाली पेट खाने से या ज्यादा मात्रा में खाने से ये गैस करते हैं, दस्त लग सकते हैं और बुखार भी आ सकता है. अमरूद के बीज कब्ज करते हैं.
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