What is Aurora Borealis : आकाश का खूबसूरत प्राकृतिक लाइटिंग शो ऑरोरा, यह कहाँ और कैसे बनता है?

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What is Aurora

What is Aurora Borealis or Northern Lights (Facts)

यदि आप कभी उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव (North or South Pole) के पास हों, तो आप वहां अक्सर आसमान में खूबसूरत लाइटिंग शो देख सकते हैं. इन खूबसूरत रोशनी या इस प्राकृतिक प्रकाश प्रदर्शन को अरोरा (Aurora) कहा जाता है. सामान्यतौर पर रात के समय या सुबह होने से ठीक पहले पृथ्वी के दोनों ध्रुवों अर्थात दक्षिणी और उत्तरी ध्रुव के आसमान में हरे, लाल और नीले रंग के मिश्रण से उत्पन्न प्रकाश को ऑरोरा कहते हैं.

उत्तरी ध्रुव में इस ध्रुवीय ज्योति को सुमेरु ज्योति या अरोरा बोरेलिस या उत्तरी रोशनी (Aurora Borealis or Northern Lights) कहा जाता है, और दक्षिणी ध्रुव में इस ध्रुवीय ज्योति को कुमेरु ज्योति या ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस या दक्षिणी रोशनी (Aurora Australis or Southern Lights) कहा जाता है. अरोरा का रंग ऊंचाई और इसमें शामिल परमाणुओं के प्रकार के आधार पर अलग-अलग होता है.

ऑरोरा रात के आकाश में चमकती रंगीन रोशनी का एक अलौकिक प्रदर्शन है. इस चमकदार घटना के दौरान रंगीन प्रकाश की धाराएँ लाल, हरे, पीले, गुलाबी और बैंगनी रंग में दिखाई देती हैं. तो इसे आप पृथ्वी के वायुमंडल (Earth’s Atmosphere) में होने वाला एक प्राकृतिक प्रकाश उत्सव भी कह सकते हैं. इस अद्भुत प्राकृतिक नजारे को विश्व के आश्चर्यों में गिना जाता है. नीली, लाल, पीली, हरी और नारंगी बत्तियाँ धीरे-धीरे बदलती हैं और धीरे-धीरे उड़ने वाले पर्दों की तरह आकार लेती हैं.

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इस रंगीन प्रकाश को ‘ऑरोरा’ नाम क्यों दिया गया?

1619 में, खगोलशास्त्री गैलीलियो गैलीली ने ‘ऑरोरा बोरेलिस’ शब्द गढ़ा. ‘ऑरोरा’ शब्द भोर की रोमन देवी ‘ऑरोरा’ के नाम से बना है, और ‘बोरेलिस’ शब्द ग्रीक देवता के नाम ‘बोरियास’ से लिया गया है. फिनलैंड में, ऑरोरा बोरेलिस को ‘रेवोंट्यूलेट’ (Raventulet or Fire Fox) कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘लोमड़ी की आग’ है. एक फिनिश लोककथा के अनुसार, रोशनी एक जादुई लोमड़ी द्वारा अपनी पूंछ को बर्फ पर घुमाने और आकाश में चिंगारी भेजने के कारण होती है. नॉर्स माइथोलॉजी (Norse Mythology) में, अरोरा आकाश में देवताओं द्वारा बनाया गया एक अग्निपुल है.

ऑरोरा बनने की वजह क्या है (Why and how is Aurora formed)?

अरोरा केवल रात में दिखाई देते हैं, लेकिन वास्तव में ये सूर्य के कारण होते हैं. ये आमतौर पर केवल निचले ध्रुवीय क्षेत्रों में दिखाई देते हैं. वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया है कि ऑरोरा की उत्पत्ति इलेक्ट्रॉन और प्लाज्मा तरंगों के आपस में मिलने से होती है. इलेक्ट्रॉन और प्लाज्मा तरंगों के आपस में मिलने की यह प्रक्रिया पृथ्वी के बाहरी वातावरण के मैग्नेटोस्फेयर (Magnetosphere of the Earth’s) में होती है. मैग्नेटोस्फेयर के इलैक्ट्रिक कण पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र से नियंत्रित होते हैं.

क्या अन्य ग्रहों पर भी बनते हैं अरोरा (Do auroras form on other planets too)?

अरोरा कोई ऐसी चीज नहीं है जो केवल पृथ्वी पर घटित होती है. मजबूत चुंबकीय क्षेत्र वाले ग्रहों में अरोरा रोशनी की संभावना हमेशा बनी रहती है. यदि किसी ग्रह पर वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र है, तो संभवतः उसमें ध्रुवीय किरणें (Auroras) होंगी.

