How Rainbow is Formed
आसमान में दिखाई देने वाला इंद्रधनुष (Rainbow) बारिश की बूंदों का कमाल है. सूर्य (Sun) में सात रंग हैं- बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी और लाल. इन सातों रंगों को मिलाने पर सफेद रंग प्राप्त होता है. सूर्य का प्रकाश हमें सफेद दिखाई देता है, लेकिन इस सफेद रंग में छिपे सातों रंगों को हम प्रिज्म (Prism) के जरिए देख सकते हैं. बारिश के मौसम में दिखाई देने वाला इंद्रधनुष प्रकृति का एक प्रिज्म ही है.
सूर्य की रोशनी की किरण जब प्रिज्म से होकर गुजरती है तो सात रंगों में बंट जाती है, ठीक उसी तरह सूर्य का प्रकाश जब पानी की बूंदों से होकर गुजरता है, तो वह सात रंगों में टूटकर हमें ‘इंद्रधनुष’ के रूप में दिखाई देता है- लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, और बैंगनी रंग का चाप (Arcs). यह सूर्य की विपरीत दिशा में और ज्यादातर सूर्योदय या सूर्यास्त के आगे-पीछे दिखता है.
गोल-गोल इंद्रधनुष आधा ही नजर क्यों आता है?
इंद्रधनुष हमेशा एक छोर से दूसरे छोर तक आधा गोल नजर आता है, लेकिन असल में ये पूरा गोल होता हैं. इंद्रधनुष का आधा गोल नजर आने की वजह है- पृथ्वी का गोल आकार. पृथ्वी के गोल आकार की वजह से ही इंद्रधनुष का लगभग आधा भाग हमें नजर ही नहीं आता और हम इंद्रधनुष का केवल ऊपरी भाग ही देख पाते हैं. लेकिन अगर हम हवाई जाहज में सफर कर रहे हों और उसी समय इंद्रधनुष बना हुआ है तो हो सकता है कि वह हमें पूरे गोल आकार में नजर आ जाए.
इंद्रधनुष के लिए जरूरी है बारिश और सूर्य का प्रकाश
इंंद्रधनुष हमेशा शाम के समय पूर्व दिशा में और सुबह के समय पश्चिम दिशा में दिखाई देता है. इंद्रधनुष न साफ मौसम में दिखता है और न ही सूर्य के छिपे रहने पर. इसके बनने के लिए बारिश और सूर्य का प्रकाश, दोनों जरूरी हैं. बारिश के मौसम में हवा में पानी की कुछ मात्रा छोटी-छोटी बूंदों के रूप में होती है. ये बूंदें इतनी छोटी होती हैं कि वे बारिश बनकर नीचे नहीं गिरतीं, बल्कि हवा में ही तैरती रहती हैं. इन्हीं बूंदों से जब सूर्य का प्रकाश टकराता है, तो अपने सातों रंगों में बंटकर वह हमें इंद्रधनुष के रूप में दिखाई पड़ता है.
सूर्य के हर एक रंग की तरंग दैर्ध्य (Wave Length) भी अलग-अलग होती है. सबसे ज्यादा तरंग दैर्ध्य बैगनी रंग की होती है और सबसे कम लाल रंग की, इसी अंतर की वजह से इंद्रधनुष में इन रंगों की जगह और मोटाई भी तय हो जाती है. जैसे- इंद्रधनुष में लाल रंग सबसे ऊपर और बैंगनी रंग सबसे नीचे होता है, साथ ही बैंगनी रंग कम नजर आता है. कोई भी दो व्यक्ति एक जैसा इंद्रधनुष नहीं देख नहीं सकते. अलग-अलग जगहों पर खड़े दो व्यक्तियों को इंद्रधनुष भी अलग-अलग नजर आता है, लेकिन ये अंतर पता नहीं चलता.
क्या एक से ज्यादा इंद्रधनुष भी नजर आ सकते हैं?
कई बार ऐसा होता है कि एक नहीं बल्कि दो-दो इंद्रधनुष दिखाई देते हैं. ऐसा तब होता है जब एक ही जगह मौजूद पानी की बूंदें बार-बार धूप के संपर्क में आती हैं. पहले इंद्रधनुष से निकलीं रंगीन रोशनी जैसे ही सफेद में बदलती है, वैसे ही उसका संपर्क पानी की दूसरी बूंदों से हो जाता है और फिर प्रकाश अलग-अलग रंगों में बिखर जाता है, लेकिन उसके रंग उल्टे क्रम में होते हैं. इसीलिए दूसरे इंद्रधनुष के रंग, पहले इंद्रधनुष के रंगों के बिल्कुल विपरीत होते हैं. जैसे पहले इंद्रधनुष में लाल रंग सबसे ऊपर और बैंगनी रंग सबसे नीचे होता है, वहीं दूसरे इंद्रधनुष में बैंगनी रंग सबसे ऊपर और लाल रंग सबसे नीचे दिखाई देगा.
पृथ्वी के आलावा और कहां निकलता है इंद्रधनुष?
हमारे सौरमंडल में पृथ्वी के आलावा टाइटन (Titan) भी ऐसी जगह है, जहां इंद्रधनुष बनता है. टाइटन शनि ग्रह (Saturn) का एक उपग्रह है, जिस पर वैज्ञानिक भविष्य में जीवन की संभावना भी देख रहे हैं. टाइटन पर इंद्रधनुष तब बनता है, जब सूर्य की किरणें तरल मीथेन की बूंदों (Liquid Methane) से होकर गुजरती हैं. पृथ्वी पर इंद्रधनुष का कोण 42 डिग्री होता है, वहीं टाइटन पर इसका कोण 49 डिग्री होता है. पृथ्वी पर ज्यादातर इंद्रधनुष झरनों के आसपास या भूमध्य रेखा के पास वाले इलाकों में दिखाई देते हैं.
इंद्रधनुष को ‘इंद्रधनुष’ क्यों कहा जाता है?
इंद्रधनुष शब्द लैटिन भाषा के ‘Arcus Pluvius’ शब्द से लिया गया है, जिसका मतलब है ‘बारिश की चाप’. अब एक सवाल आता है कि इंद्रधनुष का नाम ‘इंद्रधनुष’ ही क्यों रखा गया? इस पर लोगों ने बड़े दिलचस्प जवाब दिए हैं. कुछ लोगों ने कहा कि “देवताओं के राजा इंद्र बारिश के तीर आसमान से मारते हैं, जिसके बाद ही इंद्रधनुष निकलता है. शायद इसीलिए ये नाम रखा होगा.” वहीं, किसी अन्य ने कहा कि “इंद्रधनुष का आकार एक धनुष की तरह होता है और ये बारिश के मौसम में ही निकलता है और बारिश के देवता इंद्र हैं. इंद्र का साम्राज्य आसमान भर में फैला है. धनुष आकार वाली सतरंगी और आकर्षक आकृति की सुंदरता को देखकर कहा गया होगा कि कि ये तो इंद्र का धनुष है, इसलिए है ये इंद्रधनुष.”
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