What are Plateaus : पठार क्या हैं और ये कैसे बनते हैं? विश्व और भारत के प्रमुख पठार

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पठार क्या हैं (What are Plateaus)

पठार क्या हैं (What are Plateaus)

पठार (Plateaus) धरातल के ऊंचे उठे वे भाग हैं, जो उल्टे तवे के समान होते हैं. पठार धरातल पर द्वितीय श्रेणी के उच्चावच (धरातल की ऊँचाई-निचाई से बनने वाले प्रतिरूप या आकार) हैं. प्रायः इन्हें मेज के आकार की भू-आकृति भी कहा जाता है. सम्पूर्ण धरातल के 33 प्रतिशत भाग पर इनका विस्तार पाया जाता है.

पठार ऊंचाई में पर्वतों से कम और मैदानों से अधिक होते हैं. इनका विस्तार मैदानों से कम होता है. कभी-कभी पठार पर्वतों से ऊंचे और मैदानों से नीचे भी हो सकते हैं. जैसे USA का पीडमॉण्ट पठार, जो समीपवर्ती विशाल मैदान से नीचा है, जबकि एशिया में तिब्बत का पठार (Tibetan plateau) अपने समीपवर्ती पर्वतों से भी ऊंचा है.

या

पठार उठी हुई और सपाट भूमि होते हैं. ये आसपास के क्षेत्रों से ज्यादा उठे हुए होते हैं और इनका ऊपरी भाग मेज के समान सपाट दिखाई देता है. किसी पठार के एक या एक से अधिक किनारे होते हैं, जिनके ढाल खड़े हुए होते हैं. पठारों की ऊंचाई आमतौर पर कुछ सौ मीटर से लेकर कई हजार मीटर तक हो सकती है. पर्वतों की तरह पठार भी नए और पुराने हो सकते हैं. भारत में दक्कन का पठार (Deccan Plateau) पुराने पठारों में से एक है.

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पठार बहुत उपयोगी होते हैं, क्योंकि उनमें खनिज (Minerals) प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यही कारण है कि विश्व के बहुत से खनन क्षेत्र (Mining Areas) पठारी भागों में मिलते हैं. अफ्रीका का पठार सोना और हीरों के खनन के लिए प्रसिद्ध है. भारत में छोटानागपुर के पठार में लोहा, कोयला, मैंगनीज आदि के बहुत बड़े भंडार पाए जाते हैं.

पठारी क्षेत्र में बहुत से जलप्रपात (प्राकृतिक झरने) भी हो सकते हैं, क्योंकि यहां नदियां ऊंचाई से गिरती हैं. भारत में छोटा नागपुर पठार पर स्वर्णरेखा नदी पर स्थित हुंडरू जलप्रपात और कर्नाटक में जोग जलप्रपात इस प्रकार के जलप्रपातों के उदाहरण हैं. लावा पठार में काली मिट्टी प्रचुर मात्रा में है, जो बहुत उपजाऊ है और खेती के लिए बहुत अच्छी होती है. कई पठारों में देखने योग्य स्थल होते हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.

विश्व के प्रमुख पठार (Major plateaus of the world)-

• पामीर का पठार
• तिब्बत का पठार
• कोलंबिया का स्नेक पठार
• USA का कोलोरैडो पठार
• USA का पीडमॉण्ट पठार
• मंगोलिया का पठार
• एशिया माइनर का पठार
• दक्कन का पठार (भारत)
• अरब का पठार
• कटंगा पठार (कांगो के दक्षिणपूर्वी लोकतांत्रिक गणराज्य)
• अनातोलिया का पठार (तुर्की))
• यूनान का पठार
• आस्ट्रेलिया का किम्बरली पठार
• मेडागास्कर का पठार
• मस्कारेने पठार या द्वीप (हिन्द महासागर)
• अबीसीनिया का पठार
• लोयस पठार (चीन)
• ब्राजील का पठार
• लारेंशियन पठार या कैनेडियन शील्ड (कनाडा)
• मेसेटा का पठार
• अल्टिप्लानो पठार (बोलीविया)
• मैक्सिको का पठार
• चियापास का पठार
• पेटागोनिया पठार (अर्जेंटीना)
• अलास्का का पठार
• सेंट्रल मासिफ पठार (फ्रांस)
• पोटोहर पठार (पूर्वोत्तरी पाकिस्तान)
• बवेरियन पठार (जर्मनी)

भारत के प्रमुख पठार (Major plateaus of India)

• छोटानागपुर का पठार
• राँची का पठार
• दक्कन का पठार
• हजारीबाग का पठार
• कोडरमा का पठार
• मालवा का पठार
• मेघालय या शिलांग का पठार
• विंध्य पठार
• तेलंगाना का पठार
• बुंदेलखंड का पठार
• बघेलखंड का पठार
• झुनिया का पठार

दुनियाभर में कुछ प्रसिद्ध पठार-

दक्कन का पठार (भारत) – यह पठार पूरे दक्षिण भारत को कवर करते हुए 8 भारतीय राज्यों तक फैला हुआ है. तीन पर्वत श्रृंखलाएँ इसकी सीमा बनाती हैं.

