Black Hole Facts
ब्लैक होल (Black Holes) ब्रह्माण्ड की सबसे रहस्यमय वस्तुओं में से एक है, जिनके बारे में बहुत अध्ययन किया गया है लेकिन फिर भी इन्हें समझने में सफलता नहीं मिल सकी है. ब्लैक होल वास्तव में कोई छेद नहीं हैं. वे बहुत छोटे स्थानों में पैक किए गए पदार्थ की विशाल सांद्रता हैं.
अधिकांश आकाशगंगाओं (Galaxies) के केंद्र में अतिविशाल ब्लैक होल प्रतीत होते हैं. इन महाविशाल ब्लैक होल के निर्माण और आकाशगंगाओं के निर्माण के बीच संबंध अभी भी समझ में नहीं आया है. यह संभव है कि एक ब्लैक होल ने हमारी आकाशगंगा के निर्माण में भूमिका निभाई हो, लेकिन यह मुर्गी और अंडे जैसी ही समस्या है, यानी पहले कौन आया, आकाशगंगा या ब्लैक होल? यह हमारे ब्रह्मांड की महान पहेलियों में से एक है.
ब्लैक होल अंतरिक्ष में एक अत्यंत सघन पिण्ड है जिसका गुरुत्वाकर्षण खिंचाव इतना मजबूत होता है कि प्रकाश तक इससे बाहर नहीं निकल पाता है. ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली इसलिए है क्योंकि इसका सारा पदार्थ एक छोटी सी जगह में ही सिमट गया है. आमतौर पर ऐसा तब हो सकता है जब कोई तारा मर रहा हो, यानी जब कोई तारा अपने जीवन के अंतिम चरण में हो.
चूंकि ब्लैक होल से प्रकाश भी बाहर नहीं निकल पाता है, इसलिए ब्लैक होल हमारे लिए अदृश्य हैं. हम ब्लैक होल को देख नहीं सकते. विशेष उपकरणों वाली अंतरिक्ष दूरबीनें ब्लैक होल को खोजने में मदद कर सकती हैं. वे ब्लैक होल को देख नहीं सकतीं, लेकिन ब्लैक होल के आसपास या उसके चारों ओर की गतिविधियों का पता लगा सकती हैं, जिससे ब्लैक होल की उपस्थिति का अनुमान लगाया जाता है.
यदि ब्लैक होल अदृश्य हैं, तो वैज्ञानिकों को कैसे पता चलेगा कि वे वहां हैं?
बहुत सारे पिण्ड (Celestial Body) किसी अदृश्य केंद्र के चारों तरफ एक व्यवस्था में क्यों घूम रहे हैं? कौन है जो इन सभी पिण्डों को अपने चारों ओर एक व्यवस्था में बांधे रखा है? बस ऐसे ही होती है ब्लैक होल की खोज.
जैसे आप यदि किसी सुनसान स्थान पर किसी खाली घर को देखें, तो आपको लगेगा कि यहाँ कोई नहीं रहता. लेकिन यदि आप घर के अंदर जाएँ और आपको वहां सिंक में जूठे बर्तन, खाने-पीने की चीजों के टुकड़े जो अभी खराब नहीं हुए हैं, दिखाई दें, तो आप तुरंत अंदाजा लगा सकते हैं कि उस घर में कोई तो रहता है.
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इसी प्रकार, ब्लैक होल को सीधे तौर पर तो नहीं देखा जा सकता है क्योंकि उनका मजबूत गुरुत्वाकर्षण सारी रोशनी को खींच लेता है. लेकिन वैज्ञानिक इसके मजबूत गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव इसके आसपास के तारों और गैसों पर देख सकते हैं. वैज्ञानिक देख सकते हैं कि मजबूत गुरुत्वाकर्षण ब्लैक होल के आसपास के तारों और गैस को कैसे प्रभावित करता है.
यदि कोई तारा अंतरिक्ष में एक निश्चित बिंदु की परिक्रमा कर रहा है, तो वैज्ञानिक यह पता लगाने के लिए तारे की गति का अध्ययन कर सकते हैं कि क्या वह ब्लैक होल की परिक्रमा कर रहा है. यदि एक ब्लैक होल और एक तारा एक साथ परिक्रमा कर रहे होते हैं, तो उच्च-ऊर्जा प्रकाश (High-Energy Light) उत्पन्न होता है. तब वैज्ञानिक अपने बनाये किसी उन्नत उपकरण द्वारा इस उच्च-ऊर्जा प्रकाश को देख सकते हैं.
ब्लैक होल कितने बड़े होते हैं (How big are black holes)?
ब्लैक होल बड़े या छोटे हो सकते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि सबसे छोटे ब्लैक होल मात्र एक परमाणु जितने छोटे होते हैं, लेकिन इनका द्रव्यमान एक बड़े पर्वत के समान होता है.