बृहस्पति और शनि (Jupiter and Saturn) के पास विशाल चुंबकीय क्षेत्र हैं जो पृथ्वी की तुलना में बहुत अधिक मजबूत हैं, और इसलिए इन पर भी अद्भुत अरोरा देखे जा चुके हैं. इन दोनों ग्रहों में व्यापक रेडिएशन बेल्ट हैं जो उन्हें भारी मात्रा में सौर हवाओं (Solar Wind) को आयनित करने की अनुमति देती हैं.

हबल स्पेस टेलीस्कोप, कैसिनी और गैलीलियो सैटेलाइट्स ने बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून पर ऐसी ऑप्टिकल घटनाएं देखी हैं. शुक्र और मंगल (Venus and Mars) पर भी औसत से कम ध्रुवीय रोशनी देखी गई है. शुक्र ग्रह पर चुंबकीय क्षेत्र लगभग शून्य है. यहां अरोरा तब होता है जब सौर हवाओं के इलेक्ट्रॉन कण रात के वातावरण के साथ संपर्क करते हैं.

ऑरोरा बनने की प्रक्रिया (Process of Aurora Formation)

सूर्य हमें गर्मी और प्रकाश के अतिरिक्त बहुत सी अन्य ऊर्जा और छोटे-छोटे कण भी भेजता रहता है, लेकिन पृथ्वी के चारों ओर का सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र (Protective Magnetic Field) हमें सूर्य की इस अतिरिक्त ऊर्जा और कणों से बचाता रहता है, और हमें इसका पता भी नहीं चलता. लेकिन कभी-कभी इन कणों की एक बड़ी धारा पृथ्वी तक पहुँचती है और हमारे वायुमंडल के बाहरी छोर पर गैसों के साथ परस्पर क्रिया करती है. इन कणों के वायुमंडल से टकराने से प्रकाश के रूप में ऊर्जा निकलती है, जिससे आकाश में प्रकाश की धाराएँ बनती हैं, जिन्हें औरोरा कहा जाता है.

दूसरे शब्दों में,
जब कोई सौर तूफान (Solar Storm) हमारी पृथ्वी की ओर आता है, तो उसकी कुछ ऊर्जा और छोटे कण उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं से नीचे पृथ्वी के वायुमंडल में चले जाते हैं. वहां, कण हमारे वायुमंडल में गैसों के साथ संपर्क करते हैं जिसके परिणामस्वरूप आकाश में प्रकाश का सुंदर प्रदर्शन होता है. ऑक्सीजन से हरी और लाल रोशनी निकलती है. ऑरोरा में ऑक्सीजन और नाइट्रोजन सहित अन्य गैसें और कण शामिल होते हैं. नाइट्रोजन गैस नीले और बैंगनी रंग में चमकती है.

अन्य शब्दों में,
कभी-कभी सूर्य की सतह से परमाणुओं का तूफान इतनी तेजी से निकलता है कि सूर्य की चुंबकीय शक्ति को भी पार कर जाता है और अंतरिक्ष में चला जाता है, इसे सौर ज्वाला (Solar Flame) कहते हैं. जब ये सौर ज्वालाएं पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं, तो हवा के कणों से टकराकर रंगीन प्रकाश पैदा करती हैं, जिन्हें ‘अरोरा’ कहते हैं. अरोरा पर वैज्ञानिक शोध से हमें पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर, सौर-स्थलीय संपर्क और अंतरिक्ष मौसम को समझने में मदद मिलती है.

आप ऑरोरा को कहाँ-कहाँ देख सकते हैं (Where can auroras be seen)

अरोरा बोरेलिस अलास्का, कनाडा, आइसलैंड, ग्रीनलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड और रूस जैसे आर्कटिक सर्कल के केंद्र के करीब से दिखाई देता है. एक भू-चुंबकीय तूफान अरोरा का विस्तार कर सकता है, जिससे अरोरा निचले अक्षांशों पर आ सकता है. दुनिया में सबसे अधिक देखी जाने वाली ऑरोरा बोरेलिस साइटों में से कुछ हैं-

स्वालबार्ड, नॉर्वे
काकस्लॉटनेन, फिनलैंड
जुक्कसजर्वी, स्वीडन
रेकजाविक, आइसलैंड
सेंट पीटर्सबर्ग, रूस
उत्तरी कनाडा
स्कॉटलैंड, यूनाइटेड किंगडम.

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LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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