छोटानागपुर पठार (भारत) – इस पठार में लोहा, कोयला और मैंगनीज का विशाल भंडार है.

तिब्बती पठार (चीन) – यह पठार पृथ्वी पर सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा पठार है.

कटंगा पठार (कांगो) – यह पठार तांबे की खानों के लिए प्रसिद्ध है.

पूर्वी अफ्रीकी पठार – यह पठार सोने और हीरे के खनन के लिए प्रसिद्ध है.

पठार कैसे बनते हैं (How are plateaus formed)

पठारों का निर्माण कई प्रक्रियाओं द्वारा किया जा सकता है, जिसमें ज्वालामुखी मैग्मा का ऊपर उठना, लावा का बाहर निकलना, प्लेट टेक्टोनिक्स मूवमेंट और पानी और ग्लेशियरों द्वारा क्षरण शामिल है. आमतौर पर, पठारों का निर्माण तब होता है, जब मैग्मा (चट्टानों का पिघला हुआ रूप) जो पृथ्वी के अंदर गहराई में स्थित होता है, सतह की ओर धकेलता है लेकिन क्रस्ट को तोड़ने में विफल रहता है. नतीजतन, ये मैग्मा अपने ऊपर की बड़ी और अभेद्य चट्टान को उठाने का काम करता है.

पठारों का निर्माण कई तरह से हो सकता है-

भू-गर्भिक हलचलें (Geological movements), जिनके कारण कोई समतल भू-भाग अपने समीप वाले धरातल से ऊपर उठ जाता हैं. या ऐसी हलचलें जिनके कारण समीपवर्ती भू-भाग नीचे बैठ जाते हैं और कई समतल भाग ऊपर रह जाते हैं. या ज्वालामुखी-क्रिया के समय निकले लावा के जमाव से समतल और अपेक्षाकृत उठे हुए भाग का निर्माण होता है. या पर्वतों के निर्माण के समय किसी समीपवर्ती भाग के अधिक ऊपर न उठ पाने के कारण भी पठार का निर्माण हो जाता है. कुछ पठारों का निर्माण कैसे हुआ, यह अब तक किसी को ज्ञात नहीं है.

पठारों के प्रकार (Types of plateaus)-

(1) अन्तर्जात बलों से उत्पन्न पठार (Plateau formed by endogenetic forces)
अंतरापर्वतीय पठार
पर्वतपदीय पठार
तटीय पठार
गुंबदाकार पठार
महाद्वीपीय पठार

(2) ज्वालामुखी से निर्मित पठार (Volcanic plateau)

(3) बहिर्जात बलों से निर्मित पठार (Plateau formed by exogenous forces)
जलीय पठार
वायव्य पठार
हिमानी पठार
उस्यन्त पठार

(4) जलवायु के आधार पर पठारों के प्रकार (Plateau on the basis of climate)
शुष्क पठार
आर्द्र पठार
हिम पठार

या

पठार कई तरह के होते हैं, जिनमें से प्रमुख हैं-

अंतरापर्वतीय पठार (Intermontane plateau)- ऊंचे-ऊंचे पर्वत श्रेणियों से घिरे पठारों को अंतरापर्वतीय पठार कहते हैं. विश्व के सर्वोच्च पठार अंतरापर्वतीय पठार हैं. जैसे तिब्बत, बोलीविया, पेरू, कोलंबिया और मैक्सिको के पठार.

सभी जगहों पर तिब्बत के पठार (Tibetan Plateau) को ही पामीर का पठार (Pamir Plateau) कह दिया जाता है. इसे ‘संसार की छत’ भी कहते हैं. तिब्बत (Tibet) की औसत ऊंचाई लगभग 4,900 मीटर है. यह सबसे अधिक ऊंचाई वाला सबसे बड़ा क्षेत्र है.

पामीर मध्य एशिया में स्थित एक पर्वतमाला (Mountain Range) भी है, और तिब्बत का पठार एक अन्तरापर्वतीय पठार है, यानी यह चारों तरफ से पर्वतों से घिरा हुआ है. तिब्बत का पठार मध्य एशिया में स्थित है और इसका क्षेत्रफल लगभग 25 लाख वर्ग किलोमीटर है, यानी भारत के क्षेत्रफल का करीब 75 प्रतिशत. यह दक्षिण में हिमालय पर्वतमाला से लेकर उत्तर में टकलामकान रेगिस्तान तक फैला हुआ है.

पर्वतपदीय पठार (Foothill plateau)- वे पठार जो पहाड़ों की तलहटी में स्थित होते हैं और दूसरी ओर से एक मैदान या महासागर से घिरे होते हैं. इन पठारों को पीडमॉण्ट, गिरीपदीय नामों से भी जाना जाता है. यह विशाल पर्वतों के आधार पर तलहटी में स्थित पठार हैं. इस प्रकार के पठारों में एक ओर ऊंचे पर्वत और दूसरी ओर मैदान या सागर स्थित होते हैं. जैसे USA का पीडमॉण्ट पठार, भारत का शिलांग पठार, भारत में मालवा का पठार.