सबसे सामान्य प्रकार के मध्यम आकार के ब्लैक होल को ‘तारकीय’ (Stellar) कहा जाता है. एक तारकीय ब्लैक होल (Stellar Black Hole) का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 20 गुना अधिक हो सकता है और यह सारा द्रव्यमान लगभग 10 मील व्यास वाली एक गेंद के अंदर समा सकता है. हमारी मिल्की-वे गैलेक्सी के भीतर दर्जनों तारकीय द्रव्यमान वाले ब्लैक होल मौजूद हो सकते हैं.
सबसे बड़े ब्लैक होल को ‘सुपरमैसिव’ (Supermassive Black Hole) कहा जाता है. इन ब्लैक होल का द्रव्यमान एकसाथ 1 मिलियन से भी अधिक सूर्यों के बराबर हो सकता है, और यह सारा द्रव्यमान हमारे सौरमंडल के आकार के व्यास वाली एक गेंद के अंदर फिट होगा. जैसे अब तक के ज्ञात सबसे विशाल ब्लैक होल्स में से एक TON 618 का द्रव्यमान हमारे सूर्य के द्रव्यमान से 66 बिलियन गुना अधिक है.
खगोलविदों का मानना है कि लगभग सभी बड़ी आकाशगंगा के केंद्र में एक महाविशाल या सुपरमैसिव ब्लैक होल होता है, यहां तक कि हमारी अपनी आकाशगंगा मिल्की-वे में भी. 1,00,000 से अरबों सौर द्रव्यमान वाले महाविशाल ब्लैक होल अधिकांश बड़ी आकाशगंगाओं के केंद्रों में पाए जा सकते हैं. महाविशाल ब्लैक होल का आकार उस आकाशगंगा के आकार और द्रव्यमान से संबंधित होता है जिसमें वह है.
मिल्की वे आकाशगंगा के केंद्र में स्थित सुपरमैसिव ब्लैक होल का नाम सैगिटेरियस ए (Sagittarius A) रखा गया है. इसका द्रव्यमान लगभग 4 मिलियन सूर्य के बराबर है और यह सूर्य के आकार के व्यास वाली एक गेंद के अंदर फिट होगा.
ब्लैक होल कैसे बनते हैं (How are black holes formed)?
ब्लैक होल कई तरह से बन सकते हैं, और बड़े ब्लैक होल में हमारे सूर्य के द्रव्यमान का दसियों से लाखों गुना द्रव्यमान एक पिन की नोक के बराबर के बिंदु में फंसा हो सकता है. यह अब तक अज्ञात है कि आमतौर पर ब्लैक होल को बनने में कितना समय लगता है.
कुछ तारे अपने जीवन के अंत में ब्लैक होल बनते हैं. तब तारे को एक साथ बांधे रखने वाली ऊर्जा गायब हो जाती है और वह अपने आप में ढह जाता है जिससे एक शानदार विस्फोट होता है. विस्फोट से बचा हुआ सारा पदार्थ, हमारे सूर्य के द्रव्यमान से कई गुना अधिक, एक अनंत छोटे से बिंदु में गिर जाता है.
वह बिंदु जहां सारा द्रव्यमान फंसा हुआ है, विलक्षणता (Singularity) कहलाता है. जब बहुत सारा द्रव्यमान एक छोटे से स्थान में या छोटे से बिंदु पर सिमट जाता है, तो परिणामी वस्तु अंतरिक्ष और समय के ताने-बाने को तोड़ देती है, जिसे ‘विलक्षणता’ कहा जाता है.
यह असीम रूप से छोटा हो सकता है, लेकिन इसका प्रभाव बहुत बड़ा होता है. यह हर चीज को, यहाँ तक कि प्रकाश को भी, अपने अंदर खींच लेता है. इसीलिए यह अदृश्य रहता है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि सबसे छोटे ब्लैक होल तब बने जब ब्रह्मांड की शुरुआत हुई. ऐसा माना जाता है कि प्रारंभिक ब्रह्मांड में बिगबैंग (महाविस्फोट) के तुरंत बाद प्राइमोर्डियल ब्लैक होल का निर्माण हुआ था.
तारकीय ब्लैक होल (Stellar Black Hole) तब बनते हैं जब एक विशाल तारे का ईंधन खत्म हो जाता है और उस तारे का केंद्र अपने आप में ही ढह जाता है. जब ऐसा होता है, तो यह एक सुपरनोवा (Supernova) का कारण बनता है.
सुपरनोवा एक विस्फोटित तारा है जो तारे के एक भाग को अंतरिक्ष में विस्फोटित कर देता है. तारकीय ब्लैक होल पूरी आकाशगंगा में बिखरे हुए पाए जाते हैं, उन्हीं स्थानों पर जहां हमें तारे मिलते हैं, क्योंकि उन्होंने भी अपना जीवन तारों के रूप में ही शुरू किया था.
सुपरमैसिव ब्लैक होल लगभग हर बड़ी आकाशगंगा के केंद्र में पाए जा सकते हैं. हाल के अध्ययनों से पता चला है कि इन ब्लैक होल का आकार आकाशगंगा के आकार से संबंधित है, इसलिए इन ब्लैक होल और आकाशगंगा के निर्माण के बीच कुछ संबंध होना चाहिए.
क्या ब्लैक होल पृथ्वी को नष्ट कर सकता है (Can a black hole destroy the earth)?
सभी ब्लैक होल भी घूमते हैं. ब्लैक होल अंतरिक्ष में तारों, चंद्रमाओं, ग्रहों आदि को खाते-निगलते हुए नहीं घूमते हैं. आकाशगंगाओं के बीच में स्थित महाविशाल ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण की पहुंच बहुत बड़ी है, लेकिन पूरी आकाशगंगा को निगलने के लिए पर्याप्त नहीं है. यानी हर भौतिक चीज की एक सीमा जरूर होती है.
ब्लैक होल हमारी पृथ्वी को नहीं निगल सकता, क्योंकि कोई भी ब्लैक होल हमारे सौरमंडल के इतना करीब है ही नहीं. पृथ्वी हमारी आकाशगंगा के ब्लैक होल से लगभग 26,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है, अतः पृथ्वी को उस ब्लैक होल के अंदर खींचे जाने का कोई खतरा नहीं है.
भले ही सूर्य के समान द्रव्यमान वाला एक ब्लैक होल सूर्य की जगह ले ले, या सूर्य एक ब्लैक होल बन जाये, तो भी इससे ग्रहों की कक्षाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और न ही पृथ्वी उस ब्लैक होल में गिरेगी. हालाँकि सूर्य के प्रकाश की कमी पृथ्वी पर जीवन के लिए विनाशकारी होगी. सौरमंडल बहुत ठंडा हो जाएगा, लेकिन ग्रह अपनी कक्षाओं में बने रहेंगे. पृथ्वी और अन्य ग्रह उस ब्लैक होल की परिक्रमा उसी प्रकार करेंगे जैसे वे अभी सूर्य की परिक्रमा करते हैं.
क्या हमारा सूर्य ब्लैक होल बनेगा (Will our Sun become a black hole)?
हमारा सूर्य कभी भी ब्लैक होल में नहीं बदलेगा, क्योंकि सूर्य इतना बड़ा तारा नहीं है, या उसमें इतना द्रव्यमान नहीं है कि इसमें विस्फोट हो सके और यह ब्लैक होल बन सके. अरबों वर्षों में, जब सूर्य अपने जीवन के अंतिम चरण पर होगा, तो यह एक लाल विशाल तारा (Red Giant Star) बन जाएगा. फिर, जब यह अपने अंतिम ईंधन का उपयोग कर लेगा, तो यह अपनी बाहरी परतों को फेंक देगा और गैस की एक चमकती अंगूठी में बदल जाएगा जिसे ग्रहीय निहारिका (Planetary Nebula) कहा जाता है. अंततः सूर्य में केवल एक ठंडा सफेद बौना तारा ही बचेगा. यानी सूर्य एक सघन तारकीय अवशेष बन जाएगा जिसे सफेद बौना (White Dwarf) कहा जाता है.
तारे का लगभग 75% द्रव्यमान सुपरनोवा में अंतरिक्ष में उत्सर्जित (ejected) हो जाता है. बचे हुए कोर का भाग्य उसके द्रव्यमान पर निर्भर करता है. यदि बचा हुआ कोर हमारे सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 1.4 से 5 गुना है, तो यह एक न्यूट्रॉन तारे में ढह जाएगा. यदि कोर बड़ा है, तो यह एक ब्लैक होल में ढह जाएगा. न्यूट्रॉन तारे में बदलने के लिए, किसी तारे को सुपरनोवा से पहले सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 7 से 20 गुना बड़ा होना चाहिए. केवल सूर्य के 20 गुना से अधिक द्रव्यमान वाले तारे ही ब्लैक होल बन सकते हैं.
भारत के महान वैज्ञानिक चंद्रशेखर ने बताया था कि सूर्य के द्रव्यमान के 1.44 गुना से कम द्रव्यमान वाले तारे अपने जीवन के अंतिम चरण में श्वेत वामन तारा बन जाते हैं, जबकि सूर्य के द्रव्यमान के 1.44 गुना से अधिक द्रव्यमान के तारे सुपरनोवा के रूप में विस्फोट होकर न्यूट्रॉन तारे या ब्लैक होल में बदल जाते हैं. सूर्य के 20 गुना से अधिक द्रव्यमान वाले तारे ही ब्लैक होल बनते हैं. सूर्य के द्रव्यमान या सौर द्रव्यमान के 1.44 गुना की अधिकतम सीमा को चंद्रशेखर सीमा (Chandrasekhar Limit) कहा जाता है.
ब्लैक होल उस बहुत विशाल और भारी चीज की तरह है, जिसे किसी बहुत छोटे से गोल डिब्बे में जबरन ठूंसकर पैक कर दिया गया है. यदि हमारा सूर्य ब्लैक होल बन जाए, तो उसकी त्रिज्या मात्र 3 किलोमीटर ही रह जाएगी. तो जरा सोचिए कि जिन बड़े ब्लैक होल्स की त्रिज्या अरबों किलोमीटर है, वे किसी समय कितने बड़े तारे रहे होंगे.
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