ज्वालामुखीय पठार (Volcanic Plateau)- जैसा कि नाम से पता चलता है, ज्वालामुखीय पठार वे हैं जो छोटे ज्वालामुखीय विस्फोटों से बनते हैं. ज्वालामुखी विस्फोटों का लावा प्रवाह समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ता है और इस प्रकार बने पठार को ज्वालामुखीय पठार कहा जाता है. इस तरह के पठार का एक उदाहरण उत्तरी द्वीप ज्वालामुखीय पठार या न्यूजीलैंड में वेमारिनो पठार है.

विच्छेद या विभाजित पठार (Rift or divided plateau)- ऐसे पठार जो नदी और नालों द्वारा कट-फट जाते हैं, उन्हें विच्छेद या विभाजित पठार कहा जाता है. जैसे भारत में असम का पठार विच्छेद पठार है.

विच्छेदित पठार (Dissected plateau)- एक विच्छेदित पठार पृथ्वी के क्रस्ट में ऊपर की ओर गति के परिणामस्वरूप बनता है. इनका निर्माण टेक्टोनिक प्लेटों की धीमी टक्कर के कारण होता है. विच्छेदित पठार का एक उदाहरण है USA का कोलोरैडो पठार जो शुष्क घास के मैदानों, पहाड़ी जंगलों और जंगलों से आच्छादित है.

पवन द्वारा निर्मित पठार (Wind formed plateau)- पवन रेत और धूल के कणों को उड़ाकर किसी अन्य क्षेत्र में एकत्रित कर देती है, जो बाद में पठार का रूप ले लेता है, जैसे चीन का लोयस पठार.

सोपानाकार या सीढ़ीनुमा पठार (Stepped plateau)- इस प्रकार के पठारों का धरातल सीढ़ीनुमा प्रतीत होता है. भारत का विंध्य पठार सोपानाकार पठार है.

सपाट या चौरस पठार- सपाट या धरातल युक्त पठार चौरस पठार कहलाते हैं. इस प्रकार के पठार मुख्य रूप से समुद्र तल से अधिक ऊंचाई पर स्थित होते हैं, जैसे तिब्बत का पठार.

युवा पठार (Young plateau)- युवा या तरुण पठारों का धरातल निकटवर्ती मैदानी भाग से तीव्र ढाल युक्त कगारों द्वारा पृथक होता है, जैसे USA का कोलोरैडो पठार.

प्रौढ़ पठार (Mature plateau)- इन पठारों का धरातल अत्यधिक विषम होता है. इन पठारों के पार्श्वों पर वेदिकाओं, सोपानों और कंदराओं का भी विकास हो जाता है. एप्लेशियन पठार को एक प्रौढ़ पठार माना जाता है.

जीर्ण या वृद्ध पठार (Old plateau)- इस प्रकार के पठारों का अत्यधिक अपरदन होने से उस पर स्थित उच्चावच समाप्त हो जाते हैं. हालांकि पठार कहीं-कहीं कठोर चट्टानखंड टीले के रूप में शेष रह जाते हैं, जिन्हें मेस या बूटा कहा जाता है. जैसे भारत में रांची का पठार.

पुनर्युवनित पठार (Rejuvenated plateau)- जीर्ण या वृद्ध पठारों पर यदि भू-संचालन के कारण उत्थान हो जाता है, तो पठार अपनी वृद्धावस्था से अचानक युवावस्था में आ गया कहा जाता है. इसे पठार का पुनर्युवन भी कहा जाता है. जैसे USA का मिसौरी पठार, भारत (रांची) का पठार.


पठार मुख्य रूप से पर्वतीय प्रदेश, मरुस्थलीय प्रदेश, महासागरों के नीचे पाए जा सकते हैं.

भारतीय प्रायद्वीपीय पठार (Indian Peninsular Plateau)

प्रायद्वीपीय पठार पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय और कायांतरित (रूपांतरित) चट्टानों से बना एक टेबललैंड है. इसका निर्माण गोंडवाना लैंड के टूटने से हुआ है. भारतीय प्रायद्वीपीय पठार की प्रमुख विशेषताएं हैं-

• चौड़ी और उथली घाटियाँ और गोल पहाड़ियाँ,
• भारत के मध्य हाइलैंड्स और दक्कन का पठार भारतीय प्रायद्वीपीय पठार के दो मुख्य खंड हैं.
• दक्कन के पठार में भारत के पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट हैं.
• डेक्कन ट्रैप प्रायद्वीपीय पठार का एक भाग है. यह भाग ज्वालामुखीय प्रकृति का है और इसमें आग्नेय चट्टानें हैं.



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